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धर्म बंधु आर्य : अदालती पत्रकारिता के नायक

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08 Apr 25
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धर्म बंधु आर्य : अदालती पत्रकारिता के नायक

कोटा। वरिष्ठ पत्रकार धर्म बंधु आर्य कोटा की पत्रकारिता का एक ऐसा नाम हैं, जिन्होंने तीन दशकों तक अदालत परिसर की खबरों को मुख्यधारा में स्थान दिलाया। भोले-भाले दिखने वाले धर्म बंधु, पत्रकारिता में चतुरता के लिए जाने जाते हैं। ख़ास बात यह कि वे अदालत से जुड़ी खबरें चुपचाप निकालते, दूसरों से भी जानकारी लेते लेकिन खुद की खबर को 'एक्सक्लूसिव' बनाए रखते।

दैनिक भास्कर में लम्बे समय तक उन्होंने न्यायालय संबंधित खबरों को बेहतरीन ढंग से प्रकाशित किया। अब जब वे 'पत्रिका' समूह से सेवानिवृत्त हो चुके हैं, तो ‘फ्रीलांस पत्रकारिता’ की योजना बना रहे हैं।

धर्म बंधु आर्य का संघर्ष बचपन से रहा। आर्य समाजी पृष्ठभूमि वाले धर्म बंधु के पिता स्वर्गीय रामकृष्ण आर्य आर्य समाज के पंडित थे और सत्य की खोज में आंदोलनकारी जीवन जिया। धर्म बंधु की शिक्षा रेतवाली आर्य विद्यालय, मल्टीपर्पस और विज्ञाननगर स्कूल में हुई। एक बार शांत स्वभाव के धर्म बंधु ने स्कूल में हुई छेड़छाड़ पर प्रतिक्रिया में छात्र की जमकर पिटाई कर दी थी, जिससे उनके स्वभाव का दूसरा पक्ष सामने आया।

1987 के दिवराला सती कांड में जब आर्य समाज का आंदोलन हुआ, तब वे पिता और भाई के साथ प्रदर्शन में घायल हुए। इस घटना के बाद उन्होंने लिखना शुरू किया और सती प्रथा के खिलाफ जमकर लेख लिखे।

धर्म बंधु बेहतरीन टाइपिस्ट भी रहे और गुरुकुल केलवाड़ा के छात्र रहे। अदालत परिसर में रहकर उन्होंने प्रदर्शन, धरनों, फैसलों, बार एसोसिएशन के चुनाव, अदालतों की हड़ताल तक हर पहलू को कवर किया। उनकी कई रिपोर्ट्स के आधार पर अदालत प्रशासन ने असुविधाएं दूर कीं।

उन्होंने बारां व अटरू में दर्ज मामलों को लेकर अदालत में बयान भी दिए। पहले अदालत पत्रकारिता में खास रुझान नहीं था, लेकिन पत्रकार मुल्कराज अरोड़ा के बाद पाठक रुचि बढ़ी और दैनिक भास्कर ने अदालत बीट के लिए धर्म बंधु को चुना।

वह हमेशा अपने पास एक एक्सक्लूसिव खबर रखते, बाकी सभी पत्रकारों के साथ सामान्य खबरें साझा करते। अगले दिन उनकी एक्सक्लूसिव रिपोर्ट देख बाकी पत्रकार मज़ाक में उनकी क्लास लेते, तो धर्म बंधु मुस्कुरा कर कहते – “छोड़ो यार, आप भी मेहनत करो, आपको भी अलग खबर मिलेगी।”

प्रेस क्लब कोटा और आर्य समाज नई दिल्ली समेत कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित धर्म बंधु आर्य आज भले ही रिटायर्ड हों, लेकिन कहते हैं पत्रकार कभी बूढ़ा नहीं होता। आज भी वह ‘आसमान तलाशने’ की राह पर अग्रसर हैं।

 


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