के.डी. अब्बासी
सूचना और जन संपर्क विभाग राजस्थान के पूर्व संयुक्त निदेशक और लेखक डॉ. प्रभात कुमार सिंघल द्वारा लिखित पुस्तक "राजस्थान के साहित्य साधक" इन दिनों चर्चा में है। इस पुस्तक में 62 साहित्यकारों को शामिल किया गया है, जिनमें राजस्थान के स्थानीय और प्रवासी लेखक दोनों सम्मिलित हैं।
राजस्थान साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष वेद व्यास ने कहा, "जो कार्य अकादमियों को करना चाहिए था, वह आपने किया है। यह पुस्तक साहित्य जगत के लिए शोध ग्रंथ के रूप में अमूल्य निधि है।"
विख्यात साहित्यकार अजहर हाशमी ने इसे "अपनी तरह की अनूठी कृति" बताया, जबकि इंदुशेखर तत्पुरुष ने इसे "लेखकीय निष्ठा का परिचायक और साहित्यिक पत्रकारिता का अनुकरणीय कार्य" माना।
राजेंद्र राव ने कहा, "यह पुस्तक राजस्थानी साहित्य को राष्ट्रीय पहचान दिलाने में सहायक होगी।" साहित्यकार जितेंद्र निर्मोही ने इसे "समीक्षा क्षेत्र में महनीय कार्य" करार दिया।
मुंबई के डॉ. ओम नागर ने इसे "लेखक की कला और संस्कृति के प्रति गहरी प्रतिबद्धता का प्रतीक" बताया, वहीं बूंदी के रामस्वरूप मूंदड़ा ने इसे "भावी पीढ़ी के लिए संदर्भ ग्रंथ" माना।
डॉ. पुरुषोत्तम 'यकीन' ने कहा, "यह पुस्तक तहकीकी मरहलों के लिए मशअले-राह साबित होगी।" उदयपुर की डॉ. मंजु चतुर्वेदी ने इसे "साहित्यालोचन और वैचारिकी की दृष्टि से महत्वपूर्ण" बताया।
एडवोकेट अख्तर खान अकेला ने इसे "साहित्य जगत के लिए खजाना" कहा। कथाकार और समीक्षक विजय जोशी ने इसे "साहित्य जगत की अमूल्य निधि" बताया।
इसके अलावा, देशभर के कई साहित्यकारों ने पुस्तक की प्रशंसा करते हुए इसे शोध के लिए अत्यंत उपयोगी बताया।