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राजस्थानी भाषा में शिक्षा: सुप्रीम कोर्ट सक्रिय

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11 Jan 25
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गोपेन्द्र नाथ भट्ट

राजस्थानी भाषा में शिक्षा: सुप्रीम कोर्ट सक्रिय

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने प्राथमिक शिक्षा में राजस्थानी भाषा में शिक्षा प्रदान करने के मुद्दे पर राजस्थान सरकार से जवाब तलब किया है। यह नोटिस दैनिक जलतेदीप और मासिक पत्रिका माणक के प्रधान संपादक पदम मेहता व डॉ. कल्याण सिंह शेखावत द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर सुनवाई के बाद जारी किया गया।

याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता मनीष सिंघवी और उनके सहायक अपूर्व सिंघवी ने इस मामले में पक्ष रखा। याचिका में राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट)-2024 में राजस्थानी भाषा को विषय के रूप में शामिल न किए जाने के राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने 27 नवंबर 2024 को यह याचिका खारिज कर दी थी।

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि 4.36 करोड़ राजस्थानी भाषी होने के बावजूद रीट में गुजराती, पंजाबी, सिंधी और उर्दू जैसी भाषाओं को शामिल किया गया है, लेकिन राजस्थानी भाषा को अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि संविधान, शिक्षा का अधिकार अधिनियम और नई शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों के अनुसार प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए।

याचिका में बताया गया कि मातृभाषा में शिक्षा न मिलने से बच्चों के साथ अन्याय हो रहा है और राजस्थान अपनी समृद्ध भाषा और संस्कृति खो रहा है। साथ ही, यह तर्क दिया गया कि राजस्थानी भाषा को मान्यता देने हेतु 2003 में राजस्थान विधानसभा ने संकल्प पारित किया था, लेकिन अब तक इसे 8वीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को बच्चों की शिक्षा और सांस्कृतिक संरक्षण से जुड़ा बताते हुए इसे गंभीर माना और राजस्थान सरकार से जवाब मांगा है।


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