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गुजरात जैसा जयपुर में पतंगबाजी का जुनून

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14 Jan 25
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गोपेन्द्र नाथ भट्ट

गुजरात जैसा जयपुर में पतंगबाजी का जुनून

जयपुर की पतंगबाजी का उत्साह और रंग गुजरात के उत्तरायण से कम नहीं। मकर संक्रांति के इस पर्व पर राजधानी गुलाबी नगर के आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें मानो अपनी कलात्मकता का प्रदर्शन करती हैं। जयपुर के पतंग उत्सव को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की दिशा में प्रयास जारी हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब गुजरात के मुख्यमंत्री रहते अहमदाबाद और गांधीनगर में पतंग महोत्सव आयोजित कर उसे विश्व स्तर पर पहचान दिलाई थी, तब गुजरात का पर्यटन उद्योग खासा समृद्ध हुआ। हालांकि, राजस्थान के पर्यटन विभाग की ओर से जयपुर के पतंग उत्सव को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के प्रयास हुए हैं, परंतु वह सफलता अब तक हासिल नहीं हो पाई है।

इस वर्ष जयपुर में मकर संक्रांति पर मौसम पतंगबाजी के लिए अनुकूल रहेगा। सुबह हल्की ठंड के बावजूद दिनभर खिली धूप और सामान्य हवा की गति पतंग प्रेमियों को आनंद का अवसर देगी। हालांकि, चायनीज मांझे की समस्या और सुरक्षा के मद्देनजर कई एहतियाती कदम उठाए गए हैं। सुबह 6 से 8 बजे और शाम 5 से 7 बजे पतंगबाजी पर प्रतिबंध रहेगा। जयपुर एयरपोर्ट के पास 15 कॉलोनियों में पतंग उड़ाने पर सख्त पाबंदी रहेगी।

जल महल की पाल पर आयोजित पतंग उत्सव में देशी-विदेशी पर्यटक पतंग उड़ाने का रोमांच अनुभव करेंगे। इस आयोजन में लोक कलाकार नृत्य-संगीत प्रस्तुत करेंगे और पतंग बनाने की कला का प्रदर्शन भी होगा। नि:शुल्क पतंग और ऊंटगाड़ी सवारी जैसे आकर्षण पर्यटकों को लुभाएंगे।

सुरक्षा को लेकर चायनीज मांझे पर रोक के लिए प्रशासन सख्त कार्रवाई कर रहा है। सीकर जिले में चायनीज मांझे से हुई दुर्घटना ने इस खतरे को फिर उजागर किया है।

जयपुर में पतंगबाजी के साथ ही मंदिरों में विशेष पूजा और गलता तीर्थ पर स्नान व दान-पुण्य की परंपरा भी जारी रहेगी। अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और पर्यटन मंत्री दियाकुमारी जयपुर को अंतरराष्ट्रीय पतंगबाजी का प्रमुख केंद्र बनाने और चायनीज मांझे पर पूर्ण रोक लगाने के लिए कौन से नए कदम उठाते हैं।


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