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बाल साहित्य मेलों से बच्चों में बढ़ी रचनात्मकता

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28 Apr 25
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बाल साहित्य मेलों से बच्चों में बढ़ी रचनात्मकता

डॉ. प्रभात कुमार सिंघल

कोटा। बाल साहित्य मेलों की श्रृंखला का असर अब साफ दिखने लगा है। बच्चों में कविता, कहानी, दोहे और हाइकु लेखन के प्रति तेजी से रुचि बढ़ी है। यह बात रविवार को विनोबा भावे नगर में आयोजित साहित्यिक कार्यक्रम में झालावाड़ से आईं साहित्यकार रेखा सक्सेना ने कही।

उन्होंने कहा कि जब से हाड़ौती अंचल में बाल साहित्य मेलों का आयोजन शुरू हुआ और बच्चों को पुरस्कृत किया गया, तब से उनमें लेखन के प्रति उत्साह बढ़ा है। रंगीतिका संस्था द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं के लिए बच्चे अब झांसी की रानी और महाराणा प्रताप जैसे विषयों पर कविताएं लिखने में जुटे हैं।

रेखा सक्सेना ने आयोजकों से आग्रह किया कि वे झालावाड़ स्थित उनके विद्यालय पल्लवन में भी आकर बच्चों से संवाद करें। उन्होंने अपनी काव्य कृति "अवध के वीर" भेंट की, जबकि उन्हें "राजस्थान के साहित्य साधक" पुस्तक और राजस्थान दिवस प्रतियोगिता में दिए गए सहयोग हेतु प्रशस्ति पत्र भेंट किया गया।

इसी प्रेरणा से रंगीतिका और आर्यन लेखिका मंच ने भी नए साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है। लेखक राम मोहन कौशिक तथा अन्य साहित्यकार मिलकर बच्चों के लिए कहानी लेखन प्रतियोगिता आयोजित कर रहे हैं। यदि इसी तरह अन्य साहित्यिक संस्थाएं भी पहल करें, तो बच्चों को साहित्य से जोड़ने की दिशा में ठोस कार्य हो सकता है।

 


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