जैसलमेर । जैसलमेर जिले में आगामी पर्व अक्षय तृतीया (30 अप्रैल) और पीपल पूर्णिमा (12 मई) के अवसर पर संभावित बाल विवाहों की प्रभावी रोकथाम के लिए जिला मजिस्ट्रेट एवं जिला कलक्टर प्रताप सिंह ने सभी उपखंड अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों, तहसीलदारों और विभागीय अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
उन्होंने कहा कि इन तिथियों पर विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अबूझ सावा मानते हुए बाल विवाह होने की संभावना बनी रहती है, जिसे रोकने के लिए पुख्ता और प्रभावी कदम उठाए जाएं। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अनुसार यह एक दंडनीय अपराध है, अतः इसकी रोकथाम में कोई कोताही न बरती जाए।
प्रशासन द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि ग्राम व तहसील स्तर पर पदस्थ सभी सरकारी कार्मिक जैसे वृत्ताधिकारी, थानाधिकारी, पटवारी, भू-अभिलेख निरीक्षक, ग्राम विकास अधिकारी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, महिला सुरक्षा सखी, शिक्षक, पंचायत प्रतिनिधि, सरपंच व वार्ड पंच बाल विवाह की रोकथाम हेतु व्यापक जन-जागरूकता फैलाएं।
जिला मजिस्ट्रेट ने कहा कि उपखंड मजिस्ट्रेट, जो कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी नियुक्त हैं, वे अपने क्षेत्रों में बाल विवाह की सूचना मिलने पर त्वरित कार्रवाई करें। अगर उनके क्षेत्र में बाल विवाह होता है तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
कार्य योजना के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:
सभी महिला समूहों, स्वयं सहायता समूहों, स्वास्थ्य और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना।
विवाह में सहयोगी जैसे पंडित, हलवाई, टेंट, बैंड-बाजा व ट्रांसपोर्ट वालों से सहयोग न करने का लिखित आश्वासन लेना और उन्हें कानूनी जानकारी देना।
जनप्रतिनिधियों व ग्रामीण प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ चेतना बैठकें आयोजित कर जागरूकता फैलाना।
ग्राम सभाओं के माध्यम से बाल विवाह के दुष्प्रभावों पर चर्चा करना।
किशोरियों, महिला समूहों, और विभागीय टीमों के साथ मिलकर रोकथाम की ठोस कार्रवाई सुनिश्चित करना।
जिला प्रशासन ने सभी संबंधित विभागों को निर्देशित किया है कि वे समय रहते योजना बनाकर सख्ती से अमल करें और बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई को जड़ से समाप्त करने के लिए ठोस प्रयास करें।