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संघ समाज मे संस्कार व देशभक्ति की भावना भरने का कार्य कर रहा है - पुलक सागर जी महाराज 

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14 Oct 24
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संघ समाज मे संस्कार व देशभक्ति की भावना भरने का कार्य कर रहा है - पुलक सागर जी महाराज 

 

ऋषभदेव ऋषभदेव भगवान की पावन धरा पर आरएसएस का विजयादशमी उत्सव कार्यक्रम संपन्न हुआ, कार्यक्रम की शुरुआत मे संचलन निकला जिसमें  पूर्ण गणवेश में स्वयंसेवकों ने घोष के वाहन के साथ कदम से कदम मिलाकर नगर संचलन किया।

नगर में विभिन्न सामाजिक संस्थाओं, समाज के प्रबुद्ध जन, व मातृशक्ति ने जगह जगह स्वागत सत्कार किया। संचलन में कुछ दूरी तक पूज्य राष्ट्रीय संत पुलक सागर जी गुरुदेव भी संचलन के आगे चले। संचलन टाउन हॉल मैदान से शुरू होकर नगर भ्रमण के बाद पुनः टाउन हॉल पहुंचा, जहाँ पुलक सागर जी महाराज व निम्बाराम जी क्षेत्रीय प्रचारक के द्वारा सर्वप्रथम शस्त्र पूजन  हुआ, उन्होंने संघ के 100 वें वर्ष में प्रवेश के साथ ही प्रत्येक मंडल,व ग्राम स्तर तक शाखाओ की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है। शाखाओ के माध्यम से व्यक्ति निर्माण का कार्य चल रहा है, समाज मे विभिन्न सामाजिक सरोकार के कार्य को आज करने की आवश्यक्ता है।

निम्बाराम जी ने कहा छुआछूत ऐसी गंभीर बीमारी है इसे खत्म कर प्रत्येक हिन्दू को गले लगाना होगा, हमें संयुक्त परिवार को बढ़ावा देना होगा,आगामी 15 नवम्बर को भगवान बिरसा मुण्डा के 150 वी जन्म जयंती वर्ष पर सभी समाज मिलकर के महापुरुष की जयंती मनाए। बिरसा मुंडा ने समाज जागरण के।लिए अपना सर्वस्व जीवन लगा दिया। अहिल्याबाई होलकर ने समाज के लिए श्रेष्ठ कार्य किया आज उनकी 350 वीं जन्म जयंती पर्व को सभी मिलकर मनाएं, उन्होंने कहा की महापुरुष किसी एक समाज के नही होते, वे सभी के होते है। अंत में उन्होंने समाज में पर्यावरण, कुटुंब प्रबोधन, नागरिक कर्तव्य, समरसता एवं स्वदेशी के विषय भी व्यक्तिगत व परिवारों में ले जाने की आवश्यकता बताते हुए कहाँ की इन पञ्च परिवर्तन से एक सशक्त समाज और समाज से समृद्ध राष्ट्र का निर्माण होगा। उन्होंने एक गीत संस्कृति सबकी एक चिरंतन खून रगों में हिन्दू है... की पंक्ति का गान करते हुए अपने विचार रखे।

 

समापन पर पूज्य संत पुलक सागर जी ने कहा भारत शक्तिशाली राष्ट्र बना है जिसमे संघ की बड़ी भूमिका है, देश भक्ति, अनुशासन, चरित्र व सत्यनिष्ठा स्वयंसेवकों से सीखनी चाहिए, संघ किसी पार्टी, जाति या धर्म का विरोधी नही है।  प्रत्येक स्वयंसेवक के लिए राष्ट्र प्रथम है, देश के पतन का कारण संस्कृति, सभ्यता, भाषा, व संस्कार समाप्त होने से है, भारत को खतरा दुश्मनों से नहीं भारत मे रहने वाले षड़यंत्रकारी तत्वों से है, षड़यंत्रकारी शक्तियां हिन्दू समाज को जातियों मे बाटने का कुत्सित प्रयास कर रहे है । स्वयंसेवक इनकी मंशा को सफल ना होने देंगे, इंडिया गुलामी का प्रतिक है हमें भारत ही बोलना चाहिए, भारत जमीन का टुकड़ा नहीं  हम सब भारत है, मै संचलन मे चला तो ऐसा लगा पूरा देश मेरे साथ चल रहा है।

 

इस अवसर पर समाज के कई प्रबुद्धजन ,मातृशक्ति भी बड़ी संख्या में उपस्थित रही।


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