"विशाल हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला 2025" का आज समापन हुआ, जहां धर्म, एकता और समाज सेवा का संदेश हर दिल में गूंज उठा। इस आयोजन में जैन समाज के चारों संप्रदाय के परम पूज्य महाराज, जैसे प. पू. आचार्य श्री प्रणाम सागर जी महाराज और प. पू. आचार्य श्री वैभव सागरजी महाराज, प. पू. आचार्य भगवंत मुक्तिवल्लभ सुरिंश्वर जी म.सा. समेत कई साधू, साध्वी और अन्य हस्तियां उपस्थित रहीं।
अतिथि के रूप में जैन धर्म के चारों सम्प्रदाय के साधू संतों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री के.सी. जैन साहब, श्री वीरेंद्र पी. शाह जी, श्री घेवरचन्द बोहरा जी, गिरीश शाह तथा अन्य समाजसेवी, उद्योगपति और श्रद्धालुगण ने इस ऐतिहासिक आयोजन में भाग लिया।
समापन समारोह में अतिथियों ने देश की समृद्धि और एकता के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। श्री देवेन्द्र ब्रह्मचारी ने हिंदुत्व और जैन धर्म की एकता और सहिष्णुता की अहमियत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "हमारे धर्मों में अहिंसा, आत्म-साक्षात्कार, और मोक्ष की प्राप्ति पर जोर दिया गया है। हमें धर्म की रक्षा के लिए एकजुट रहना होगा और सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखना होगा।"
कार्यक्रम के आयोजन में विशेष रूप से जैन समुदाय का महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिसे 'सर्वधर्म एकता' के सिद्धांत के अनुरूप एकता और सद्भाव का प्रतीक माना गया। इस आयोजन से यह संदेश दिया गया कि हम सभी एक हैं, और हमें धर्म की रक्षा करते हुए अपनी परंपराओं को आगे बढ़ाना चाहिए।
कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री के.सी. जैन साहब ने समाज में एकता और सद्भाव फैलाने के लिए हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा संस्थान के योगदान की सराहना की। उन्होंने आयोजकों, समाजसेवियों और स्वयंसेवकों का धन्यवाद किया, जिनकी निस्वार्थ सेवा से यह मेला सफल हुआ।
महिलाओं के उत्थान, समाज सेवा और राजनीति में उत्कृष्टता पर विचार व्यक्त किए गए, और श्री वीरेंद्र पी. शाह ने समाज की बेहतरी के लिए अपने योगदान को साझा किया।
समापन में आयोजकों ने श्री गिरीश भाई शाह, श्री अमरर शर्मा, श्री ललित बहेती, श्री अशोक दोषी जी समेत सभी उपस्थित लोगों को उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया और आग्रह किया कि इस मेले से मिली प्रेरणा को अपने जीवन में उतारते हुए समाज के हर क्षेत्र में फैलाने का प्रयास करें।
अंत में, धर्मगुरुओं और नेताओं से अपील की गई कि हम सब मिलकर धर्म को एकजुटता, सहिष्णुता और मानवता के आदर्शों के माध्यम से देखें, ताकि समाज में शांति, प्रेम और सद्भाव को प्रोत्साहित किया जा सके।
यह आयोजन हमारे समाज में धार्मिक समन्वय, एकता और शांति का संदेश फैलाने में सफल रहा।