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धर्मनगरी भीलवाड़ा की धरा बन गई अयोध्याधाम, बालाजी महाराज के साथ गूंजा जयश्रीराम 

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11 Nov 24
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धर्मनगरी भीलवाड़ा की धरा बन गई अयोध्याधाम, बालाजी महाराज के साथ गूंजा जयश्रीराम 

 

भीलवाड़ा, जहां तक नजर आए भक्तों का जनसैलाब ही दिख रहा था। क्या पांडाल ओर क्या उसके बाहर कहीं भी बैठना तो दूर खड़े रहने के लिए भी खाली जगह तलाशना मुश्किल हो गया था। ऐसा लग रहा था धर्मनगरी भीलवाड़ा के श्रद्धालुओं ने रविवार का अवकाश बालाजी महाराज की कथा सुनना के लिए समर्पित कर दिया। क्या बुर्जुग ओर क्या बच्चें, क्या युवा ओर क्या महिलाएं हर कोई विख्यात आध्यात्मिक गुरू व कथावाचक बागेश्वरधाम सरकार धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री महाराज के दर्शन करने ओर उनके मुखारबिंद से हनुमन्त कथा सुनने के लिए आतुर व बेताब था। भक्ति से ओतप्रोत आस्थावान श्रद्धालुओं ऐसा सैलाब उमड़ा कि एक लाख से अधिक भक्तों की क्षमता वाला विशाल पांडाल भी बहुत छोटा प्रतीत हुआ। छोटी हरणी हनुमान टेकरी स्थित काठिया बाबा आश्रम के महन्त श्री बनवारीशरण काठियाबाबा के सानिध्य में श्री टेकरी के हनुमानजी कथा समिति के तत्वावधान में तेरापंथनगर के पास कुमुद विहार विस्तार में आरसीएम ग्राउंड कथास्थल पर रविवार को पांच दिवसीय कथा के अंतिम दिन व्यास पीठ पर बागेश्वरधाम सरकार के विराजित होते ही पांडाल जय बालाजी महाराज की,जय बागेश्वर सरकार की उद्घोष से गूंजायमान हो उठा। कथा श्रवण कराने के लिए बागेश्वरधाम सरकार धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री महाराज मंच पर छोटी हरणी हनुमान टेकरी स्थित काठिया बाबा आश्रम के महन्त श्री बनवारीशरण काठियाबाबा के साथ पहुंचे तो उनकी एक झलक पाने के लिए हजारों श्रद्धालु आतुर हो उठे। कथा ग्राउण्ड का नजारा देख ऐसा लग रहा था जैसे भीलवाड़ा नहीं अयोध्याधाम हो। कोई हनुमानजी के रूप में घूम रहा था तो कोई बागेश्वर सरकार के साथ श्रीराम की छवि हाथों में लिए भक्ति से लबरेज था। उन्होंने सबको आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि भीलवाड़ा में कब पांच दिन बीत गए पता ही नहीं चला। सनातन धर्म के प्रति उत्साह का महाकुंभ देख लग रहा राजस्थान का हिन्दू जाग गया है। हमारे पास हनुमानजी है जो जिनमें हर समस्या का समाधान भी छुपा है। हनुमानजी दृष्टि व सृष्टि बदलते है तो सिद्धि व प्रसिद्धि भी प्राप्त होती है। बागेश्वरधाम सरकार मंच पर उस समय भावुक दिखे जब उन्होंने हर कष्ट सहकर भी कथा सुनने पहुंचे भक्तों की तारीफ करते हुए अपने जीवन की संघर्ष गाथा सुनाते हुए कहा कि हमने अपने जीवन में कितना कष्ट व संघर्ष झेला इसे हम जानते है। गरीबों के केवल परमात्मा होते है। सरकार के सब नियम भी गरीबों के लिए होते है। हम महंगी मिठाई