GMCH STORIES

राष्ट्रीय मूकाभिनय उत्सव की प्रभावशाली शुरुआत

( Read 810 Times)

16 Mar 25
Share |
Print This Page

राष्ट्रीय मूकाभिनय उत्सव की प्रभावशाली शुरुआत

 

संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, रेनबो सोसायटी, जयपुर और आईआईएस विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आज मानसरोवर के ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ऑडिटोरियम में राष्ट्रीय मूकाभिनय उत्सव का भव्य आगाज हुआ। यह उत्सव प्रसिद्ध शिक्षाविद्, युगदृष्टा एवं आईआईएस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. अशोक गुप्ता को समर्पित है।


उत्सव के पहले दिन पश्चिम बंगाल, असम, महाराष्ट्र, दिल्ली और राजस्थान के कलाकारों ने अपनी बेजोड़ प्रतिभा से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। जयपुर की रेनबो सोसायटी के सिराज अहमद भाटी द्वारा निर्देशित मूक नाटक "यूथेनेसिया" में विचित्र सिंह, प्रियंका चंदानी, रामकेश मीना और रुएल भाटी ने भावनात्मक अभिनय से सभी को झकझोर दिया। वहीं, उदयपुर के मार्तंड फाउंडेशन के कलाकार किरण जानवे और विलास जानवे ने हास्य और व्यंग्य से भरपूर "हर्डल फुल हनीमून" से दर्शकों को खूब हँसाया।

दिल्ली की कलाकार प्रीति गुप्ता ने गौतम बुद्ध के जीवन प्रसंगों का प्रभावी मंचन कर सराहना बटोरी, जबकि असम की निर्बाक संस्था के मिनांका डेका और दीपक प्रसाद शाह ने "मंदिर दर्शन", "लेटर टू गॉड" और "आई लव यू" जैसी प्रस्तुतियों से तालियाँ बटोरीं।

विशिष्ट अतिथियों का पारंपरिक स्वागत
आईआईएस विश्वविद्यालय के उपकुलपति डॉ. टी.एन. माथुर, ट्रस्टी अमित गुप्ता और सुमित गुप्ता, रजिस्ट्रार डॉ. राखी गुप्ता और उत्सव निदेशक सिराज अहमद भाटी ने देश के प्रसिद्ध कला निर्देशक पद्मश्री निरंजन गोस्वामी का पारंपरिक साफा पहनाकर सम्मान किया।

कलाकारों से सीखेंगे विद्यार्थी
उत्सव के दूसरे दिन, 16 मार्च, मूकाभिनय कार्यशालाओं का आयोजन होगा, जिसमें कोलकाता से गुरु पद्मश्री निरंजन गोस्वामी, मुंबई से कुनाल मोटलिंग, पश्चिम बंगाल से सुवेंदु मुखोपाध्याय, जयपुर से विचित्र सिंह और आसिफ शेर अली, असम से मिनांका डेका, और उदयपुर से विलास जानवे अपनी विशिष्ट कलात्मक शैलियों की जानकारी देंगे। जयपुर के प्रसिद्ध कोरियोग्राफर घनश्याम महावर विद्यार्थियों को रिदमिक मूवमेंट की बारीकियां सिखाएंगे।

गौरतलब है कि कार्यशालाओं में भाग लेने वाले विद्यार्थी भी शाम को कलाकारों के साथ मंच साझा करेंगे, जिससे वे सीखने और प्रस्तुतिकरण का सीधा अनुभव प्राप्त कर सकें।

यह राष्ट्रीय मूकाभिनय उत्सव न केवल एक मंचीय प्रस्तुति बल्कि एक सशक्त कला आंदोलन भी है, जो नवोदित और अनुभवी कलाकारों को एक साथ जोड़कर संवाद रहित संप्रेषण की शक्ति को उजागर करता है।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like