यह श्वानोमा कोशिकाओ की एक ट्यूमर है जो परिधीय तंत्रिका तंत्र या तंत्रिका जड़ों में श्वान कोशिकाओं से विकसित होने से होती है। ये सौम्य (गैर कैंसरयुक्त) होते हैं और धीमी गति से बढ़ने वाली गांठें हैं। सबसे आम प्रकार वेस्टिबुलर श्वानोमा है, जो आंतरिक कान में एक तंत्रिका में बनता है। लेकिन कभी-कभी घातक (कैंसरयुक्त) भी हो सकते हैं। अभी तक इसके कारणों का पता नहीं चला है। श्वानोमा का सबसे आम प्रकार वेस्टीबुलर श्वानोमा और मस्तिष्क ट्यूमर है। आमतौर पर ये निम्न दो प्रकार की होती है __ 1.वेस्टिबुलर का श्वानोमा ट्यूमर__ वेस्टिबुलर श्वानोमा को ध्वनिक न्यूरोमा भी कहते हैं,यह आंतरिक कान को आपूर्ति करने वाली संतुलन और श्रवण तंत्रिकाओं से विकसित होता है। यह आमतौर पर सौम्य (गैर-कैंसरयुक्त) और धीमी गति से बढ़ने वाला होता है। लेकिन जैसे-जैसे ट्यूमर बढ़ता है, यह सुनने और संतुलन तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है, जिससे कान में सुनने की क्षमता कम हो जाती है, कान में टिनिटस यानि घंटी बजना और चक्कर शुरू हो जाते हैं। 2.मस्तिष्क का श्वानोमा ट्यूमर __ यह मस्तिष्क ही नहीं बल्कि यह शरीर में कहीं भी बन सकती है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि श्वानोमा परिधीय तंत्रिका तंत्र में कोशिकाओं (श्वान कोशिकाओं) से विकसित होता है, जिसमें मस्तिष्क और पूरे शरीर में तंत्रिकाएँ होती हैं। श्वानोमा के लक्षण क्या हैं__ श्वानोमास धीरे-धीरे बढ़ता है और बिना किसी लक्षण के सालों तक बना रह सकता है। एक दिखाई देने वाली गांठ जो दबाव डालने पर कोमल महसूस हो सकती है, सुन्न होना ,मांसपेशियों में कमजोरी,पिन्स और सुईयों जैसा अहसास , दर्द पीड़ादायक, जलनयुक्त या तीव्र हो। वेस्टिबुलर श्वानोमा सुनने और संतुलन को प्रभावित कर सकता है और/या बजने जैसी अनुभूति (टिनिटस) पैदा कर सकता है। चेहरे की तंत्रिका में ट्यूमर निगलने, आंखों की गति और स्वाद संवेदना को प्रभावित कर सकता है या चेहरे का पक्षाघात पैदा कर सकता है। साइटिक तंत्रिका श्वान्नोमा डिस्क हर्नियेशन के समान हो सकता है, जिसमें पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है , तथा दर्द आपके पैर तक फैल सकता है। श्वानोमा के निदान में मदद करने वाले इमेजिंग परीक्षणों में शामिल हैं___ 1.एमआरआई 2.सीटी स्कैन 3.अल्ट्रासाउंड 4.बायोप्सी प्रबंधन और हर्बल यूनानी चिकित्सा से उपचार__ 1. श्वानोमा का उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि शरीर में ट्यूमर कहां है और यह कितनी तेजी से बढ़ रहा है। हर्बल यूनानी चिकित्सा में शहद के साथ रोगन कलौंजी , हीरक भस्म, पन्ना भस्म, सुवर्ण भस्म, रस कपूर, सर्वेश्वर परपटी, ताम्र भस्म, सफ़ेद मरी, पुनर्नवा, सरागवा, वयवरूण , यष्टि मधु, गिलोय, अर्दुषी, हल्दी , पिप्पली , चन्दन, मुलेठी, लौकी, खसखस, गोंद कतिरा आदि देकर रोका जा सकता है। सही चिकित्सा के लिए अनुभवी यूनानी चिकित्सक से ही परामर्श लें। 2.सर्जरी 3.विकिरण चिकित्सा 4.घातक (कैंसरयुक्त) श्वानोमा का उपचार इम्यूनोपैथी और कीमोथेरेपी का उपयोग।