राजस्थान में जब एक साल पहले भाजपा नेतृत्व ने भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया, तो यह निर्णय चौंकाने वाला था। पहली बार विधायक बने शर्मा को विशाल राजस्थान का नेतृत्व सौंपने पर कई सवाल उठे। शुरुआती झटकों के बावजूद, भजनलाल शर्मा ने अपनी दूरदर्शिता और कार्यशैली से राजस्थान के प्रमुख मुद्दों को प्राथमिकता देकर उल्लेखनीय प्रयास किए।
आजादी के बाद से ही राजस्थान में पानी की समस्या को हल करने के लिए कई सरकारों ने काम किया। इंदिरा गांधी नहर परियोजना से पश्चिमी राजस्थान को पानी मिला, और मोहनलाल सुखाड़िया व हरिदेव जोशी के प्रयासों से दक्षिणी राजस्थान में माही बजाज सागर और अन्य परियोजनाएं शुरू हुईं। बावजूद इसके, प्रदेश के पूर्वी हिस्से और शेखावाटी क्षेत्र की प्यास पूरी तरह बुझ नहीं सकी।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। पूर्वी राजस्थान के 21 जिलों के लिए संशोधित पीकेसी ईआरसीपी परियोजना के तहत पार्वती, कालीसिंध और चंबल नदियों को जोड़ा गया। केंद्र सरकार ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना को मंजूरी दी, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका शिलान्यास किया।
इसके अलावा, भजनलाल शर्मा ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मिलकर यमुना जल समझौते पर सहमति बनाई। राजस्थान और हरियाणा की ज्वाइंट टास्क फोर्स का गठन हुआ, जो डीपीआर तैयार करेगी। इससे शेखावाटी अंचल में पानी की समस्या का स्थायी समाधान मिलने की उम्मीद है।
भजनलाल शर्मा ने कहा कि यह निर्णय राजस्थान के लिए ऐतिहासिक साबित होगा। केंद्रीय मंत्री पाटिल और हरियाणा के मुख्यमंत्री ने भी राजस्थान को पानी देने की दिशा में सकारात्मक रुख दिखाया।
भजनलाल शर्मा के इन प्रयासों से यह सवाल उठ रहा है कि क्या वे राजस्थान के नए भगीरथ साबित होंगे? शेखावाटी और पूर्वी राजस्थान के लोग अब इन परियोजनाओं के जल्द साकार होने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।