कोटा में क़रीब बीस वर्षों के अंतराल में लगभग , तेरह हज़ार, लावारिसों, हज़ारों गरीब लोगों सहित, सवा लाख मृतकों की अंत्येष्टि में मददगार बने राजा राम जैन कर्मयोगी कहते हैं के अगर केंद्र और राज्य सरकार पृथक से अंत्येष्टि मंत्रालय का गठन कर दे , तो कई व्यवस्थाएं सार्थक हो सकती है ,, मृतकों के परिजनों को , अंत्येष्टि के वक़्त आने वाली परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है , जबकि ऐसे दुःख की घडी में यह मदद उनके लिए सांत्वना भी रहेगी ,,,
राजा राम जैन कर्मयोगी , कोटा में बीस वर्षों से भी अधिक समय से अन्तेय्ष्टि कार्यक्रम के मददगार बने हैं , वोह कहते हैं के ज़िन्दों के बारे में तो सोचने के लिए सभी लोग शामिल होते हैं , लेकिन मृतक शरीर के अंतिम संस्कार के मामले में संकुचित सोच है , कोई इस तरफ सार्वजनिक वृहद दिशा में सोच क़ायम नहीं कर पाया है , इसी वजह से वोह, अपने संस्थान के आजीवन सदस्य साठीउन की मदद से, हर वर्ष ,लगातार हर सरकार से केंद्र और राज्य स्तर पर , पृथक से अंत्येष्टि मंत्रालय की मांग करते रहे हैं , राजा राम जैन कर्मयोगी कोटा में अब तक सवा लाख लोगों में से ,, क़रीब तेरह हज़ार लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं , राजा राम बताते हैं , के हैसियत के हिसाब से अंतिम संस्कार सामग्री तीन हिस्सों में है , जो लोग भुगतान कर सकते हैं , उनसे न्यूनतम , बिना लाभ के , व्यवस्थित तरीके से ज़रिये रसीद राशि प्राप्त कर , उन्हें सामग्री उपलब्ध कराई जाती है , आवश्यकता पढ़ने पर उनके स्थान पर भी पहुंचाई , जाती है , उनके पास अभी आठ गाड़ियां है , जिनमे मोटर साइकलें , ट्रेक्टर शव वाहन , ट्रक शव वाहन है , जिनका उपयोग सभी धर्मों के लोग करते हैं , , मुस्लिम समाज के लिए निर्धारित वाहन के अलावा अन्य वाहनों में , राम नाम सत्य की धुन , लगातार बजते हुए सुनी जा सकती है , लावारिस शवों की अंत्येष्टि ओर उनके सामूहिक श्राद्ध के लिए , हर वर्ष ज़िम्मेदारी से कार्य कर रहे , राजा राम जैन कर्मयोगी की पहचान ही , राम नाम सत्य की धुन से हो गई है , उनके मोबाइल , उनकी घंटी , उनके वाहनों के सुर यही हैं , वोह कहते हैं यही शाश्वत सत्य है , और वसुंधरा सरकार द्वारा स्वीकृत अंत्येष्टि योजना को पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सार्वजनिक हित व्यवस्था के तहत जिस तरह लागू की है , उससे राजस्थान भर में लावारिश शवों के अंतिमसंस्कार में मदद मिली है , वोह कहते हैं , अगर अंत्येष्टि ;मंत्रालय पृथक से घोषित हो जाए , तो अंतिम संस्कार स्थल , अंतिमसंस्कार व्यवस्था , वगेरा के बारे में एक नई सोच , नए कार्यक्रम बनेंगे , जो सभी धर्मों के हिसाब से , मृतक के परिजनों को व्यवस्था , सांत्वना देने वाला होगा , जबकि , मृतात्माओं के लिए यह एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी , उनके शवों को अपमानित होने से बचाया जा सकेगा ,
