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सैयद मीर निसार अली के बिना ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह अधूरा है 

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21 Nov 24
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 सैयद मीर निसार अली के बिना ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह अधूरा है 

  कोटा टीटू मीर, जिसका असली नाम सैयद मीर निसार अली था, ने आजादी की लडाई में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है, के बिना ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह अधूरा माना जाएगा। यह विचार आज विज्ञान नगर स्थित वाई जी एन कोचिंग में आयोजित शहीद टीटू मीर, सैयद मीर निसार अली की पुण्य तिथि पर संपन्न कार्यक्रम में वक्ताओं व्यक्त किए।

कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए, कार्यक्रम संयोजक नूर अहमद पठान ने टीटू मीर सैयद मीर निसार अली के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि मज़हब अभियान चलाने वाले टीटू मीर, सैयद मीर निसार अली का आंदोलन भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष में कई आंदोलनों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया।

इस अवसर पर बोलते हुए मिल्लत चेरिटेबल ट्रस्ट के सचिव मुख़्तार अंसारी ने कहा कि, टीटू मीर अपनी छोटी उम्र के दौरान एक प्रसिद्ध पहलवान थे और कई छोटी-छोटी नौकरियों में लगे हुए थे। सैयद मीर निसार अली 1822 में मक्का की तीर्थ यात्रा पर गए और जेहादी आंदोलन के संस्थापक सैयद अहमद बरेलवी और फ़राज़ी आंदोलन के संस्थापक हाजी शरीयतुल्ला से मिले। तीनों नेताओं की बैठक ने ‘मज़हबी-फ़राज़ी’ आंदोलनों को मज़बूती दी थी।

एक उम्मीद सेवा संस्थान के संयोजक डॉ. रियाज अहमद ने बताया कि, सैयद मीर निसार अली ने उस समय के शोषकों के चंगुल में फंसे लोगों की पीड़ा को देखा। टीटू ने शोषण को समाप्त करने का फैसला किया और अपने आध्यात्मिक अभियान के साथ-साथ विदेशी शासकों के खिलाफ विद्रोह के लिए लोगों को जगाने के लिए एक अभियान चलाया।

सनराइज ग्रुप के निदेशक जावेद खान ने कहा कि, उन्होंने ब्रिटिश पुलिस और ईस्ट इंडिया कंपनी के सशस्त्र बलों के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष शुरू किया, जो लोग उस समय ब्रिटिश शासन का समर्थन कर आम जन का शोषण कर उन्हें परेशान कर रहे थे। जमींदारों और महाजनों का समर्थन कर रहे थे। अंग्रेजों के लिए गरीबों को परेशान करने के लिए कर वसूल कर रहे थे। कंपनी के शासकों द्वारा लगाए गए दमनकारी करों और स्थानीय जमींदारों की अमानवीय गतिविधियों का विरोध करते हुए, टीटू मीर ने स्वयं कई विद्रोहों का नेतृत्व किया। टीटू मीर जमींदारों, और ब्रिटिश सेना द्वारा आम लोगों पर अत्याचारों और हमलों से चिढ़ गया था।

कोचिंग के निदेशक अरशद अंसारी ने कहा कि, सैयद मीर निसार अली इतना साहसी था कि वह ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारियों और पुलिस को अपने हमलों के बारे में पहले से सूचित कर उनसे मुकाबला किया करता था। इस अवसर पर मिल्लत चेरिटेबल ट्रस्ट के सलीम अब्बासी और मदरसा दारुल उलूम रजा ए मुस्तुफा के व्यवस्थापक इंजीनियर सिराज अहमद ने भी अपने विचार व्यक्त कर देश प्रेम को सर्व प्रथम बताया।

इस अवसर पर अतिथियों को फूल माला पहना कर उनका स्वागत किया गया।

 


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