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मस्तानों की टोली: बाल सोच को नई दिशा

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09 Jan 25
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मस्तानों की टोली: बाल सोच को नई दिशा

बाल साहित्यकार डॉ. विमला भंडारी द्वारा लिखित कहानी संग्रह "मस्तानों की टोली" बाल मनोविज्ञान को समझते हुए बच्चों को सीख प्रदान करता है। यह संग्रह बारह बाल कहानियों का ऐसा अनूठा संगम है, जो मनोरंजन के साथ बच्चों को शिक्षा भी देता है।

संग्रह की प्रमुख कहानी "कच्ची पौध" बच्चों की जिद्द और उनकी सोच को नई दृष्टि प्रदान करती है। कहानी में मीहू नाम की बच्ची अपने जन्मदिन पर कछुआ उपहार में लेने की जिद्द करती है। दादा श्रीनाथद्वारा से कछुआ लाने जाते हैं लेकिन पुलिस उन्हें ऐसा करने से रोक देती है। दादा कछुए के प्राकृतिक जीवन की तस्वीरें दिखाकर मीहू को समझाते हैं कि कछुए को पालतू बनाना उसकी आजादी छीनने जैसा है। कहानी बच्चों को यह संदेश देती है कि जीव-जंतुओं को उनके प्राकृतिक वातावरण में रहने देना चाहिए।

एक अन्य कहानी "लापता हुआ पैकेट" बच्चों को खाना बर्बाद न करने और भूखों को भोजन देने की प्रेरणा देती है। रोहित नाम का बच्चा रोटी को डस्टबिन में फेंकने की बजाय भूखे दोस्त को देकर मानवीय संवेदनाओं का परिचय देता है। उसकी माँ लता यह देख गर्व महसूस करती है।

संग्रह में "डोसा ने बदली आदत," "चमत्कारी पीला पत्थर," "नेकी की राह," और "सांप की केचुली" जैसी कहानियां भी शामिल हैं, जो बच्चों के मनोविज्ञान को ध्यान में रखकर लिखी गई हैं। कहानी संग्रह की भाषा सरल और सहज है, जो बच्चों के दिलों तक सीधे पहुंचती है।

कृति के रंगीन आवरण पृष्ठ और आकर्षक रेखा चित्र बच्चों को आनंदित करते हैं। साथ ही, इसमें बाल मन को प्रेरित करने वाले मनोरंजक खेल जैसे "आइस्क्रीम किस को मिलेगी" और "तितली को फूलों तक पहुंचाओ" भी शामिल हैं।

64 पृष्ठों की यह कृति बाल साहित्य में एक नई दिशा का परिचायक है।


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