GMCH STORIES

किताबें: टेक्नोलॉजी के दौर में घटता जुड़ाव

( Read 585 Times)

20 Jan 25
Share |
Print This Page

किताबें: टेक्नोलॉजी के दौर में घटता जुड़ाव

किताबें हमारे जीवन में मित्र, सलाहकार और मार्गदर्शक की भूमिका निभाती हैं। इनके माध्यम से हम कल्पना की उस दुनिया में पहुँचते हैं, जहाँ वास्तविक जीवन में पहुँचना शायद मुमकिन नहीं। ये न केवल हमारे शब्द भंडार को बढ़ाती हैं, बल्कि हमारे विचारों को भी समृद्ध करती हैं। जिस प्रकार भोजन शरीर को ऊर्जा देता है, उसी प्रकार किताबें हमारे मन को पोषण देती हैं। यही कारण है कि किताबों के प्रति मेरा गहरा लगाव है।

लेकिन आज के तकनीकी युग में, जहाँ सुविधाएँ बढ़ी हैं, वहीं भावनात्मक जुड़ाव कम हो गया है। किताबों के मामले में भी यही देखने को मिल रहा है। डिजिटाइजेशन ने किताबों को डिजिटल तो बना दिया, लेकिन उनकी आत्मीयता को लगभग खत्म कर दिया है।

डिजिटल किताबें और ई-बुक्स तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं। लेकिन इस बदलाव से एक टीस उठती है कि आने वाली पीढ़ी किताबों के साथ उस भावनात्मक जुड़ाव का मोल नहीं जान पाएगी। नई किताबों की वह महक, और पन्नों के पलटने का सुखद अनुभव अब कम होता जा रहा है। पहले किसी किताब को पाने के लिए लाइब्रेरी जाना पड़ता था या दोस्तों से मांगना पड़ता था। इससे रिश्ते बनते थे और किताबों का आदान-प्रदान एक अनोखा अनुभव होता था।

अब तो ऑडियोबुक्स का नया चलन भी सामने आ चुका है। ऑडियोबुक्स, यानी सुनने वाली किताबें। लेकिन इनमें वह भावनात्मक गहराई नहीं होती, जो एक किताब को पढ़ने से महसूस होती है। पढ़ने का अपना एक सुखद अनुभव है, जो शब्दों को आपके अवचेतन मन में दर्ज कर देता है। यही वजह है कि वर्षों पहले पढ़ी गई किताब का सार हमेशा याद रहता है, जबकि सुनी हुई बातें जल्दी भुला दी जाती हैं।

एक लेखक होने के नाते, मैं समझता हूँ कि हर लेखक चाहता है कि पाठक उसके शब्दों और भावनाओं से गहराई से जुड़ें। यह जुड़ाव केवल असली किताबों के माध्यम से ही संभव है।

प्रसिद्ध गीतकार गुलज़ार की एक नज़्म की पंक्तियाँ इस भावना को खूबसूरती से व्यक्त करती हैं:
“वो सारा इल्म तो मिलता रहेगा आइंदा भी मगर,
वो जो किताबों में मिला करते थे सूखे फूल और महके हुए रुक्के,
किताबें माँगने गिरने उठाने के बहाने रिश्ते बनते थे,
उनका क्या होगा, वो शायद अब नहीं होंगे…”

इसलिए, पढ़ने का असली सुख असली किताबों में ही है। इन्हें खरीदकर पढ़ें, क्योंकि यही आपको लेखक की हर भावना से गहराई से जोड़ सकती हैं।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like