(mohsina bano)
जयपुर-दिल्ली राजमार्ग से करीब 10 किमी की दूरी पर, अरावली की पहाड़ियों पर स्थित जयगढ़ दुर्ग दूर से पतली सी पट्टी की तरह नजर आता है। चिल्ह का टोला कहलाने वाली पहाड़ी की चोटी पर बना यह दुर्ग, अपनी भव्यता और ऐतिहासिक महत्व के कारण पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है। इसे जयपुर के राजा सवाई जयसिंह (1699-1743) ने बनवाया था।
यह राजस्थान का पहला दुर्ग था जहां तोपों का निर्माण होता था। आज भी यहां की पुरानी लेथ मशीन, ढलाई की भट्टी और तोप के सांचे संरक्षित अवस्था में मौजूद हैं। भारत के विख्यात इतिहासकार प्रो. नुरूल हसन ने कहा था कि सम्पूर्ण एशिया में ऐसा कारखाना कहीं और देखने को नहीं मिलता।
जयबाण तोप : दुर्ग का मुख्य आकर्षण
दुर्ग की सबसे प्रमुख खासियत है जयबाण, जिसे विश्व की सबसे बड़ी तोप माना जाता है। इसे 1720 में दुर्ग में ही निर्मित किया गया था। इसकी लंबाई 20 फीट, गोलाई 8 फीट 7.5 इंच और वजन 50 टन है। यह एक बार में 100 किलो बारूद से भरी जाती थी और इसकी मारक क्षमता 22 मील (35.405 किमी) थी। यह तोप केवल एक बार चलायी गई थी। इसके पास से घाटी और जलमहल का मनोरम दृश्य दिखता है।
जल संरक्षण की ऐतिहासिक व्यवस्था
दुर्ग में पानी संग्रह के लिए तीन विशाल टांके हैं। सबसे बड़ा टांका 158 फीट लंबा, 138 फीट चौड़ा और 40 फीट गहरा है जिसकी जल संग्रहण क्षमता 60 लाख गैलन है। इसके साथ दो अन्य टांके हैं, जिनमें से एक में शाही खजाना रखा जाता था। इन्हीं से 1728 में जयपुर शहर की नींव डाली गई थी।
शस्त्रागार और संग्रहालय
जलेब चौक के पास स्थित शस्त्रागार में तलवारें, बंदूकें, कवच और छोटी-बड़ी तोपों के नमूने रखे हैं। सामने स्थित संग्रहालय में राजघरानों की तस्वीरें, प्राचीन वस्तुएं, पेंटिंग्स, ताश के पत्तों का गोलाकार सेट और महलों की योजनाएं दर्शकों को आकर्षित करती हैं।
भोजनशाला और कठपुतली हॉल
किले में राजपरिवार की भोजनशाला है, जिसमें पारंपरिक व्यंजन व्यवस्था को मॉडलों द्वारा प्रदर्शित किया गया है। कठपुतलियों का प्रदर्शन भी बच्चों और पर्यटकों को रोमांचित करता है।
भव्य महल और बुर्जियों से नज़ारा
लक्ष्मी विलास, सुभट निवास जैसे महलों के बीच कई गलियों से होते हुए दो बुर्जियों तक पहुंचा जा सकता है, जहां से आमेर महल और घाटियों का सुंदर नजारा देखा जा सकता है। किले के भीतर कई सुंदर उद्यान भी हैं।
जयगढ़ दुर्ग में इतिहास, वास्तुकला, युद्धकला और जल संरक्षण की परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिलता है, जो हर आयु वर्ग के दर्शकों को गहराई से प्रभावित करता है।