GMCH STORIES

लेखक कालीचरण राजपूत द्वारा लिखित दो पुस्तकों का लोकार्पण संपन्न हुआ

( Read 1646 Times)

08 Mar 25
Share |
Print This Page
लेखक कालीचरण राजपूत द्वारा लिखित दो पुस्तकों का लोकार्पण संपन्न हुआ

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के विशेष अवसर पर राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय कोटा एवं श्री हिंदी साहित्य समिति कोटा के संयुक्त तत्वावधान में श्री कालीचरण राजपूत की दो पुस्तकें "कितना सुंदर भोर एवं वीरांगना महारानी अवंती बाई लोधी" का भव्य लोकार्पण कार्यक्रम डॉ एस आर रंगनाथन सभागार में आयोजित किया गया। मां सरस्वती की पूजा अर्चना के बाद वंदना रतनलाल वर्मा ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन मधुर गीतकार श्री प्रेम शास्त्री ने किया।

अध्यक्ष पद को डॉ दीपक कुमार श्रीवास्तव ने सुशोभित किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा - "प्रख्यात लेखक श्री कालीचरण राजपूत द्वारा रचित यह पुस्तक वीरांगना महारानी अवंती बाई लोधी के अदम्य साहस, वीरता, स्वाभिमान और नारी सशक्तिकरण की जीवंत गाथा प्रस्तुत करती है। यह न केवल भारतीय नारियों के शौर्य और पराक्रम का उत्कृष्ट दस्तावेज है, बल्कि राष्ट्र के गौरवशाली इतिहास में एक मील का पत्थर भी सिद्ध होगी। यह ग्रंथ पाठकों को न केवल प्रेरित करेगा, बल्कि उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में नारी शक्ति के योगदान से भी परिचित कराएगा।"
              मुख्य अतिथि के पद पर डॉ रघुराज सिंह कर्मयोगी आसीन थे। उन्होंने कृतिकार कालीचरण राजपूत के जीवन परिचय,व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इंजीनियर होते हुए भी कालीचरण राजपूत ने पांच पुस्तकों का सृजन किया है। यह महत्वपूर्ण बात है। "कितना सुंदर भोर" पुस्तक में उन्होंने प्रकृति, पर्यावरण, सामाजिक विद्रूपता, देशभक्ति की कविताओं से पुस्तक को सजाया संवारा है। अति विशिष्ट अतिथि पद का निर्वहन डॉ मनीषा शर्मा एवं स्नेह लता शर्मा ने किया। विशिष्ट अतिथि श्री जितेंद्र निर्मोही थे। उन्होंने कहा -   
          "दो कृतियों के रचनाकार कालीचरण राजपूत ने भारतीय साहित्य वांग्मय से अपनी जाति लोध वंश को जोड़कर एक नवाचार किया है। अवन्तिबाई लोध की गाथा को उन्होंने सुभद्रा कुमारी चौहान  की रानी लक्ष्मीबाई काव्य परंपरा से प्रस्तुत किया है"। पत्र वाचन डॉक्टर शशी जैन एवं डॉ अपर्णा पांडे ने किया। उन्होंने कहा कि             
            *लोधी राजपूत भगवान शिव को अपना आराध्य देव मानते हैं और ऐसा मानते हैं कि सर्वप्रथम भगवान शिव ने ही उन्हें लोधा कहकर संबोधित किया था। इसलिए शिवरात्रि को वे लोधेश्तर दिवस/शौर्यसंकल्प दिवस के रूप में मनाते हैं। अत्रि संहिता, संता कुमार संहिता में लोधी पूरी का उल्लेख मिलता है"। डॉ शशि जैन ने अपने उद्बोधन में कितना सुंदर भोर पुस्तक की अत्यंत शानदार विवेचना की। कु. नव्य शर्मा ने कालीचरण राजपूत की लिखी हुई कविताओं को मधुर स्वर में प्रस्तुत किया ।जिसे उपस्थितों ने काफी सराहा। रेणु गौड़ ने भी सभा को संबोधित किया।अंत मे मे कृतिकार कालीचरण राजपूत ने अपनी पुस्तकों के बारे में विचार प्रस्तुत किये और सभी उपस्थित लोगों का सहयोग प्रदान करने के लिए धन्यवाद दिया। इसके अतिरिक्त हेमराज सिंह हेम, दीनानाथ त्रिपाठी, राम सिंह, रामेश्वर शर्मा, भगवती प्रसाद गौतम, बालूलाल वर्मा, ज्ञान सिंह गंभीर, दीनबंधु मीणा, कमलेश चौधरी, सलीम स्वतंत्र, महेश पंचोली, योगराज योगी गोरस प्रचंड आदेश रचनाकारों ने कार्यक्रम में भाग लिया
अपराजिता सम्मान 2025 - 
इसी कार्यक्रम में साहित्य के प्रति अनवरत समर्पण के लिए प्रोफेसर डा मनीषा शर्मा ,  जिला शिक्षा अधिकारी स्नेहलता शर्मा, प्रख्यात शिक्षिका डा अर्पणा पाण्डेय, बाल कवियत्री नव्या शर्मा , समाज सेविका रेणु गॉड  एवं डा  शशि जैन को सम्मानित किया गया I        


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like