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राष्ट्र हित चिंतन से साहित्य की भूमिका आवश्यक

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05 Feb 25
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राष्ट्र हित चिंतन से साहित्य की भूमिका आवश्यक

(Prabhat Singhal)

कोटा। राष्ट्रवादी कवि वीरेंद्र सिंह विद्यार्थी की जयंती के अवसर पर साहित्यकार सम्मान समारोह का आयोजन मंगलवार को हुआ। यह कार्यक्रम पश्चिम मध्य रेलवे कोटा मंडल के राजभाषा विभाग और श्री हिंदी साहित्य समिति के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ।

मुख्य अतिथि महाप्रभुजी पीठ के विनय बाबा रहे, जबकि अध्यक्षता डॉ. रघुराज सिंह कर्मयोगी ने की। विशिष्ट अतिथि अखिल भारतीय साहित्य परिषद के संरक्षक रामेश्वर शर्मा 'रामू भैया' और प्रमुख वक्ता भगवत सिंह मयंक मंचस्थ रहे। राजस्थान सरकार पाठ्यपुस्तक मंडल के शिक्षा प्रन्यासी अरविंद सिसोदिया ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

विनय बाबा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि "धर्म की सुरक्षा के लिए राष्ट्र का सुरक्षित रहना आवश्यक है, और इसके लिए साहित्य को राष्ट्र चेतना जाग्रत करने की अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।" डॉ. रघुराज सिंह कर्मयोगी ने कहा कि वीरेंद्र सिंह विद्यार्थी द्वारा लिखित "सोच बदलो से सितारे बदल जाएंगे" एक ऐतिहासिक कृति है, जिसका अधिकाधिक प्रचार किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस पुस्तक को पढ़ने से कोटा में बढ़ रही छात्र आत्महत्याओं की घटनाओं में कमी लाई जा सकती है।

इस अवसर पर वरिष्ठ मंडल लेखा अधिकारी एवं कहानीकार राजकुमार प्रजापत तथा व्यंग्यकार कमलेश कमल का श्रीफल, पटका और स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम की संपूर्ण व्यवस्था स्वर्गीय वीरेंद्र सिंह विद्यार्थी के ज्येष्ठ पुत्र संजीव पलवार ने संभाली। सरस्वती वंदना ज्ञान सिंह गंभीर द्वारा प्रस्तुत की गई, जबकि संचालन मधुर गीतकार प्रेम शास्त्री ने किया।


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