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विशेष टिप्पणी राहुल गाँधी का दर्द छलका

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16 Mar 25
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विशेष टिप्पणी  राहुल गाँधी का दर्द छलका

 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा सांसद राहुल गाँधी ने हाल ही गुजरात दौरे में पार्टी कार्यकताओं के सामने अपना दर्द जाहिर किया। उन्होंने कहा कि जिस प्रदेश ने कांग्रेस को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी और लोह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे नेता दिए अथवा यह कहें कि कांग्रेस पार्टी को मूल नेतृत्व गुजरात ने ही दिया,इसके बाबजूद पिछले तीन दशकों से हम गाँधी जी के इस प्रदेश में सत्ता के बाहर हैं। उन्होंने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि भाजपा से मिली भगत करने वाले कांग्रेसियों को खोज कर उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए।

पिछले शनिवार को गुजरात के अहमदाबाद में पार्टी कार्यकर्ताओं और निकाय चुनाव के पूर्व उम्मीदवारों की एक सभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को मूल नेतृत्व गुजरात ने दिया,जिसने हमें सोचने,लड़ने और जीने का तरीका सिखाया। उन्होंने कहा कि   गांधीजी के बिना कांग्रेस पार्टी देश को आज़ादी नहीं दिलवा पाती और गुजरात के बिना गांधी जी नहीं होते। उनके एक कदम पीछे, गुजरात ने हमें सरदार पटेल जी जैसे महान नेता को भी दिया। आज हमें कांग्रेस की उसी मूल विचारधारा पर लौटना होगा, जो गुजरात की विचारधारा है ,जो गांधी जी और सरदार पटेल जी ने हमें सिखाई थी।

राहुल गांधी ने संजीदगी से भरे नपे तुले शब्दों में कहा कि हमें जनता के बीच जाना होगा,उनकी बातें सुननी होंगी। हमें दिखाना होगा कि हम सिर्फ नारे लगाने नहीं, बल्कि उनकी समस्याओं का समाधान ढूंढने आए हैं। 'भारत जोड़ो यात्रा' से हमने साबित किया कि कांग्रेस आसानी से जनता से जुड़ सकती है। जैसे ही हम यह बदलाव लाएंगे और अपने कर्तव्यों को निभाने लगेंगे, गुजरात के लोग हमारे साथ खड़े हो जाएंगे।

राहुल ने कहा कि आज गाँधी जी और पटेल जी का वही गुजरात एक नया रास्ता और विकल्प ढूंढ रहा है। यहां के छोटे व्यापारी,उद्यमी,किसान आदि सब संकट में हैं। डायमंड, टेक्सटाइल और सिरेमिक इंडस्ट्रीज बर्बाद हो रही हैं। गुजरात के लोग कह रहे हैं कि हमें नया विज़न चाहिए, क्योंकि जो विज़न पिछले 20-25 साल से चल रहा है, वह पूरी तरह फेल हो चुका है क्योंकि यह सकारात्मक नहीं वरन नकारात्मक विजन हैं। गुजरात नया विकल्प चाह रहा है, लेकिन कांग्रेस पार्टी उसे दिशा नहीं दिखा पा रही है। यह सच्चाई है और इसे कहने में मुझे कोई शर्म या डर नहीं है।

कांग्रेस नेता गांधी ने कहा है कि गुजरात में कांग्रेस का नेतृत्व बंटा हुआ है और वो गुजरात को रास्ता दिखा नहीं पा रहा। उन्होंने गुजरात में कांग्रेस नेतृत्व को लेकर कहा कि यहां के नेतृत्व में दो तरह के लोग हैं, कुछ वो हैं जो जनता के साथ खड़े हैं और जिनके दिल में कांग्रेस की विचारधारा है और दूसरे वो हैं जो जनता से कटे हुए हैं और इसमें से भी आधे भाजपा से मिले हुए हैं। अगर हमें सख्त कार्रवाई करनी पड़े और पार्टी से दगाबाजी कर रहें 30 से 40 लोगों को निकालना भी पड़े तो, उन्हें निकाल देना चाहिए। राहुल गांधी ने इस दौरान एक वाकये का ज़िक्र करते हुए अपनी ही पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस रेस के घोड़े को बारात में भेज देती है और बारात के घोड़े को रेस में भेज देती है।

राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा कि, "मैं गुजरात के युवाओं, किसानों, छोटे व्यापारियों और अपनी बहनों के लिए यहां आया हूं। मैंने खुद से पूछा कि मेरी और कांग्रेस पार्टी की क्या जिम्मेदारी है? तकरीबन पिछले 30 सालों से हम यहां सरकार में क्यों नहीं हैं। जब तक हम अपनी जिम्मेदारी को पूरा नहीं करेंगे, तब तक गुजरात की जनता हमें चुनाव में विजयी नहीं बनाएगी। जिस दिन हमने अपनी जिम्मेदारी पूरी कर दी, उसी दिन गुजरात के सभी लोग कांग्रेस पार्टी को अपना समर्थन दे देंगे।

