मुम्बई @25
जिस उत्सव का मुम्बईकर साल भर से इंतज़ार करते हैं , वो है काला घोड़ा आर्ट फेस्टिवल | मेरे लिए इस उत्सव के 25 वें संस्करण यानी सिल्वर जुबली की झलक देखने का अवसर आल्हादकारी अनुभव था | 25 जनवरी,से 2 फरवरी तक चलने वाले इस कला कुम्भ को नज़दीक से निहारने का आंनंद अभी भी रोमांचित करता है | इस उत्सव से जुड़ने का बहाना था हमारा मूकाभिनय का प्रदर्शन |
भारत के 76 वें गणतंत्र दिवस की दोपहर को यशवंत राव चव्हाण सेंटर, मुम्बई के रंगस्वर प्रेक्षागृह में मंचित हमारी मूकाभिनय की प्रस्तुति मुम्बई के संजीदा दर्शकों के लिए और हमारे लिए ये यादगार बन गयी |
मार्तंड फ़ौंडेशन, उदयपुर के पांच कलाकारों ने पचास मिनट तक विभिन्न विषयों पर पांच मूकाभिनय पेश किये और भरपूर प्यार पाया |
26 और 27 जनवरी सुबह से रात तक मैं काला घोड़ा आर्ट फेस्टिवल की कुछ गतिविधियों का भरपूर आनंद ले पाया |
एक वृक्ष की विशाल शाखाओं के मानिंद इसमें साहित्य,संगीत,नृत्य,रंगमंचीय विधाएं ,शिल्प ,कला ,खानपान,हेरिटेज वॉक , जीवन के विभिन्न पहलुओं पर लाइफ स्टाइल कार्यशालाएं,सिनेमा, अर्बन आर्किटेचर,डिजाइन , नाना प्रकार और माध्यमों की विजुअल आर्ट्स,स्ट्रीट परफॉरमेंस, बच्चों की गतिविधियाँ,स्टेंडअप कोमेडी, गाने, बजाने और स्वच्छन्द नाचने का रुचिकर समावेश होता है | पारम्परिक से लेकर अत्याधुनिक कलाओं की अभिव्यक्ति को एक स्थान पर फुर्सत से देखने का उत्सव है यह | हर प्रकार के कद्रदानों के लिए उत्सव की विभिन्न गतिविधयों का संक्षिप्त विवरण आठ फॉण्ट वाले टाइप में 90 पेज की बुकलेट में दिया है |
उत्सव में आस पास की,गेलेरी, सांस्कृतिक और शिक्षण संस्थान, संग्रहालय,सिनेमा हाल, विरासत समेटे पुराने भवनों को विभिन्न कलात्मक गतिविधियों के लिए शामिल किया गया है | कालाघोड़ा मूर्ति से लगी सड़क के बीच पेड़ों से घिरे मुख्य उत्सव स्थल को डिजाइनरों द्वारा करीने से सजाया गया है |
घोड़ों की एक से एक नायाब कलाकृतियों को देख कर अंदाजा लगा सकता है कि इन बेमिसाल और बेशकीमती कलाकृतियों को कितने करीने से रचा होगा ,कितना धैर्य रख कर चाहा हुआ आकार और रंग दिया होगा | कुछ घोड़ों की रचना में सुन्दर आडेक का काम था ,कुछ में रंगीन कपड़ों और चिंदियों का, रस्सियों का, कहीं धातुओं का इस्तेमाल था तो कहीं घिसे पुराने टूल्स का और रद्दी बरतनों और प्लास्टिक के ढक्कनों और बोतलों का प्रयोग था | इन बेमिसाल सुन्दर घोड़ों के चित्र हज़ारों मोबाइल केमरों में कैद होकर, दुनिया भर में फैल गए क्योंकि उन्हें कैद करने वाले कद्रदानों के पीछे ये कलात्मक घोड़े मुस्कुरा रहे थे |
