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माँ की महानता

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24 Dec 24
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विकास कुमार उज्जैनियां

न अक्षर पढ़ सकीं, न किताबों को जाना,
हर दिल को समझा, हर सपना पहचाना।
अनपढ़ होकर भी रौशन किया जहाँ,
उस माँ का प्यार है सच्चा भगवान।
पति के कदमों को दिया सहारा,
हिम्मत से उसने हर डर को पुकारा।
बनाया उन्हें ज्ञान का एक दीप,
प्रोफेसर बने, पाया ऊँचाई का सीप।
बेटों को दिखाया मेहनत का मार्ग,
हर मुश्किल में बनी उनका भाग्य।
बड़ा बेटा बना फिजियोथेरेपिस्ट महान,
छोटा बेटा ज्ञान की खोज में रम गया आन।
माँ का प्यार, जैसे अमृत का झरना,
हर मुश्किल में पाया हमने ये वरना।
न अक्षर, न भाषा, पर सब कुछ सिखाया,
माँ ने हमें जीने का मतलब समझाया।
हे माँ, तेरा त्याग और अटल विश्वास,
हमारे जीवन का सच्चा प्रकाश।
तेरी गोद में पाया संसार का सुख,
तेरे बिना अधूरा है जीवन का हर मुख।


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