जैसलमेर । कृषि विज्ञान केन्द्र जैसलमेर द्वारा खड़ीन प्राकृतिक खेती एवम प्रसंस्करण आयाम विषयक कृषक वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम का एकलपार, रामगढ़, जैसलमेर में आयोजन किया गया।
संवाद कार्यक्रम के दौरान कार्यक्रम के अध्यक्ष कुलपति डॉ अरुण कुमार, स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय ने खड़ीन के कृषक परिवार खड़ीन चने एवम गेहूं से बनाये गए मूल्य संवर्धित उत्पाद खड़ीन चना नान खटाई को बाजार में खड़ीन को पहचान के रूप में स्थापित करे एवं निर्माण एवम प्रसंस्करण की दिशा में सतत प्रयास करते रहे। डॉ. मनमोहन सिंह चौहान, कुलपति, गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रोधोगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर उत्तराखंड ने खड़ीन के किसानों संगठित रूप में खेती एवं कृषक महिलाओ को स्वय सहायता समूह में अधिक से अधिक महिलाओ की भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए।
इस अवसर पर डॉ बिजेन्द्र सिंह, कुलपति, आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रोधोगिकी विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश ने खड़ीन क्षेत्र की मृदा की उपजाऊपन एवं जल धारण क्षमता को बढाने के लिए पालतू पशुओं जैसे गाय, बकरी एवं भेड़ के अपशिष्ट की खाद बनाकर खेत में डालने पर जोर दिया। कार्यक्रम में प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. प्रकाश सिंह शेखावत ने कृषकों के प्रसंस्कृत उत्पादों को लघु उद्यम रूप में जिले में शुरू करने को प्रोत्साहित किया ताकि खड़ीन की उपज चना को उचित पहचान के साथ दाम भी मिले।
इस मौके पर कृषि विज्ञान केंद्र जैसलमेर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा दीपक चतुर्वेदी ने खड़ीन मूल्य संवर्धित उत्पाद नान खटाई को बीएसएफ एवं होटल इण्डट्री के माध्यम से विपणन कर व्यवसायिकरण की दिशा में किए जा रहे केंद्र गतिविधियों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन केंद्र की गृह वैज्ञानिक डॉ. चारू शर्मा ने करते हुए कृषि विज्ञान केंद्र जैसलमेर द्वारा खड़ीन चना मूल्य संवर्धित कौशल विकास प्रशिक्षण एवम महिला कृकृषकों के समूह निर्माण गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम में एकलापार, डबलापर खड़ीन के कृषकों ने भाग लेकर अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम का प्रबंधन मृदा वैज्ञानिक डॉ बबलू शर्मा ने किया।