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साइबर ठगों के खिलाफ ठोस कदम उठाने की जरूरत

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10 Jan 25
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साइबर ठगों के खिलाफ ठोस कदम उठाने की जरूरत

देश में साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। एक ओर जहां लोग डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने के लिए इंटरनेट और तकनीकी सेवाओं का अधिक उपयोग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर साइबर अपराधी इस डिजिटल युग का गलत फायदा उठा रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि पढ़े-लिखे लोग भी इस धोखाधड़ी के शिकार हो रहे हैं, और इससे भी बड़ी चिंता यह है कि सरकारी तंत्र इन ठगों के खिलाफ पूरी तरह से विफल और लाचार साबित हो रहा है।

2024 की पहली तिमाही में साइबर क्राइम से संबंधित लगभग 7.4 लाख शिकायतें मिली थीं, और 2023 में साइबर क्राइम के मामलों में 25% का इजाफा हुआ। बावजूद इसके, सरकार के पास ठगों को पकड़ने और सजा देने के लिए ठोस उपाय नहीं हैं। साइबर फ्रॉड में लोग ऑनलाइन धोखाधड़ी, फिशिंग, रैंसमवेयर अटैक और क्रेडिट कार्ड स्कैम जैसी घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। कई बार इन अपराधियों द्वारा बुजुर्गों को उनके बच्चों के नाम पर ठगा जाता है, और इसके परिणामस्वरूप उनकी पूरी जमा पूंजी उड़ जाती है।

सरकार की ओर से 'साइबर दोस्त' और 'साइबर सुरक्षित भारत' जैसे जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन इन अभियानों का प्रभाव सीमित है। साइबर अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की कमी के कारण शिकायतों की जांच धीमी और अधूरी रहती है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या हमारे साइबर विभाग ठगों के साथ मुकाबला करने के लिए तैयार हैं? क्या उन्हें पर्याप्त उपकरण और प्रशिक्षित विशेषज्ञ मिल रहे हैं?

साइबर अपराध के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह आवश्यक हो गया है कि सरकार त्वरित जांच और कार्रवाई की व्यवस्था सुनिश्चित करे। केवल जागरूकता अभियानों से समस्या का समाधान नहीं होगा। सरकार को इस दिशा में ठोस और सख्त कदम उठाने चाहिए ताकि साइबर अपराधियों के लिए एक मिसाल बने और वे लोगों की मेहनत की कमाई लूटने से पहले सौ बार सोचें।


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