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थैलेसिमिया स्क्रीनिंग और परामर्श केन्द्र का उद्घाटन

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18 Aug 20
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 थैलेसिमिया स्क्रीनिंग और परामर्श केन्द्र का उद्घाटन

नई दिल्ली, केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी के राष्ट्रीय मुख्यालय में ब्लड बैंक में थैलेसिमिया स्क्रीनिंग और परामर्श केन्द्र का शुभारंभ किया।

केन्द्र की शुरुआत पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा इस प्रकार की पहल से, ‘इस बीमारी से बचाव के बारे में सामान्य जनों को जागरुक बनाने में मदद मिलेगी।’

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि विश्व में थैलेसिमिया के लगभग 270 मिलियन रोगी हैं। भारत में थैलेसिमिया से पीड़ित बच्चों की एक बड़ी संख्या है जो करीब एक से डेढ़ लाख तक है और यह विश्व में यह एक प्रमुख संख्या है। देश में प्रति वर्ष 10 हजार से 15 हजार थैलेसिमिया से पीड़ित शिशु जन्म लेते हैं। इस बीमारी से बचने का एक मात्र तरीका है बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन (बीएमटी)। इसलिए इस बीमारी से पीड़ित बच्चों का रक्त बार-बार बदला जाता है और उसके बाद नियमित रूप से ‘आयरन चेलासन थेरेपी’ की जाती है, ताकि आयरन की अधिक मात्रा को हटाया जा सके, जिसके परिणामस्वरुप इस बीमारी से ग्रसित बच्चों का रक्त बार-बार बदला जाता है।

डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी की यह पहल थैलेसिमिया से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए एक सुनहरा अवसर प्रदान करेगी और वे बेहतर जीवन जी सकेंगे। यह पहल शुरू होने से करियर स्क्रीनिंग, आनुवांशिकी परामर्श और प्रसव पूर्व निदान के माध्यम से हीमोग्लोबिनोपैथी से प्रभावित बच्चों के जन्म को रोका जा सकेगा। उन्होंने कहा, “यह कार्यक्रम अपना कर बेहतर स्क्रीनिंग, सूचना के प्रसार और आनुवांशिक गतिविधियों की जानकारी के माध्यम से हीमोग्लोबिनोपैथी से पीड़ित बच्चों के जन्म को रोका जा सकेगा और इससे आनुवांशिकीय विकार के खतरे को रोका जा सकेगा, जो कि एक बहुत बड़ी स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है। इस बेहतर कदम से हम 2022 तक प्रधानमंत्री के नये भारत के सपने को जल्द ही साकार कर सकेंगे।”

हीमोग्लोबिनोपैथी जैसे थैलेसिमिया ऐसा रोग है, जिसमें लाल रक्त की कोशिकाओं में आनुवांशिकी रूप से विकार आ जाता है, लेकिन इसकी रोकथाम की जा सकती है। यह बीमारी दीर्घकालीन, आजीवन रहने वाली और कुछ मामलों में जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाली होती हैं, जिससे परिवारों पर भावनात्मक और वित्तीय रूप से भारी बोझ पड़ता है। भारत में इस बीमारी के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं, इनमें थैलेसिमिया मेजर (टीएम) और इसकी गंभीर अवस्था थैलेसिमिया इंटरमीडिया (टीआई) शामिल हैं। इन दोनों ही प्रकार की बीमारियों में पीड़ित व्यक्ति को जीवन भर नियमित रूप से रक्त बदलवाने के साथ-साथ आयरन चेलासन भी कराना पड़ता है। थैलेसिमिया से ग्रसित बच्चा माता-पिता दोनों के ही असामान्य (बीटा) थैलेसिमिया जीन्स या माता-पिता में से किसी एक के असामान्य बीटा थैलेसिमिया जीन्स और दूसरे के असामान्य विभिन्न प्रकार के हीमोग्लोबिन जीन्स (HbE, HbD) के सम्मिलन से पैदा होता है।

उद्घाटन समारोह में इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी के महासचिव श्री आर.के. जैन, सोसायटी के प्रतिनिधियों के अलावा थैलेसेमिक्स इंडिया और स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

 


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