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भारतीय संस्कृति द्वारा दुनिया को दिया गया अनमोल उपहार है योग  

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21 Jun 24
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भारतीय संस्कृति द्वारा दुनिया को दिया गया अनमोल उपहार है योग  


उदयपुर,   योग एक ऐसी कला है जो कि विश्व भर में लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर रही है। आम जनमानस में शांति और सद्भाव क़ायम करने के लिए योग एक बेहतरीन अभ्यास है । यह हमारे पूर्वजों द्वारा समूचे विश्व को दिया गया एक अनमोल  उपहार है और यही कारण है कि संपूर्ण विश्व योग दिवस को बहुत ज़ोर—शोर से मनाता है । प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी  ने भारतीय योग पद्धति को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए सितंबर 2014 में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पहल की। जिसके बाद 21 जून 2015 को पहली बार 170 से अधिक देशों ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस एक साथ मनाया।
इस वर्ष  योग दिवस 2024 की  थीम योग: स्वयं एवं समाज के लिए,जिसका अर्थ है स्वयं स्वस्थ रहना और साथ में समाज  को स्वस्थ रखना। स्वयं स्वस्थ रहेंगे तभी हम समाज को स्वस्थ रख पाएंगे । ख़ुद को स्वस्थ रखने के लिए प्रतिदिन योग का अभ्यास करें। योग शरीर को स्वस्थ रखता है, साथ ही मानसिक स्वास्थ्य को भी सकारात्मक ऊर्जा देता है। योगाभ्यास पुरानी से पुरानी बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है । यह एक धीरे—धीरे ठीक करने वाला अभ्यास है जिस से कोई हानि नहीं है। हम जब भी योगाभ्यास करे, किसी योग प्रशिक्षक की सलाह लेकर करे।
योग के प्रति जागरूकता बढ़ाने और  योग  के महत्व को समझाने के लिए हर साल योग दिवस मनाया जाता है । योग के नियमित अभ्यास से तन और मन को शांति का अनुभव होता है ।इस तेज दौड़ भागती ज़िंदगी में अक्सर लोग मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। योग से मानसिक स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने में बहुत मदद मिलती है ।केवल मानसिक स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि योग से कई गंभीर शारीरिक समस्याओं से भी निजात पा सकते  है। योग मात्र शरीर को स्वस्थ रखने का साधन न होकर बल्कि उससे कई अधिक है।
यह एक जीवन जीने की कला है,एक पूर्ण चिकित्सा पद्धति है। हमारे शास्त्रों में इसका अंतिम लक्ष्य मोक्ष है । दरअसल योग संपूर्ण मानवता को भारतीय संस्कृति की और से वो अमूल्य तोहफ़ा है  जो शरीर और मन, मनुष्य और प्रकर्ति के बीच एक सामंजस्य स्थापित करता हैं। यह हर भारतीय लिए गर्व का विषय है कि 2015 में हमारे प्रधानमंत्री जी के प्रयासों से 21 जून को विश्व के हर कोने में योग दिवस जोर शोर से मनाया जाता है।193 सदस्य देशों में से 177 सदस्य देशों का समर्थन इसके लिए प्राप्त हुआ।
योग का ज्ञान सर्व प्रथम आदि  गुरु भगवान शिव ने सप्तऋषियों को दिया था। कहा जाता है कि योग विद्या का धरती  पर  अवतरण उन्हीं के द्वारा हुआ था ।योग केवल आसनों का अभ्यास नहीं ,बल्कि महर्षि पतंजलि द्वारा रचित पतंजलि योग सूत्र के अष्टांग योग का एक अंग है । आसनों के साथ उसमें  यम,नियम का पालन, प्राणायाम द्वारा साँसों यानी जीवन शक्ति पर नियंत्रण, बाहरी वस्तुओं के प्रति संयम, धारणा यानी एकाग्रता ,ध्यान यानी चिंतन और अंत में समाधि द्वारा योग से मोक्ष की प्राप्ति  तक के लक्ष्य के बारे  में बताया गया हैं।
यह एक दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि  जो देश  सदियों से योग विद्या का साक्षी रहा है उस देश के अधिकांश युवा आज आधुनिक जीवनशैली और खान पान की ख़राब आदतों के कारण कम उम्र में ही मधुमय, उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी आदि बीमारियों  के शिकार हैं । इसलिए कहा जाता है कि खान पान में सुधार के साथ योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करे और  उसे अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाएँ ताकि  हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाए और शारीरिक और मानसिक ,दोनों रूपों से स्वस्थ रहे। हम जब स्वयं स्वस्थ रहेंगे तभी हम समाज को स्वस्थ रख सकते हैं । हम स्वस्थ तो समाज स्वस्थ ,हमारा स्वास्थ्य समाज का स्वास्थ्य ।
तो आइए इस वर्ष यह प्रण लें कि प्रतिदिन समय निकालकर योगाभ्यास करेंगे और एक  स्वस्थ समाज के निर्माण में सहायता करेंगे।सब मिलकर इस अंतरराष्ट्रीय योग  दिवस को एक साथ मनाए ।21 जून 2024 को जिला प्रशासन एवं आयुर्वेद विभाग द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के कार्यक्रम में आप सभी सपरिवार  सादर आमंत्रित हैं।

*20 साल से योग के क्षेत्र में सेवाए प्रदान कर रही हैं।
*7 साल ( 2017) से अंतराष्ट्रीय योग दिवस ज़िला स्तरीय उदयपुर ,कार्यक्रम का मंच संचालन कर रही है।
*मोहनलाल  सुखाड़िया विश्वविध्लाय से योग के क्षेत्र की प्रथम Ph D धारक हैं।
*2018, 26 जनवरी, को ज़िला प्रशासन द्वारा  योग में सवाये देने के लिए सम्मानित।

 


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