जैसलमेर बालिका शिक्षा प्रोत्साहन व बाल संरक्षण के लिए ज्ञान को बढ़ाने, व्यवहारिक कौशल से सशक्त बनाने और समुदाय के भीतर प्रत्येक बालक-बालिका के अधिकारों की सुरक्षा के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता को बढ़ावा देने) बच्चों व बालिकाओं के लिए सुरक्षात्मक वातावरण बनाने) उनका कल्याण और समग्र विकास सुनिचित् करने के उद्देश्य से प्रधानाध्यापकों) अध्यापकों) एस-डी-एम-सी सदस्यों में बालिका शिक्षा प्रोत्साहन व बाल संरक्षण के लिए सामाजिक व्यवहार परिवर्तन विषय पर महिला अधिकारिता विभाग) शिक्षा विभाग व एक्शन एड-यूनिसेफ़ के संयुक्त तत्त्वाधान में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजनांतर्गत राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, बिदा में उपखंड स्तरीय प्रक्षिशण सत्र का आयोजन एवं बालिका शिक्षा का महत्व विषय पर बालिकाओं के साथ संवाद किया ।
महिला एवं अधिकारिता विभाग के उप निदेशक अशोक गोयल ने बताया कि प्रक्षिशण के दौरान मुख्य प्रशिक्षक एवं एक्शन एड-यूनिसेफ़ ज़िला समन्वयक ज़हीर आलम ने गतिविधियों के माध्यम से इच्छाओं और आवश्यकताओं के माध्यम से बाल अधिकारों व बाल संरक्षण को समझाते हुए कहा कि अलग-अलग लोगों की इच्छाएं और ज़रूरतें अलग-अलग होती हैं, लेकिन अधिकार बुनियादी ज़रूरतें हैं जो सभी के लिए समान हैं। हर बच्चे के पास अधिकार हैं, इसमें कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह किस क्षेत्र/राज्य से हैं, किस समुदाय या धर्म से हैं, उनकी उम्र कितनी है, वे लड़का है या लड़की, दिव्यांग है या नहीं-सभी के अधिकार समान है। किसी भी स्थिति में अधिकारों से समझौता नहीं किया जा सकता। अधिकारों का मुख्य पहलू यह है कि वह अविभाज्य हैं। एक अधिकार दूसरे अधिकार की जगह नहीं ले सकता और सभी अधिकार समान रूप से महत्वपपूर्ण हैं। कोई यह नहीं कह सकता कि यदि किसी बच्चे को जीवित रहने का अधिकार है तो सुरक्षा का अधिकार महत्वपूर्ण नहीं है। सभी इच्छाएं जरूरत नहीं होती हैं लेकिन कुछ निश्चित रूप से हैं। जैसे-जीवित रहने के लिए आवश्यक चीज़े-भोजन, स्वास्थ्य, देखभाल, आश्रय। संरक्षक के रूप में हम सब को यह जानने की ज़रुरत है कि क्या हो रहा है था। उन्हें केवल व्यक्तियों के रूप में नहीं, बल्कि एक समूह के रूप में एकजुट करने और रक्षा करने की आवश्यकता है।
दूसरे सत्र में बाल अनुकूल संचार का महत्व पर बात करते हुए कहा कि बच्चों के साथ संवाद करना वयस्कों की तुलना में अलग होता है, यदि हम उनसे गुस्से और धमकी भरे अंदाज में बात करते हैं तो वह डर सकते हैं, परिणाम स्वरुप हो सकता है कि वह हमसे खुलकर बात ना करें बच्चों के साथ खुद अच्छे उदाहरण बने, यदि आप नहीं चाहते कि बच्चे कुछ शब्दों का उपयोग ना करें, तो आपको भी उनका उपयोग नहीं करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि बाल संरक्षण के लिए समावेशी वातावरण को बढ़ावा दे जिसके लिए सामुदायिक नेटवर्क को मजबूत करने की आवश्यकता है। व्यापक बाल संरक्षण व बालिका शिक्षा प्रोत्साहन के लिए टीम वर्क और सहयोग महत्वपूर्ण है। लिंगाधारित भेदभाव, बाल श्रम, बाल शोषण) बाल विवाह आदि मामलों का समाधान एक सुव्यवस्थित टीम के माध्यम से ही किया जा सकता है। प्रक्षिशण उपरांत विद्यालय में उपस्थित विद्यार्थियों को साक्षरता दिवस की जानकारी देते हुए शिक्षा की महत्ता पर संवाद किया तथा बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए क्रिर्यांवित शिक्षा सेतु योजना की जानकारी दी। इस प्रक्षिशण में अध्यापक रूपाराम) प्रवीण कुमार) गेमराराम) मोतीलाल) मानेर्श्व व्यास) मेघराज मीना व एसडीएमसी सदस्य लखसिंह, टिकमसिंह, लीलुसिंह, मूली व सामाजिक कार्यकर्ता क़ुर्बानखान तथा साथ ही इन्द्र कृपा विकास संस्थान प्रतिनिधि आदि उपस्थित रहे। -