उसे देते है जिसे हम सलाम करते है ओर सस्ती मिठाई उसे देते है जो हमे सलाम करता है। मत भरोसा करना दुनिया की इस रूसवाई का,इन्होंने वर्क सोने लगा रखा गोबर की मिठाई पर। हम बड़े आदमियों से मिलते है तो इसलिए कि उनका सहयोग लेकर गरीबों के काम कर सके उनकी बेटियों की शादी करा सके। हमने जो दुःख सहा वह आपको नहीं सहना पड़े इसलिए आज से सदा-सदा के लिए हनुमानजी के चरण पकड़ लेना हमारी तरह तुम्हारी भी जिंदगी बना देंगे। गम बहुत है जीवन में खुलासा मत होने देना, मुस्करा देना पर परिवार का तमाशा मत होने देना। उन्होंने बताया कि 12 नवम्बर को बागेश्वरधाम पहुंचना है देवउठनी एकादशी को सन्यासी बाबा का दिवस है पूजा पाठ करना है। इसी दिन गुरू कृपा प्राप्त होने के 16 वर्ष पूर्ण हो जाएंगे। उन्होंने हनुमानजी महाराज की महिमा बताते हुए कहा कि जो भाग्य में लिखा वह तो मिलना ही है पर जो नहीं लिखा वह भी हनुमानजी की भक्ति से प्राप्त हो जाता है। जो भी उनकी शरण में जाता है वह निर्भिक होने के साथ सर्व सुख प्राप्त करता है। बागेश्वरधाम सरकार ने सुंदरकांड चरित्र की कथा पूर्ण करने से पहले उन आठ कार्यो के बारे में भी बताया जो हनुमानजी करते है। इन कार्यो में भक्त को भगवान से जोड़ना, श्रीराम का पता बताना व मिलवाना, मान का मर्दन करना, संतों की रक्षा करना, साधना करने वाले भक्तों को सिद्धी व प्रसिद्धि देकर उनकी रक्षा करना, रामभक्तों को संकटो से बचाना, अभय वरदान देकर आत्मविश्वासी बनाना एवं हर प्रकार की बाधाओं से भक्तों को बचाना शामिल है। जो सुंदरकांड चरित्र की कथा सुनेगा ओर गाएगा उसके जीवन में मंगल ही मंगल होगा। श्री हनुमन्त कथा के अंतिम दिन व्यास पीठ पर बागेश्वरधाम सरकार के विराजित होते ही पांडाल जय बालाजी महाराज की,जय बागेश्वर सरकार की उद्घोष से गूंजायमान हो उठा। महन्त श्री बनवारीशरण काठियाबाबा के सानिध्य में व्यास पीठ की आरती करने वालों में आयोजन समिति के अध्यक्ष गोपाल खण्डेलवाल, संरक्षक त्रिलोकचंद छाबड़ा, प्रकाशचन्द छाबड़ा, महावीरसिंह चौधरी,कैलाशचन्द्र कोठारी, उमरावसिंह संचेती, सम्पतराज चपलोत, संयोजक आशीष पोरवाल,महासचिव श्यामसुंदर नौलखा, कोषाध्यक्ष राकेश दरक, उपाध्यक्ष कैलाशचन्द्र योगेश लड्ढा, चितवन व्यास, नवनीत सोमानी, राधेश्याम बहेड़िया, बनवारीलाल मुरारका, दिनेश नौलखा, मुकेश खण्डेलवाल, दिनेश बाहेती, सचिव हेमेन्द्र शर्मा, सहसचिव राजेन्द्र कचोलिया, संयुक्त सचिव दिलीप काष्ट, सचिन काबरा, राजकमल अजमेरा, धर्मराज खण्डेलवाल, कांतिलाल जैन, उज्जवल जैन, तेजसिंह पुरावत, देवीलाल जाट आदि शमिल थे। कथा के समापन पर महंत बनवारीशरण काठियाबाबा के नेतृत्व में संत महात्माओं द्वारा व्यास पीठ की आरती की गई। कथा के अंतिम दिन हर कोई बागेश्वरधाम सरकार के समक्ष अपनी श्रद्धा व भावना व्यक्त करने के लिए आतुर दिखा। श्री इच्छापूर्ण बालाजी मंदिर की तरफ से 501 मीटर लंबा केसरिया साफा श्री बागेश्वरधाम सरकार को पहनाया गया। 

