राजस्थान सरकार निदेशालय यूनानी चिकित्सा विभाग के अंतर्गत मस्जिद गली भीमगंज मण्डी कोटा जंक्शन स्थित राजकीय यूनानी औषधालय उत्तर कोटा में कार्यरत वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी व प्रभारी डॉ मोहम्मद शमीम खान, एम. डी. (युनानी) ने बताया कि सरवाइकल डिस्टोनिया नामी बीमारी से 6 साल से ग्रस्त एक 64 वर्षीय महिला रेहाना निवासी विज्ञान नगर कोटा उनके पास युनानी चिकित्सा के लिए 24 मार्च 2021 को आईं। उनकी गर्दन में दर्द अर्व खिंचाव रहता था। गर्दन स्वतः पीछे की तरफ मुड़ जाती थी। सिर हिलता रहता था। शरीर का बैलेंस बिगड़ गया था। आगे देखना और चलना फिरना मुश्किल हो रहा था। सपोर्ट के लिए नेक कॉलर लगा हुआ था। शुगर की समस्या भी थी। रोगी ने न्यूरो विशेषज्ञ द्वारा एम्स दिल्ली से एक बार जयपुर से तीन साल तक और कोटा से तीन साल तक लगातार एलोपैथिक उपचार लिया लेकिन कोई खास फायदा नहीं हुआ। विशेषगों ने इस बीमारी को ला इलाज बताया। सिर्फ लक्षण अनुसार इसका इलाज किया जा रहा था।
भूतपूर्व विवरण लेने पर ये पता चला कि छः साल पूर्व मरीज़ ने पित्ताशय की पथरी का ऑपरेशन करवाया था। आपरेशन के बाद जख्म शुगर के कारण भर नहीं पाया और उस में टी. बी. का इंफेक्शन हो गया जिस का इलाज एलोपैथी डॉट्स ड्रग्स द्वारा लगातार 8 महीना तक किया गया था। डॉट्स ड्रग्स उपयोग में लेते ही सर्वाइकल डिस्टोनिया के लक्षण जाहिर होने लगे थे और 8 महीना के बाद तो सर्वाइकल डिस्टोनिया पूर्ण रूप से विकसित हो चुका था। इस का अर्थ यह होता है डॉट्स ड्रग्स के दुष्प्रभाव से इस मरीज में सर्वाइकल डिस्टोनिया उत्पन्न हुआ।
डॉ. खान ने इस रोगी को खट्टे खाद्य पदार्थ से परहेज़ बताते हुए दाफे ए तशन्नुज (मांसपेशियों की ऐंठन दूर करने वाली), मुक़व्वी ए आसाब (तंत्रिका को ताक़त देने वाली), दाफे ए समिय्यत (तंत्रिका के विषाक्त प्रभाव को दूर करने वाली) कुदरती जड़ी बूटियों से तैयार मिश्रित युनानी औषधियों द्वारा सर्वाइकल डिस्टोनिया का उपचार शुरू किया। प्रारंभिक चिकत्सा से गर्दन के दर्द, खिंचाव और कंपन में आराम मिला। युनानी उपचार के एक महीना बाद नेक कॉलर जो पिछले छः वर्षों से लगाना पड़ रहा था वह हट गया। धीरे धीरे सर्वाइकल डिस्टोनिया के सभी लक्षणों में कमी आती गई। युनानी इलाज मरीज ने लगातार 30 सितंबर 2023 तक लिया। इस के बाद रोगी के गर्दन में दर्द, खिंचाव, पीछे मुड़ना और कंपन पूरी तरह से खत्म हो गया। गर्दन बिलकुल सीधी हो गई। शरीर का बैलेंस बनने लगा। आगे देखने में और चलने फिरने में कोई दिक्कत नही हो रही है। वह दिन चर्या के काम काज आसानी से कर लेती हैं। फलस्वरूप इस तरह ढाई साल युनानी उपचार लेने के बाद एक ला इलाज बीमारी सर्वाइकल डिस्टोनिया से मरीज़ को छुटकारा मिला। मेडिकल हिस्ट्री में शायद ये पहला मामला है कि बिना आपरेशन और बिना एलोपैथी औषधि लिए सिर्फ युनानी चिकत्सा से सरवाइकल डिस्टोनिया पूरी तरह ठीक हो गया।
डॉ. खान का यह भी कहना है कि यूनानी मेडिसिन से इलाज करने पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है और रोग से जल्द उबरने में मदद मिलती है। इसके अतिरिक्त दवाओं के दुष्प्रभाव से लिवर किडनी और दूसरे ऑर्गन को भी बचाया जा सकता है।
डॉ खान पूर्व में फालिज, लकवा, कंपवात, माइग्रेन, सायटिका, फ्रोजन शोल्डर, पोस्ट ट्राउमेटिक सर्वाइकल माइलोपैथी सहित मांसपेशियों और जोड़ों से संबंधित बीमारियों और अन्य कई जटिल रोगों का युनानी चिकित्सा पद्धति द्वारा सफल इलाज कर चुके हैं।