गोपेन्द्र नाथ भट्ट
जयपुर/ नई दिल्ली। राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले को कायरता की पराकाष्ठा बताया है।
देवनानी ने कहा कि यह न केवल अमानवीय है, बल्कि देश की एकता और शांति पर सीधा प्रहार है।
उन्होंने शोकाकुल परिजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं प्रकट की है और ईश्वर से कि वे दिवंगत आत्माओं को शांति के लिए प्रार्थना की है तथा घायलों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ खिलाना भी की है।
*महाराणा सांगा की 543वीं जयंती पर अजमेर संग्रहालय में प्रदर्शनी का किया शुभारंभ*
विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने मंगलवार को अजमेर संग्रहालय में महान योद्धा और राष्ट्रभक्त महाराणा संग्राम सिंह प्रथम (महाराणा सांगा) की 543वीं जयंती (तिथि अनुसार) के अवसर पर पुरातत्व विभाग द्वारा आयोजित प्रदर्शनी का शुभारंभ किया।
प्रदर्शनी के माध्यम से महाराणा सांगा के अद्वितीय त्याग, साहस और राष्ट्र सेवा की भावना को दर्शाया गया है।
इस प्रदर्शनी में महाराणा संग्राम सिंह प्रथम के अद्वितीय त्याग, साहस और राष्ट्र सेवा की भावना को दर्शाया गया। महाराणा संग्राम सिंह प्रथम का जन्म वैशाख कृष्ण नवमी विक्रम संवत 1539 में हुआ था। इनका तिथि अनुसार 22 अप्रैल को पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग अजमेर वृत्त एवं महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फॉउण्डेशन, उदयपुर के तत्वाधान में 543 वीं जयंती के अवसर पर प्रदर्शनी आयोजित की गई है।
देवनानी ने प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए कहा कि महाराणा सांगा का जीवन भारतीय इतिहास में एक प्रेरणास्त्रोत के रूप में जाना जाता है। महाराणा संग्राम सिंह प्रथम की गिनती भारतीय इतिहास में सर्वाधिक वीर शासकों में की जाती है। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन विदेशी आक्रांताओं से संघर्ष करते हुए राष्ट्र की रक्षा में समर्पित कर दिया। उनके पराक्रम और रणनीतिक नेतृत्व ने शत्रुओं को बार-बार पराजित किया और भारतीय गौरव को बनाए रखा।
विधानसभाध्यक्ष ने म्यूजियम अधिकारियों द्वारा की गई इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार की प्रदर्शनियाँ युवाओं को अपने इतिहास से जोड़ने और उनमें देशभक्ति तथा वीरता की भावना जाग्रत करने में सहायक सिद्ध होती हैं। उन्होंने कहा कि महाराणा सांगा जैसे तपस्वी और राष्ट्रनायक के जीवन से नई पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए। युवा नेशन फस्र्ट के भाव के साथ आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत एक समय में विश्व गुरु हुआ करता था। आज का भारत पुनः उसी मार्ग पर अग्रसर है। इसके लिए सब मिलकर अपने प्राचीन गौरव की पुनर्प्राप्ति में सहभागी बनें।
प्रदर्शनी में महाराणा सांगा के जीवन से जुड़ी दुर्लभ तस्वीरें, युद्ध योजनाओं के चित्रण, शौर्यगाथाओं से जुड़े विवरण और ऎतिहासिक दस्तावेज शामिल किए गए है।