बहुमुखी प्रतिभा के धनी, हाड़ौती के गौरव, और वन्य जीव व पर्यावरण रक्षक बनवारी यदुवंशी, कोटा चम्बल सफारी के जनक रहे हैं। जंगलों और चम्बल नदी के पास स्थित वन्य जीवों के संरक्षण के लिए उनकी कड़ी मेहनत ने कोटा में पर्यटकों को नई दिशाएं दीं।
वह एक पत्रकार के रूप में काम करते हुए जंगलों में रोमांचक कार्यों में सक्रिय रहे और स्वर्गीय ज्योति पाठक के संपर्क में आकर वन्य जीवों के अध्ययन में गहरी रुचि विकसित की। उनके प्रयासों से चम्बल में मोटर बोट सफारी और छोटे क्रूज का आयोजन हुआ, जिससे पर्यटकों को अद्भुत अनुभव प्राप्त हो रहा है।
कोटा के किशोरसागर में इन सफारियों के द्वारा पर्यटक ऐतिहासिक जगमंदिर की सुंदरता, मगरमच्छ, घड़ियाल और अन्य वन्य जीवों के नजारे का आनंद ले रहे हैं। बनवारी यदुवंशी ने वन्य जीवों के संरक्षण और पर्यावरण संतुलन के लिए कई पहलें की हैं और सरकारी सिस्टम में सुधार के लिए लगातार काम किया है।
उन्होंने उत्तराखंड त्रासदी के दौरान राहत कार्यों में भाग लिया और प्राकृतिक आपदाओं में फंसे लोगों को बचाने में मदद की। उनका परिवार भी इस कार्य में उनके साथ जुड़ा हुआ है और वन्य जीवों की रक्षा के लिए समर्पित है। बनवारी यदुवंशी का योगदान न केवल कोटा बल्कि पूरे हाड़ौती क्षेत्र में अमूल्य है।