राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय, कोटा में भारत की पहली महिला शिक्षिका और समाज सुधारिका सावित्रीबाई फुले की 131वीं जयंती पर "सावित्रीबाई फुले साहित्य विमर्श" कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम महिला शिक्षा और उनके योगदान को समर्पित था।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि राकेश श्रृंगी, पूर्व प्राचार्य, माध्यमिक शिक्षा विभाग, और विशिष्ट अतिथि कन्हैयालाल गोचर की उपस्थिति में हुआ। शृंगी ने अपने संबोधन में सावित्रीबाई फुले के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि उनका जीवन प्रेरणा का अद्भुत स्रोत है। उन्होंने सामाजिक बाधाओं को तोड़कर महिलाओं को शिक्षा का अधिकार दिलाने की लड़ाई लड़ी।
उद्घाटन सत्र में संभागीय पुस्तकालय अध्यक्ष डा. दीपक कुमार श्रीवास्तव ने कहा, "सावित्रीबाई फुले के प्रयासों के कारण आज महिला शिक्षकों को समाज में सम्मान और स्थान मिला है। उनकी शिक्षण शैली और समाज सुधार के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने महिलाओं के लिए शिक्षा के दरवाजे खोले।" उन्होंने यह भी बताया कि पुस्तकालयों को ऐसे विमर्शों के माध्यम से महिला शिक्षा और सशक्तिकरण का मंच बनाना चाहिए।
कार्यक्रम में सावित्रीबाई फुले के साहित्य को केंद्र में रखते हुए विमर्श किया गया। शोधार्थी मधुसूदन चौधरी ने उनके साहित्य चयन में विशेष भूमिका निभाई। इस कार्यक्रम का प्रबंधन रोहित नामा और अजय सक्सेना ने किया। संचालन राम निवास धाकड़, परामर्शदाता, ने अत्यंत प्रभावशाली ढंग से किया।
साहित्य विमर्श सत्र में सावित्रीबाई फुले की कविताओं और लेखन पर चर्चा की गई। उनके रचनात्मक कार्यों में शिक्षा और सामाजिक न्याय के संदेश निहित हैं। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज में महिलाओं के प्रति भेदभाव और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई। विमर्श के दौरान वक्ताओं ने उनकी कविताओं के उदाहरण देते हुए उनके विचारों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के समापन पर डा. दीपक कुमार श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों, शोधार्थियों, और प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने पुस्तकालयों में ऐसे कार्यक्रमों की महत्ता को रेखांकित किया और भविष्य में भी इस तरह के आयोजनों की आवश्यकता पर जोर दिया।