(mohsina bano)
बनारस में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय महिला योग संगोष्ठी का भव्य आयोजन हुआ, जिसमें भारत सहित कई देशों की महिलाओं ने भाग लिया। इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य योग और आयुर्वेद के प्रति जागरूकता फैलाना और इस प्राचीन परंपरा को वैश्विक स्तर पर प्रचारित करना था।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई, जिसमें प्रतिष्ठित अतिथियों ने भाग लिया। उद्घाटन सत्र में योग एवं आयुर्वेद के महत्व पर चर्चा हुई और विभिन्न देशों से आए विशेषज्ञों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।
सन कॉलेज की प्राचार्य डॉ. प्रीति धूप्पड़ ने बताया कि डॉ. शुभा सुराणा द्वारा प्रस्तुत शोध पत्र "आहार, योग और पीसीओएस" को विशेष सराहना मिली। यह विषय महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है, और योग एवं आयुर्वेद के माध्यम से इसके समाधान की संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा हुई।
द्वितीय सत्र में पुरस्कार वितरण समारोह हुआ, जिसमें विभिन्न श्रेणियों में सम्मान दिए गए। डॉ. शुभा सुराणा को उनकी उत्कृष्ट योग साधना, शोध और मंच संचालन के लिए "राष्ट्रीय योगिनी सम्मान" से नवाजा गया। इस उपलब्धि पर सन कॉलेज के निदेशक श्री अरुण मांडोत ने उन्हें उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।
संगोष्ठी का आयोजन डॉ. आर.एच. लता के नेतृत्व में हुआ, और संयोजन डॉ. अनुराग पांडे, श्री श्री महामंडलेश्वर स्वामी नरसिंह दास जी महाराज, डॉ. मनोज ठाकुर (सिंगापुर) और डॉ. (पं.) राधेश्याम जी द्वारा किया गया।
इस भव्य आयोजन का सफल मंच संचालन डॉ. शुभा सुराणा ने किया, जिनकी वक्तृत्व शैली की सभी प्रतिभागियों ने सराहना की। ऑस्ट्रेलिया, जापान, नेपाल, सिंगापुर सहित विभिन्न देशों से आई महिलाओं ने भारतीय योग परंपरा को लेकर अपने विचार साझा किए।
यह आयोजन न केवल उदयपुर बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय रहा। डॉ. शुभा सुराणा की उपलब्धि ने यह साबित कर दिया कि योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में उनका योगदान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है।