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बड़वा साहित्यिक सम्मान समारोह व "द नार्थ मीट्स साऊथ" पुस्तक का हुआ विमोचन

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12 Nov 24
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बड़वा साहित्यिक सम्मान समारोह व "द नार्थ मीट्स साऊथ" पुस्तक का हुआ विमोचन

ठा अमरचंद बड़वा शोध पीठ व  स्मृति संस्थान  के संयुक्त तत्वावधान मे दूसरे दिवस कार्यक्रम के अन्तर्गत मंगलवार को पैसिफिक विश्विद्यालय सभागार मे डा जी एल मेनारिया व डा. अमल जे इरोनिमस द्वारा लिखित अंग्रेज़ी पुस्तक "द नार्थ मीट्स साऊथ" का विमोचन एवं बड़वा साहित्यिक सम्मान समारोह आयोजित हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता पैसिफिक ग्रुप प्रेसिडेंट प्रो. बी.पी.शर्मा ने की , मुख्य अतिथि एमपीयूएटी के पूर्व कुलपति प्रो. उमाशंकर शर्मा, विशिष्ट अतिथि पूर्व राज्य मंत्री जगदीश राज श्रीमाली व पैसेफिक प्रेसिडेंट प्रो हेमंत कोठारी थे। 

संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष प्रोफेसर विमल शर्मा ने बताया कि कन्याकुमारी से आये एफ ग्लीटस राजन को उत्कृष्ट सामाजिक एवं अकादमिक  कार्यों हेतु ठा. अमरचंद बड़वा स्मृति सम्मान तथा डा. अमल जे एरोनिमस को स्व मोतीलाल मेनारिया लोकजन इतिहास सम्मान प्रदान किया गया।

विमोचित अंग्रेजी पुस्तक का विवरण देते हुए डा. जी एल मेनारिया ने बताया कि यह पुस्तक  सुदूर दक्षिण भारत (ट्रैवनकोर) से लगाकर उत्तर मे मेवाड़ राजवंश तक का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करती है। केरल से आये सम्मानित सदस्यों ने कहा कि वे मेवाड़ के देशभक्ति, शौर्य व बलिदान की गाथाओं से अभिभूत हुए है । उनकी पुस्तक का प्रथम संस्मरण (2000 प्रतियां )  दक्षिणी भारत के अधिकांश  जनमानस को मेवाड़ के गैरवशाली इतिहास से परिचित होने का अवसर प्रदान करेगा ।

जगदीश राज श्रीमाली ने हल्दीघाटी युद्ध के अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए पं श्रीधर व्यास को विस्मित हीरो बताया।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन मे प्रो भगवती प्रसाद शर्मा ने कहा कि कालांतर मे व्रृहदतर अविभाजित भारत ही था । यह तो अंग्रेज़ों ने उत्तर दक्षिण रुपी भाषाई खाई बनाई और हमें काफी हद तक बांटने मे भी सफल हुए । अब समय आ गया है कि  हम इतिहासकार इस भूल को सुधारते हुए सर्वणिम भारत की विलयपूर्व 543 रियासतों के इतिहास को नये सिरे से हमारे द्रृष्टिकोण से लिख फिर एक हो जाये। उन्होंने रामायण महाभारत काल के कई उदाहरण देते हुए ज्ञान, विज्ञान, आध्यात्म मे भारत को विश्व मे सर्वोच्च सिद्ध किया।

कार्यक्रम का संचालन महासचिव जयकिशन चौबे ने किया व डा. मनीष श्रीमाली ने आभार व्यक्त किया । 

 लक्ष्मण सिंह कर्णावट, डा. जीवन सिंह खरकवाल, डा. रमाकांत शर्मा,  चैन शंकर दशोरा, डा. मुकेश कुमार कटारा, डा. मीनाक्षी मेनारिया, इन्द्र सिंह राणावत , गणेश लाल नागदा, नरेन्द्र उपाध्याय, हाजी सरदार महोम्मद, मनोहर लाल मुंदड़ा, सुधीर एस सालुंके, सुरेश तंबोली, डा. राजेन्द्र नाथ पुरोहित , डा. जे.के.अोझा, राजमल चौधरी , करण सिंह चुंडावत, जगदीश पुरोहित, डा विमल शर्मा, डा. मनीष श्रीमाली, जयकिशन चौबे सहित कई शोधार्थी उपस्थित थे।


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