डायबिटिज रोगियों को हृदय रोग होने की दौगुणी संभावना रहती है। हाई ब्लड शुगर हृदय की रक्त वाहिका व नसो को नुकसान पहुचाती है। डायबिटिज ग्रसित मरीज़ को हार्ट फैलियर का जोखि़म अधिक रहता है। डायबिटिज के कारण मरीज़ को युवावस्था में ही हृदय रोग विकसित हाने का खतरा बढ़ जाता है। आराम की अवस्था में अधिक हार्टरेट टाइप-2 डायबिटिज़ के मरीज़ो में कडियोवसकूर्लर रिस्क बढ़ा देती है। अत्यधिक शुगर के उपयोग के परिणास्वरूप हृदय व रक्तवाहिका में क्रोनिक इन्फ्लेमेशन हो जाता है, जो ब्लड़ प्रेशर बढ़ाने के साथ हृदय रोगों का जोखिम बढ़ा देता हे।
*डायबिटिज़ में हृदय रोगों का बचाव कैसे करे ?*
1- रोज कसरत करे।
2- कम नमकयुक्त भोजन करे।
3- मोटापे या अधिक वज़न होने पर वज़न कम करें।
4- ब्लड़ प्रेशर कन्ट्रोल में रखे।
5- सबुत अनाज़ का सेवन करें।
*डायबिटिज़ मरीज़ों में साइलेंट अटैक का कारण क्या है ?*
डायबिटिज के मरीज़ो में नसो को पहुचने वाली क्षति के कारण उसे दर्द या छाती मे किसी असहजता का अनुभव नहीं होता है।
भारत, जिसे आज दुनिया की मधुमेह राजधानी माना जाता है, में लगभग 7.7 करोड़ लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं। चिंताजनक रूप से, इनमें से लगभग 50 प्रतिशत लोग अपनी बीमारी से अनजान हैं। और अब यह बीमारी केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं रही – आधुनिक जीवनशैली, अस्वास्थ्यकर खानपान, और शारीरिक गतिविधि की कमी के कारण युवा वयस्कों में टाइप 2 मधुमेह के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जो देश के भविष्य के लिए एक गहरी चिंता का विषय है।
यदि मधुमेह की पहचान समय रहते न हो, तो यह गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है। इससे दिल का दौरा, स्ट्रोक, दृष्टिहीनता, किडनी की बीमारियाँ, नसों में विकार और परिधीय धमनियों का रोग हो सकता है, जिससे अंग-विच्छेदन जैसी नौबत भी आ सकती है। इन जोखिमों से बचने के लिए मधुमेह की सही और समय पर पहचान एवं प्रबंधन बेहद महत्वपूर्ण हैं।
मधुमेह प्रबंधन में संतुलित आहार और नियमित शारीरिक व्यायाम का विशेष महत्व है। विशेष रूप से टाइप 2 मधुमेह में, यदि व्यक्ति सही जीवनशैली अपनाएं तो कुछ मामलों में रिमिशन (दवाओं से मुक्ति) संभव हो सकता है, जिससे दवाओं की आवश्यकता भी समाप्त हो सकती है। साथ ही, नई दवाओं ने मधुमेह नियंत्रण को और भी कारगर बना दिया है, जिससे मरीज स्वस्थ और बेहतर जीवन जी सकते हैं।
*मधुमेह का प्रभावी प्रबंधन कैसे करें:*
*जल्दी पहचान:* जितनी जल्दी मधुमेह की पहचान होगी, उतनी ही जल्दी हम इसे नियंत्रित कर सकते हैं और जटिलताओं से बच सकते हैं। नियमित जाँच करवाना आवश्यक है, खासकर यदि परिवार में मधुमेह का इतिहास है या जोखिम कारक मौजूद हैं।
*संतुलित आहार:* पौष्टिक और संतुलित आहार मधुमेह को नियंत्रण में रखने में मददगार है। भोजन में साबुत अनाज, फल, हरी सब्जियाँ, और प्रोटीन युक्त पदार्थों को शामिल करें और अधिक चीनी एवं प्रोसेस्ड फूड से परहेज करें।
*नियमित शारीरिक गतिविधि:* नियमित व्यायाम, जैसे पैदल चलना, योग, साइकिलिंग या हल्के व्यायाम मधुमेह प्रबंधन में सहायक होते हैं। सप्ताह में कम से कम 150 मिनट की शारीरिक गतिविधि को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
*जीवनशैली में सुधार:* टाइप 2 मधुमेह के मामलों में सही जीवनशैली अपनाकर और आहार में सुधार कर रिमिशन (दवाओं से मुक्ति) की संभावना बढ़ाई जा सकती है, जिससे कुछ मामलों में दवाइयों की आवश्यकता समाप्त हो सकती है। समय पर जाँच करवाएं, स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, और मधुमेह को मात देने की दिशा में आगे बढ़ें। इसी कड़ी में दिनांक 17 नवम्बर, रविवार को श्रीजी हॉस्पिटल, सी-163ए, रोड़ नं. 5 इन्द्रप्रस्थ इण्डस्ट्रीयल एरिया में निःशुल्क मधुमेह एवं हृदय रोग चिकित्सा एवं परामर्श शिविर दोपहर 12 से 2 बजे तक आयोजित किया जाऐगा। डॉ. पार्थ जेठवानी-एण्ड्रोक्राइनोलोजिस्ट व हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. निशांत सक्सेना व डॉ. समीर जैन अपनी सेवाऐं देंगे।