राहुल गांधी ने कहा कि जब कांग्रेस पार्टी को अंग्रेजों का सामना करना पड़ा,तो हम हर जगह नेतृत्व की तलाश कर रहे थे। अंग्रेज हमारे सामने थे। कांग्रेस पार्टी भारत के लोगों का प्रतिनिधित्व करती थी,लेकिन हमारे पास कोई बड़ा नेता नहीं था। ये बड़ा नेता कहां से आया?यह नेता दक्षिण अफ्रीका के रास्ते से आया। महात्मा गांधी कौन थे और उन्हें हमें किसने दिया? दक्षिण अफ्रीका ने उन्हें हमें नहीं दिया। गुजरात ने कांग्रेस पार्टी को हमारा मूल नेतृत्व दिया और उस नेतृत्व ने हमें सोचने का तरीका, लड़ने का तरीका, जीने का तरीका दिया। गांधी जी के बिना, कांग्रेस पार्टी देश को आजादी नहीं दिला पाती और गुजरात के बिना, गांधी जी नहीं होते। अगर हमें रास्ता दिखाया गया, हमारे संगठन को रास्ता दिखाया गया, भारत को रास्ता दिखाया गया, तो गुजरात ही वह था जिसने हमें रास्ता दिखाया।

राहुल गांधी ने कहा, गुजरात की जनता विकल्प चाहती है। बी टीम नहीं चाहती है। मेरी जिम्मेदारी कांग्रेस के उन दो ग्रुप्स को छानने की है जो अपनी भूमिका का सही ढंग से अंजाम दें। हमारे पास बब्बर शेर हैं। मगर इनके पीछे चेन लगी हुई है। वे पीछे से बंधे हुए हैं। कुछ भाजपा से मिले हुए हैं,ऐसे नेताओं को निकालना पड़ा तो निकाल देना चाहिए जो बीजेपी के लिए अंदर से काम कर रहे हो। उन्होंने कहा कि भाजपा वाले भी अपना काम निकल जाने के बाद उन्हें बाहर फेंक देंगे। उन्हें यह समझना होगा।

अपने दो दिवसीय गुजरात दौरे के दूसरे दिन पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राहुल गांधी  ने कहा कि पार्टी का पहला काम कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं के इन दो समूहों को अलग करना है। पहला जो पार्टी की विचारधारा को अपने दिल में रखते हैं और जनता के साथ खड़े हैं और दूसरे जो जनता से कटे हुए हैं और  भाजपा के साथ हैं। उन्होंने कहा कि इन दोनों समूहों का पता लगाना होगा,भले ही इसके लिए कुछ लोगों को हटाने की सख्त कार्रवाई ही क्यों नहीं करनी पड़े। जब तक दोनों समूहों को अलग नहीं किया जाता, तब तक गुजरात के लोग पार्टी पर विश्वास नहीं करेंगे।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी का यह गुजरात दौरा 2027 के विधानसभा चुनावों पर केंद्रित था,जिसके लिए उन्होंने पार्टी की राज्य इकाई में बड़े बदलाव के संकेत दिए। उन्होंने जो5 देकर कहा हमारे जिला, ब्लॉक अध्यक्षों और वरिष्ठ नेताओं के दिलों में पार्टी के लिए जगह होनी चाहिए। उन्हें अपनी रगों में कांग्रेस को लेकर चलना चाहिए। चुनाव जीतने और हारने के मुद्दे को एक तरफ रख दें। जैसे ही हम ऐसा करेंगे, गुजरात के लोग हमारे संगठन से जुड़ना चाहेंगे और हम उनके लिए दरवाजे खोल देंगे। उन्होंने दावा किया कि राज्य के लोग बूरी तरह फंसे हुए हैं विशेष कर किसान, हीरा, कपड़ा, सिरेमिक उद्योग आदि खस्ता हालमें है।

राहुल ने कहा कि गुजरात आगे बढ़ना चाहता है, लेकिन उसे आगे का रास्ता नहीं दिख रहा है और प्रदेश कांग्रेस उसे रास्ता दिखाने में असमर्थ है। राहुल ने कहा, ‘मैं यह किसी शर्म या डर से नहीं बोल रहा हूं, लेकिन मैं आपके सामने यह बात रखना चाहता हूं कि हम गुजरात को रास्ता दिखाने में असमर्थ हैं।’ कांग्रेस नेता ने कहा कि जब तक हम अपनी जिम्मेदारियां पूरी नहीं करेंगे, गुजरात के लोग हमें चुनाव नहीं जिताएंगे। जिस दिन हम अपनी जिम्मेदारियां पूरी कर लेंगे,मैं गारंटी दे सकता हूं कि गुजरात के सभी लोग हमारा समर्थन करेंगे।

राहुल गाँधी के इस बयान पर भाजपा ने कहा है कि ये बयान राहुल की हताशा और उनकी विचित्र मन:स्थिति का प्रमाण है। वहीं कांग्रेस का कहना है कि राहुल गाँधी ने एक संजीदा नेता की तरह पार्टी को नया रास्ता दिखाते हुए कहा है कि अगर हमें बीजेपी से लड़ना है तो पार्टी की मूल विचारधारा पर चलते हुए निडर होकर विभाजनकारी ताकतों का सामना करना होगा।


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