एक राजा , जो राजा राम हैं , कर्मयोगी हैं , लेकिन वोह रामलीला में ,राम का नहीं रावण का किरदार निभाते हैं , और आम जीवन में , उन्होंने राम के निर्देशों के पालन को अपना कर्म बना लिया है , वोह भूखों को रोटी खिलाते हैं , रोतों हुओं को हंसाते हैं , भटके हुओं को रास्ता दिखाते हैं , जो प्रतिभावान होते हैं , उनको उत्साहवर्धित कर जगाते हैं , लेकिन खास बात यह है के राजा राम जैन कर्मयोगी ,, मृतक लोगों के प्रति संवेदनशील हैं , उनके अंतिम संस्कार को लेकर चिंतित रहते हैं , ,आज कोटा में अंतिम संस्कार प्रर्किया में उनकी अपनी अहमियत है , अंतिम संस्कार की समाग्री , शमशान , क़ब्रिस्तान तक मृतक शरीर को पहुंचाने की व्यवस्था , आवश्यकता पढ़ने पर लकड़ियों की आवश्यकता पूर्ति , बाद में सामूहिक श्राद कार्यक्रम सभी तो वोह नियमित रूप से कर रहे हैं , ,यही वजह है के राजा राम जेन ,,, एक कर्मयोगी बन गए हैं , ,वोह भारत सरकार और राज्य सरकार सहित देश की अन्य राज्य सरकारों से लगातार मांग करते रहे हैं , के ज़िन्दों के बारे में तो सब सोचते हैं , लेकिन जो आत्मा शरीर छोड़ गई , सिर्फ शरीर रह गया , ऐसे में उनके अनितम संस्कार के लिए उनके अपने अपने , धर्म ,, रिवाजों के अनुरूप ,. सरकारी व्यवस्था के तहत अंतिम संस्कार करने की व्यवस्था हो , राजा राम कहते हैं यह बहुत बढ़ी समस्या है ,चिंतन का विषय है , इसके लिए राज्यों और केंद्रीय स्तर पर , अंतिम संस्कार मंत्रालय होना ही चाहिए जो , अपने अपने क्षेत्रों में ,, मृतक परिजनों को सांत्वना भी दे , उनके अपने धार्मिक रिवाज , धार्मिक स्वतंत्रता के अनुरूप सरकारी खर्च पर अंतिम संस्कार होना सुनिश्चित हो , वोह कहते हैं , हमारे देश के हर ज़िले में ,, वैसे भी लावारिस शवों की भी संख्या बढ़ती जा रही हैं , राजाराम जेन कर्मयोगी , जब अपने गांव में थे , तब उन्होने बचपन में देखा के बाढ़ , पानी , सड़कों की कमी , सहित कई अव्यस्थाओं के चलते , मृतक के अंतिम संस्कार में काफी दिक़्क़ते आती थीं , सामग्री नहीं मिलती थी , उनके दादा बीमार थे , लगभग मृतशय्या पर थे इस कारण पूर्व में ही उनके अंतिम संस्कार की सामग्री की व्यवस्था की गई थी , राजाराम कहते हैं , लेकिन होता वही है , जो ऊपर वाले को मंज़ूर होता है , हुआ उल्टा , दादा जी जीवित रहे , और दादी जी की मृत्यु हो गई , वोह अंतिम संस्कार की सामग्री उनके उपयोग में ली गई , ,बस कोटा प्रवास के बाद , उस घटना ने उन्हें , मृत्यु बाद जो शरीर बचता है , उसकी अंतिम संस्कार प्रक्रिया व्यवस्था में खुद को हवन कर दिया , प्रारम्भ में वर्ष 2000 के पूर्व से ही राजाराम ने पुराने कोटा सुन्दर धर्मशाला के पास , मृतक आत्माओं के सामूहिक श्राद्ध की व्यवस्था की , फिर बकराईद पूर्व क़ुर्बान किये जाने वाले बकरों को दूध ,, जलेबी , वगेरा खिलाकर उनको व्यंजन खिलाने की व्यवस्था की , उक्त कार्यक्रम लगातार चलते रहे ,खुद ,, अभिनय के रूप में रावण के रूप में प्रसिद्ध हुए , तो फिर , रावणों की सरकार , रावणों की यूनियन ही बना डाली , संदेश देना था , के रावण सिर्फ किरदार है , रावण बुरा नहीं , अच्छे काम करने वाले कई बुरे लोग भी हो सकते हैं , ,राजाराम जैन वर्ष 2000 से केंद्र और राज्य सरकार से मृतक लोगों की अंत्येष्टि , अंतिम संस्कार के लिए ,, अंतिम संस्कार मंत्रालय बनाने की मांग करते रहे हैं , , इनकी मांग तो अभी तक पूरी नहीं हुई , लेकिन इनके प्रयासों से , आंशिक रूप से वर्ष 2017 में वसुंधरा सरकार के कार्यकाल में अंतिम समय में ,, लावारिस मृतकों की अंत्येष्टि के लिए , छह हज़ार रूपये की अनुदान राशि की स्वीकृति हुई थी , फिर सरकार बदल गई , तो योजना ,, स्वीकृति भी ,, ठंडे बस्ते में चली गई , फिर आन्दोलन किया ,ज्ञापन दिए , गहलोत सरकार को शांति कुमार धारीवाल के ज़रिये कई बार निवेदन किया , सुनवाई हुई , और आज परिपत्र के माध्यम से