उदयपुर, उदयपुर के झील संरक्षण कार्यकर्ताओं ने रूप सागर और अन्य छोटे तालाबों में हो रही आवासीय और व्यावसायिक गतिविधियों को सरकारी निर्देशों और न्यायालय के आदेशों की अवमानना करार दिया है। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि इस अतिक्रमण में सरकारी अधिकारियों और भूमाफियाओं की मिलीभगत है।
न्यायालय के आदेशों की अनदेखी
डॉ. अनिल मेहता ने संवाद के दौरान कहा कि छोटे तालाब उदयपुर के जल स्थायित्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राजस्थान उच्च न्यायालय ने 2007 में डॉ. तेज राजदान बनाम राज्य सरकार मामले में तालाबों के संरक्षण का आदेश पारित किया था। इसके अलावा, 2018 में राजस्व विभाग ने भी सभी जिला कलेक्टर्स को जलस्रोतों के संरक्षण के निर्देश जारी किए थे। लेकिन, हर स्तर पर इन आदेशों की अवहेलना हो रही है।
प्रशासन की जिम्मेदारी और उदासीनता
तेज शंकर पालीवाल ने बताया कि 2019 में तत्कालीन जिला कलेक्टर द्वारा गठित एक कमिटी ने छोटे तालाबों की स्थिति की रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। बावजूद इसके, तालाबों से अतिक्रमण नहीं हटाया गया। उन्होंने जिला कलेक्टर से इस रिपोर्ट को तलब कर जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
पर्यावरणीय खतरे और समाधान की मांग
युवा पर्यावरणविद कुशल रावल ने चेताया कि छोटे तालाबों का नष्ट होना उदयपुर को जल संकट और बाढ़ जैसी आपदाओं की ओर ले जाएगा। वरिष्ठ नागरिक द्रुपद सिंह और अन्य जागरूक नागरिकों ने तालाबों की सीमा का पुन: सीमांकन करने और अतिक्रमण हटाने की मांग की।
झील स्वच्छता श्रमदान
संवाद से पहले झील की सतह से कचरा हटाने का श्रमदान भी किया गया। झील संरक्षण कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से तत्काल कदम उठाने और तालाबों को उनके मूल स्वरूप में बहाल करने की अपील की।