GMCH STORIES

नगर निगम में 35 करोड़ का घोटाला उजागर

( Read 1074 Times)

12 Apr 25
Share |
Print This Page
नगर निगम में 35 करोड़ का घोटाला उजागर

उदयपुर।नगर निगम उदयपुर में 35 करोड़ रुपए के राजस्व नुकसान का चौंकाने वाला मामला उजागर हुआ है। यह खुलासा स्थानीय निधि अकेक्षण विभाग की एक विशेष ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है, जिसे निगम आयुक्त रामप्रकाश को सौंप दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, कई रसूखदारों, नेताओं के रिश्तेदारों, बड़े उद्योगपतियों और होटल व्यवसायियों को नियमों के विरुद्ध फ्री होल्ड पट्टे दिए गए और भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क, लीज राशि तथा जीएसटी की भारी भरकम राशियां निगम को नहीं मिलीं।

बिना नीलामी और भू-उपयोग परिवर्तन के दिए गए पट्टे
ऑडिट रिपोर्ट में रोशनलाल और अन्य को सूरजपोल क्षेत्र में 4780 वर्गफीट का फ्री होल्ड पट्टा देने से 47.80 लाख रुपए की हानि हुई। इसी तरह, फतेहलाल सुहालका को गलत मापदंड के आधार पर दिए गए भूखंड से निगम को 50.23 लाख का नुकसान हुआ।

चांदपोल बाहर अन्बिकेश एवं विनोद पानेरी को 5000 वर्गफीट से अधिक भूमि बिना राज्य सरकार की स्वीकृति के पट्टे पर दी गई, जिससे 36.15 लाख की हानि हुई।

वसीयत के विरुद्ध मिली भूमि और GST की चोरी
बोहरा गणेशजी क्षेत्र, बेदला रोड, फतहपुरा, गोवर्धनविलास सहित कई क्षेत्रों में आवासीय टाइटल वाली भूमि को बिना भू-उपयोग परिवर्तन के व्यावसायिक या मिश्रित रूप में आवंटित किया गया। इस प्रकार 61 मामलों में कुल 822.56 लाख रुपए की चपत निगम को लगी।

होटलों और व्यावसायिक इकाइयों को लाभ पहुंचाया गया
मैसर्स अलका होटल, मंसूर अली, नवीनचंद सहित कई व्यवसायियों को होटल के लिए भूमि आवंटित करते समय लीज राशि और जीएसटी नहीं वसूलने से निगम को करोड़ों का नुकसान हुआ। शास्त्री सर्कल, अलकापुरी और नयापुरा क्षेत्रों के मामलों में ही लगभग 213.65 लाख रुपए की हानि सामने आई।

कचरा संग्रहण और बोटिंग में भी गंभीर अनियमितता
डोर टू डोर कचरा संग्रहण में तकनीकी मूल्यांकन में धांधली कर अधिक राशि वाली फर्म को योग्य घोषित किया गया, जिससे 98.43 लाख की हानि हुई। ऑटो टीपर होते हुए भी उनका उपयोग नहीं करने से 419.76 लाख रुपए की मशीनरी निष्प्रभावी हो गई।

वहीं, व्यावसायिक संस्थानों से कचरा उठाने के अनुबंध में 260.26 लाख रुपए की वसूली नहीं की गई। पिछोला झील और स्वरूपसागर में कोविड काल में नियमों के विरुद्ध बोट ऑपरेटर को रियायतें दी गईं, जिससे 15.06 लाख की क्षति हुई।

कुल मिलाकर 35 करोड़ से अधिक की राजस्व हानि
नगर निगम में किए गए इन अवैध कार्यों से निगम को अब तक 35 करोड़ से अधिक का घाटा हो चुका है। तत्कालीन आयुक्त हिम्मतसिंह बारहठ समेत कई अफसरों को जिम्मेदार ठहराया गया है। राज्य सरकार को रिपोर्ट भेज दी गई है और अब निगम आयुक्त के स्तर पर कार्रवाई की प्रतीक्षा है।

निष्कर्ष:
यह ऑडिट रिपोर्ट बताती है कि कैसे नियमों की अनदेखी कर कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाया गया और नगर निगम को करोड़ों की चपत लगी। अब देखना यह होगा कि निगम आयुक्त इस पर कितनी गंभीरता से कदम उठाते हैं और दोषियों के विरुद्ध क्या कार्रवाई होती है।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like