कोटा ही नहीं पूरे राजस्थान में कहीं भी लावारिस मोत हो , तो उसके अंतिम संस्कार के लिए न्यूनतम छह हज़ार रूपये की मदद देना शरू किया गया है , , ,यूँ तो राजा राम जैन की कर्मयोगी सेवा संस्थान को , सम्पूर्ण राजस्थान की लावारिस शवों की अंत्येष्टि का ऑफर था , लेकिन उन्होंने सिर्फ कोटा को ही इस मामले में अपनी कर्म भूमि चुना है , और उनका कार्यक्षेत्र कोटा तक ही सीमित रखा है ,,, राजा राम जैन कर्मयोगी सेवा संस्थान को , 80 जी में करमुक्त होने की छूट है , लेकिन वोह इसका लाभ कई बार कुछ इनकम टेक्स पेयर के ऑफर आने के बाद भी नहीं लेते हैं ,,,,,,,,, जी हां दोस्तों, जो कर्मयोगी होते हैं, वोह आम जनता के दिलों के राजा होते हैं, ,जो रामभक्त होते हैं, मर्यादा पुरुषोत्तम राम , के बताये हुए रास्ते पर चलकर, लोगों की मदद ,लोगों की हिफाज़त , भाईचारा सद्भावना , के साथ , हर जीव के संरक्षण के बारे में सोचते हैं , ऐसे लोग, राजा भी होते है , राम भी होते हैं , ,और कर्मयोगी भी होते है,, इनका मंच के नाटकीय प्रदर्शन में , चाहे , रावण का किरदार हो, लेकिन असली ज़िंदगी में यह , राम के बताये हुए ,मर्यादित रास्ते पर चलकर , समाज में ,वैचारिक रूप से , रावण के विचारों को रोज़ मारने का काम करते है,, कर्मयोगी, यानी , हर तरह के संकट काल में ,कर्म किये जा , फल देगा भगवान की कहावत की तर्ज़ पर, मानवता , राष्ट्रिय एकता ,समरसता , साहित्यिक संवेदनशीलता के लिए लगातार कई सालों से , समर्पण भाव से काम कर रहे , भाई , राजाराम जैन कर्मयोगी की, , आज से पैंतीस साल पहले जब यह राजा राम मेरे सम्पर्क में थे , तब यह राजा राम थे , कर्मयोगी नहीं थे , यह चित्रकार थे , फनकार थे , रामलीला में रावण का अभिनय करने वाले कलाकार थे ,, लेकिन आम लोगों के दुःख दर्दों को बांटना , उनकी मदद करना , हर मुद्दे , हर समस्या में सेवाभाव से , ,ऐसी समस्याओं के निस्तारण का हिस्सेदार बनना ,, मनोरंजन ,,के साथ ,भाईचारा , सद्भावना ,, बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओं , ,लोगों का बचपन बचाओ , जैसे गंभीर मुद्दों पर लगातार काम करने वाले , भाई राजाराम ,आज मुखर है , राजाराम कर्मयोगी के रूप में प्रसिद्ध हैं , ,काम रावण का नाम रावण का ,,कलाकारी रावण की लेकिन काम मर्यादा पुरुषोत्तम राम के , अजीब बात है ना , लेकिन ,,,अजीब लेकिन सच्ची बात है ,,,,राजस्थान में शैक्षणिक नगरी कोटा की रामलीला में रावण का किरदार निभाने वाले राजाराम जेन कर्मयोगी ,,,,,जो रावण यूनियन के अध्यक्ष भी है ,,, समाज सेवी संस्था कर्मयोगी सेवा संस्थान चलाते है ,,,,,समाज में व्याप्त बुराइयों को खत्म करने का अंदाज़ इनका निराला होता है ,,,सियासत में मक्कारी फरेब और कार्यकर्ताओं की अनसुनी करने वालों के खिलाफ यह भेंस के आगे बीन बजाकर अपना दर्द बताते है तो रावण यूनियन के अध्यक्ष के नाते क़ौमी एकता का संदेश देने के लिए यह अपने राजस्थान भर की रावणों की टीम के साथ रावण के भेस में अजमेर ख्वाजा साहब की दरगाह पर शीश झुकाते है ,राजाराम कर्मयोगी दहेज़ के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए बिना दहेज़ का अनोखा विवाह रचाते है जबकि कलाकार मंडली को प्रोत्साहन देने के लिए पत्नी भी कलाकार लाते है ,,,कोटा की संस्कृति ,,खूबसूरती को प्रोत्साहित करने के लिए विवाह कार्डों में पर्यटन छपवाते है ,,,,,,,,,सड़कों पर भीख मांगते लोगों को