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जुमे की नमाज अदा की , मांगी तरक्की और खुशहाली की दुआएं

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21 Mar 25
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जुमे की नमाज अदा की , मांगी तरक्की और खुशहाली की दुआएं

कोटा | शहर में वक्फ नगर मदीना जामा मस्जिद,  में नमाज के लिए अकीदतमंद उमड़ पड़े। पवित्र माह रमजान के तीसरे जुमे पर निर्धारित समय पर नमाज अदा की गई।
इस दौरान सभी मस्जिदों में जुमे की नमाज से पहले पेश इमामों ने पवित्र माह रमजान में रोजा रखने व अल्लाह की इबादत करने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मुफ्ती मोहम्मद यामीन साहब ने कहा कि रमजान माह में ज्यादा से ज्यादा इबादत करनी चाहिए। रमजान माह के तीनों अशरों के बारे में रोजेदारों को जानकारी दी गई। बताया गया कि रमजान के आखिरी अशरे में एतेकाफ करना चाहिए और यह 20वें रोज की शाम मगरिब की नमाज के साथ शुरू होकर ईद का चांद देखकर खत्म होता है। हमारी कोशिश रहनी चाहिए कि हर मस्जिद में एतेकाफ हो। रमजान मुबारक के तीसरे जुमे की नमाज कारी ईरशाद अहमद  ने नमाज अदा कराई  लोगों ने अपने गुनाहों की माफी, देश में अमन चैन, खुशहाली, भाईचारे की मजबूती और बीमारियों से निजात की अल्लाह से दुआएं मांगी।
तीसरा अशरा दोजख या जहन्नुम से आजादी दिलाने वाला
पार्षद सलीना शेरी रमज़ान का तीसरा अशरा 20वें रोज़े की मग़रिब की नमाज़ के बाद से शुरू होता है। इस अशरे को "नजात का अशरा" भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें की गई इबादत से जहन्नम की आग से आज़ादी की दुआ माँगी जाती है। तीसरे अशरे में शब-ए-क़द्र की पाँच रातें (21, 23, 25, 27 और 29 तारीख की रातें) भी शामिल होती हैं, जिनमें से एक रात शब-ए-क़द्र होती है। शब-ए-क़द्र को कुरान में "हज़ार महीनों से बेहतर रात" कहा गया है, और इस दौरान की गई दुआएँ और इबादत का खास महत्व होता है। 
पार्षद सलीना शेरी ने बताया की शुक्रवार को माह-ए-रमजान के  जुमे की तैयारियां सुबह से ही शुरू हो गई। इस दौरान महिलाओं में  खासा उत्साह देखने को मिला।रमजान के  जुमे की नमाज महिलाओं ने घरों पर अदा कर अपने गुनाहाें से तौबा की।  इस मौके पर  देश-दुनियां और समाज की खुशहाली की परवरदिगार से दुआ की, इसके बाद जकात जरुरतमंदों, विधवा, अनाथ, दिव्यांग आदि को दिया


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