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निपाह वायरस का कहर हर वर्ष क्यों : डॉ. लियाकत अली मंसूरी 

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24 Jul 24
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निपाह वायरस का कहर हर वर्ष क्यों : डॉ. लियाकत अली मंसूरी 

                मनुष्यों में निपाह वायरस के संक्रमण से श्वसन तन्त्र और तंत्रिका तंत्र प्रभावित होते हैं इसलिए इसे पोर्सिन रेस्पिरेटरी  और न्यूरोलॉजिक सिंड्रोम या इंसेफेलिटिक सिंड्रोम या बार्किंग पिग सिंड्रोम के नाम से जाना जाता हैं । निपाह वायरस चमगादड़ , सूअर या दूषित खाद्य पदार्थों द्वारा मनुष्यों में फैलता है या यह सीधे मनुष्य से मनुष्य में भी फैलता है । ख़ासकर टेरोपोडिडे परिवार के फल चमगादड़ निपाह वायरस के प्राकृतिक मेजबान हैं। 

निपाह वाइरस क्या है __
                निपाह वायरस (NiV) एक जूनोटिक वायरस है यानी यह जानवरों से मनुष्यों में फैलता है और यह दूषित भोजन के माध्यम से या सीधे व्यक्ति से व्यक्ति में फैलता है। 
                    
                 अधिकांश मानव में संक्रमण बीमार सूअरों के स्राव के असुरक्षित सम्पर्क या उनके दूषित ऊतकों के सीधे संपर्क से उत्पन्न हुए । बांग्लादेश और भारत में संक्रमित फल चमगादड़ों के मूत्र , रक्त और नाक, लार से दूषित फलों या फलों से बने उत्पादों जैसे कच्चे खजूर रस के सेवन से सबसे ज्यादा संक्रमण हुआ ।

 लक्षण__व्यक्ति में पहले बुखार , सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, गले में खराश के बाद खांसी और श्वास संबंधित समस्याएं आने लगती हैं और फिर दिमाग़ में सूजन आने से मानसिक स्थिति में परिवर्तन होने लगते हैं जिससे चक्कर आना, उनींदापन, चेतना में बदलाव , दौरे जैसे न्यूरोलॉजिकल संकेत और बाद में कोमा में जाकर मृत्यु भी हो जाती हैं । तीव्र संक्रमण होने से व्यक्ति 24 से 48 घंटों के भीतर ही कोमा में जा कर मृत्यु प्राप्त हो जाती हैं ।

 संक्रमण की अवधि __ संक्रमण से लेकर लक्षण दिखने तक का अंतराल 4 से 14 दिनों का होता हैं कुछ में 45 दिनों तक की अवधि वाले संक्रमित भी पाए गए हैं ।  
      
निपाह वाइरस के वाहक कौन कौन__
                फल चमगादड़ के अलावा पालतू पशुओं में भी निपाह वायरस सबसे ज्यादा सूअरों में , घोड़े, बकरी, भेड़, बिल्ली और कुत्ते में पाया जाता है। निपाह वायरस के प्रकोप की सूचना सबसे पहले 1999 में मलेशिया में मिली थी ।

क्या निपाह वाइरस से ख़ुद वाहक भी बीमार होते हैं ?__
                 ज्यादातर संक्रमित सूअर में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते , लेकिन कुछ में तीव्र ज्वर,सांस लेने में कठिनाई, और तंत्रिका संबंधी लक्षण जैसे कि कांपना, मरोड़ना और मांसपेशियों में ऐंठन होना पाया गया। आम तौर पर, युवा सूअरों को छोड़कर इनमें मृत्यु दर कम होती है। यदि सूअरों में असामान्य भौंकने वाली खांसी या मनुष्यों में एन्सेफलाइटिस के मामले मौजूद हों, तो निपाह वायरस को संदेह में लेकर तुरन्त ईलाज और परिक्षण कर ईलाज शुरू कर देना चाहिए।

रोकथाम__
             सार्वजनिक स्थानों पर मास्क का प्रयोग करें । खांसते_छींकते समय रुमाल या टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करना चाहिए ।

निपाह वाइरस की आयु __
                निपाह वाइरस अनुकुल परिस्थितियों में लम्बे समय तक जीवित रह सकते हैं। यह चमगादड़ के मूत्र और दूषित फलों के रस में भी कई दिनों तक जीवित रह सकते हैं।

 यूनानी चिकित्सा __
                    फिलहाल अभी तक कोई उचित दवा या टीका नहीं है। इसमें आराम, जलयोजन और लक्षणों का उपचार किया जाता हैं । इसमें चांदीपुरा वाइरस की तरह ही लक्षणों के आधार पर ही ईलाज करते हैं __हब्बे बुखार, शर्बत खाकसी, खमीरा आबरेशम हकीम अरशद वाला, लऊक सपिस्ता ,शर्बत सिनफ्लू, इन्फ्लूएंजा ड्रॉप, जवारीश तमरहिंदी, हब्बे अजारकी दी जाती हैं । ईलाज अनुभवी यूनानी चिकित्सक द्वारा ही कराएं । 


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