भीख मांगना छोड़कर महनत से कमाने और पेट भरने का पाठ पढ़ाते है ,,,,,जो लोग लावारिस मरे है उनका अंतिम संस्कार करते है ,,उनका श्राद्ध करवाते है ,,,,,,,,अब तो दूर दराज़ इलाक़े में घर से शमशान तक जाने के लिए मुफ्त में शवयात्रा वाहन भी उपलब्ध कराते है ,,,,,,,,,,,कभी बकरों को बक़रईद के पहले दूध जलेबी खिलाते है तो भूखो को खाना प्यासों को शरबत पिलाते है ,,,,,,,,,,,कुल मिलाकर सच्ची मानव सेवा ना किसी पार्टी में ,,ना किसी संगठन में ,,न किसी धर्म में सिर्फ मानव सेवा पार्टी ,,,मानवीयता का पाठ ,,,एकता का संदेश ,,बुराइयों को अच्छाइयों से जीतने का संदेश ,,अपनों से अपनेपन के अहसास का संदेश ,,,,,,क़ौमी एकता का संदेश ,,हिलमिल कर प्यार से रहने का संदेश ,,भ्रष्टाचार मुक्त ,,बुराई मुक्त समाज के निर्माण का संदेश यह रावण का किरदार निभाने वाला शख्स अपनी पत्नी और दोस्तों के साथ मिलकर पुरे राजस्थान में दे रहे है ,,ऐसी महान हस्ती को सलाम सेल्यूट ,,,,,,प्रसिद्ध कलाकार ,,समाज सुधार चिंतक ,,श्री कर्मयोगी सेवा संस्थान के ,,अध्यक्ष राजाराम कर्मयोगी के नेतृत्व में ज़िलाकलेक्टर पर ,,प्रदर्शनी के माध्यम से आम लोगों में ,,भारत का नाम सम्मान से लेने के लिए ,,भारत के पहले श्री लगाकर श्री भारत के नाम से अधिसूचना जारी करवाने की मांग को लेकर कलात्मक प्रदर्शन के बाद ,,कोटा कलेक्टर के ज़रिये ,,राष्ट्रपति महोदय ,,प्रधानमंत्री महोदय ,,लोकसभा अध्यक्ष के नाम ज्ञापन देकर इसे बदलने की मांग लगातार की जाती है , ,,राजाराम कर्मयोगी का कहना है ,,के भारत एक सम्मानीय शब्द है ,,हमारा भारत विश्व गुरु है ,,विश्व का सबसे बढ़ा लोकतंत्र है ,,,फिर भी भारत के नाम के पहले श्री नहीं लगने से भारत के सम्मान में कमी है ,,ऐसे में भारत के पूर्व श्री शब्द जोड़कर ,,श्री भारत के रूप में पहचान बनाना आवश्यक है ,,ताके भारत के लोग और विदेश के लोग जो भी हो वोह भारत का नाम सम्मान से श्री लगाकर ,,सम्बोधित करे ,,,,चर्चा के दौरान चिंतन अनछुए मुद्दो पर भी हुआ ,,एक राष्ट्रपति शब्द जो भारत राष्ट्र का पति बनता है ,,हर पांच साल में बदल जाता है ,,इस शब्द से महिलाओ के सम्मान में कमी आती है ,,एक महिला प्रतिभा पाटिल भी राष्ट्रपति बनी ,,लेकिन उन्हें महिला होने के बाद भी पुर्लिंग शब्द के तहत ,,राष्ट्रपति ही कहना मजबूरी रहा ,,जबकि राष्ट्राध्यक्ष ,,शब्द उपयुक्त है ,,राष्ट्रपक्षी मोर ,,राष्ट्रिय पशु शेर ,,राष्ट्रिय पुष्प कमल ,,यानि बाक़ी दूसरे पशु ,,दूसरे पक्षी ,,दूसरे फूल तो राष्ट्र के लिए कोई अहमियत रखने वाले ही नहीं रहे ,,,,,इस मामले में राजाराम कर्मयोगी ,,अध्ययन और चिंतन कर कुछ नए सुझावों के साथ एक अलग से ज्ञापन भारत सरकार को जागरूक करने के लिए अनोखी प्रदर्शनी के साथ देते रहे है ,, लोकसभा में , महिला राष्ट्रपति को , राष्ट्रपत्नी के रूप में स्लिप ऑफ़ टंग को लेकर चाहे भारत में हंगामा हुआ हो , लेकिन राजा राम कर्मयोगी , इस मामले में ,, आज से दस साल पहले से चिंतित हैं , और भारत के नाम , सम्मान , स्वाभिमान को बचाने के लिए लॉजिकली , तार्किक तरीकों से आवाज़ उठा रहे हैं , ,भाई राजाराम , कलाकार हैं , तो कभी कलाकारी के ज़रिये , तो कभी , अभिनेता होने के नाते , ,भैंस के आगे बीन बजाकर , अभिनय के ज़रिये , कभी कठपुतली के खेल के ज़रिये, ,यह सरकार के खिलाफ समस्याओं के समाधान को लेकर, संघर्षरत , प्रयासरत रहते हैं