विभिन्न भागों से आये शिल्पकार आभूषण,गृहसज्जा,परिधान,धातु काम ,माटी काम,बीदरी काम ,चिकन काम, बांधनी,एप्लीक सहित कई शिल्प और कलाओं के प्रदर्शन कर रहे थे | शिल्प कृतियों की कीमतें बहुत थीं लेकिन रचनाकार की कल्पना और खरीदार की संतुष्टि से अधिक नहीं | व्यावसायिक फोटोग्राफर्स के केमरों के लिए तो काला घोड़ा उत्सव तो एक खास दावत होता है |
आमतौर पर मेले में क्राफ्ट, क्युजीन और कल्चर का त्रिवेणी संगम देखने को मिलता है लेकिन इससे सबसे ऊपर है केयर ..हाँ केयर यानी संजीदगी से देखभाल .. इस मेले की परिकल्पना, विभिन्न घटकों का चुनाव और उम्दा आयोजन इसकी सफलता के मूल मन्त्र हैं |
उत्सव को सफल बनाने में इण्डिया एक्सिम बेंक की दीपाली अगरवाल की पहल और मालती केम्भवी, वर्षा कारळे के साथ पूरी फेस्टिवल टीम की मेहनत परिलक्षित होती है|
इसमें बड़े सरकारी उपक्रम इण्डिया एक्सिम बैंक, औद्योगिक एवं व्यावसायिक संस्थानों के अलावा बृहन मुम्बई प्रशासन का सहभाग था |
यहाँ पुलिस विभाग न केवल सुरक्षा व्यवस्था देखी बल्कि उनके विभाग के कलाकारों ने नाट्य प्रस्तुति से भी सहभागिता निभाई |
रंगमंचीय प्रस्तुतियां --
26 जनवरी को यशवंत राव चव्हाण सेंटर के मुख्य प्रेक्षागृह में सुबह मानसी जोशी का एकल मराठी नाटक “ सांगते ऐका”, दोपहर नंदिता पाटकर का अंग्रेजी एकल नाटक ‘वाह,आई एम सावित्री फुले” और शाम को विद्याधर गोखले संगीत नाट्य प्रतिष्ठान का तीन घंटे का संगीत नाटक “ बावनखणी” और 27 जनवरी दोपहर गंभीर मराठी नाटक ‘ एक एक पान गळवया’ देखने को मिला जिसे पोलिस कल्याण केंद्र ,बृहन मुम्बई के कलाकारों ने पेश किया | रात को मुम्बई के लिविंग वाटर म्यूजियम ने एक शानदार प्रस्तुति दी जिसका नाम था “मुम्बई की जलधारा” इसे किस्सागोई और संगीत के माध्यम से पलाश चतुर्वेदी और टीम ने पेश कर पारम्परिक रूप से पानी के उद्गम और प्रयोग की बात बड़ी संजीदगी से बताई | इस प्रकार की उम्दा कृतियों के चुनाव से आयोजकों रवि मिश्रा और भाविक शाह ने प्रतिबद्धता दिखाई | मेरे साथ के रंग कर्मी मनीष शर्मा ,किरण जानवे , कृष्णा काटे और सुदर्शन राव ने भी रंगमंचीय प्रस्तुतियों प्रसंशा की । एक मराठी में एक कहावत है – शिता वरुन भाता ची परीक्षा- यह कहावत काला घोड़ा आर्ट फेस्टिवल के लिए एक दम फिट बैठती है | मात्र दो दिन की उपस्थिति में मुझे इस उत्सव की विशालता और विविधता का अनुभव हुआ |
काला घोडा आर्ट फेस्टिवल में मुझे मेवाड़ के महान घोड़े चेटक की कहानी कहने की इच्छा है जिससे मैं मेवाड़ की विरासत के गुणगान कर सकूं | उत्सव के अगले संस्करण में सही ... विलास जानवे ....