 बेटियों को शास्त्र के साथ शस्त्र शिक्षा भी दिलाना 

बागेश्वरधाम सरकार धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री महाराज ने कहा कि भीलवाड़ा में बेटियों को शास्त्र के साथ शस्त्र शिक्षा देने में जुटे दुर्गा शक्ति अखाड़े की सराहना करते हुए इस बात पर खुशी जताई कि 12 हजार बहनों द्वारा सात अखाड़े चलाए जा रहे ओर बेटियां शास्त्र के साथ शस्त्र शिक्षा भी ले रही है। उन्होंने कहा कि मां-बहनों को यह वरदान प्राप्त है कि कोई कुदृष्टि डाले तो यह पहचान लेती है। इन अखाड़ो के माध्यम से हमारी बेटियों को जूडो,कराटे व तलवारबाजी भी सिखानी होगी।
 
 जैसा प्रेम व दुलार मिला भीलवाड़ा में वैसा कहीं नहीं पाया 

बागेश्वरधाम सरकार ने हनुमन्त कथा के अंतिम दिन भीलवाड़ावासियों की भक्ति भावना की खूब सराहना करते हुए कहा कि कुछ भी कहो पर भीलवाड़ावाले है बहुत अच्छे। यह राजस्थान में छठी कथा है पर जो अपनापन, प्रेम, दुलार व सनातन के प्रति उत्साह यहां पाया वह पूरे राजस्थान में नहीं पाया। भक्तों की,उद्योगपतियों की ओर सनातन की नगरी है भीलवाड़ा। उन्होंने कहा कि जा तो रहे है पर अगले वर्ष फिर आएंगे हालॉकि ये नहीं बताएंगे कि कब ओर कहां आएंगे। उन्होंने टेकरी के बालाजी, लेटे हुए हनुमानजी, पंचमुखी दरबार आदि का नाम लेते हुए कहा कि भीलवाड़ा में बालाजी के अनेक स्थान है। अपने माथे पर तिलक व घर के बाहर झंडा अवश्य लगाना। उन्होंने भीलवाड़ा में कथा श्रवण कराने का अवसर प्रदान करने के लिए हनुमान टेकरी के महंत श्री बनवारीशरण काठियाबाबा के प्रति भी आभार व्यक्त किया। कथा आयोजन को सफल बनाने के लिए दिनरात एक करने वाली समिति के पदाधिकारियों व सरंक्षकों के प्रति आभार जताया।
   
 महंत बनवारीशरणजी एवं आयोजन समिति ने जताया आभार 

कथा विश्राम दिवस पर कथा संरक्षक काठिया बाबा आश्रम के महन्त श्री बनवारीशरण काठियाबाबा ने सभी के प्रति आभार जताते हुए कहा कि भीलवाड़ावासियों का इस आयोजन में भरपुर सहयोग मिला। उन्होंने आयोजन सफल बनाने के लिए सेवाएं देने वाले कार्यकर्ताओं व सेवादारों के साथ हरणी ग्रामवासियों व आयोजन समिति के सभी सदस्यों के प्रति भी आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इनके सहयोग के बिना यह आयोजन सफल नहीं हो सकता था। आयोजन समिति के संरक्षक त्रिलोकचंद छाबड़ा व अध्यक्ष विधायक गोपाल खण्डेलवाल ने भी इस एतिहासिक आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी भक्तगणों के साथ प्रशासन, पुलिस व मीडिया का भी आभार व्यक्त किया।  

 भक्ति का ऐसा रंग छाया जगह नहीं फिर भी झूम उठे श्रद्धालु 

कथा के दौरान भक्ति का रंग छाया रहा। बागेश्वरधाम सरकार के भजनों पर श्रद्धालु भक्तगण दोनों हाथ उठा झूमते रहे ओर जयकारे गूंजते रहे। उन्होंने मोहन की प्यारी राधा बरसाने वाली राधा, सीता रामजी की प्यारी राजधानी लागे जैसे भजन पेश किए तो हजारों भक्तगण अपनी जगह खड़े होकर प्रभु भक्ति से ओतप्रोत हो झूमने लगे। श्री हनुमन्त कथा के दौरान जब भी बागेश्वरधाम सरकार ने सनातन एकता, हिन्दु एकता व जागृति की बात की तो पांडाल में जयश्री राम, हर हर महादेव ओर जय बालाजी महाराज के जयकारे गूंजायमान होते रहे। जय सांवलिया सेठ की, जय श्रीनाथजी के जयकारे भी गूंजे। 

 बागेश्वरधाम सरकार का आशीर्वाद पाने को आतुर रहे भक्त 

बालाजी महाराज की भक्ति भावना से ओतप्रोत भक्तगण विशाल पांडाल में बैठने की जगह मिलना मुश्किल होने के बावजूद भी भक्ति के रंग में रंगे रहकर जहां जगह मिले वहीं बैठ कथा श्रवण करते रहे। धूप की परवाह किए बिना कई भक्त पांडाल में पैर रखने की जगह नहीं होने पर बाहरजेसीबी, ट्रेक्टर, टेंकर आदि पर भी बैठ गए ओर भक्ति में रम गए। कथास्थल व प्रमुख मार्गो पर पेयजल आदि सुविधाओं का भी प्रबंध किया गया था।


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