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दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति में ही राइजिंग राजस्थान ग्लोबल समिट जैसे मेगा इवेंट की सफलता की कुंजी छुपी हैं 

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02 Oct 24
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गोपेन्द्र नाथ भट्ट

दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति में ही राइजिंग राजस्थान ग्लोबल समिट जैसे मेगा इवेंट की सफलता की कुंजी छुपी हैं 

इस साल दिसंबर के दूसरे सप्ताह में 9 से 11 दिसम्बर तक जयपुर में होने वाले राइजिंग राजस्थान ग्लोबल समिट के लिए देशी विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में हुए दो दिवसीय रोड शो और इन्वेस्टर मीट को मिली सफलता से मुख्यमंत्री शर्मा खुश है और राजस्थान सरकार के अधिकारियों की भी हौसला अफजाई हुई है । साथ ही उम्मीद बंध रही है कि जिस गंभीरता और सुनियोजित ढंग से मुख्यमंत्री शर्मा और उनकी टीम इस मेगा शो को भव्य और सफल अंजाम तक पहुंचाना चाहती हैं उसमें उसे कामयाबी मिल सकती हैं, बेशर्ते निवेशकों को राजस्थान में अपने उद्योगों के लिए आधारभूत सुविधाओं सड़क, बिजली,पानी, कम ब्याज पर ऋण और अन्य आकर्षक पैकेज मिले और सबसे महत्वपूर्ण उन्हे अपने प्रोजेक्ट के लिए राज्य प्रशासन से हैसल-  फ्री सुविधाएं और अच्छा वातावरण मिले। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस दिशा में पहल करते हुए मुंबई में हुए रोड़ शो में बताया था कि उन्होंने के सी बोकडिया के जयपुर में फ़िल्म सिटी बनाने के प्रस्ताव को कैसे हाथो हाथ मंजूरी दे दी हैं। जानकारों का मानना है कि ऐसी दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति ही ऐसे मेगा इवेंट्स को सफल बना सकती है। 

राजस्थान के देश की राजधानी नई दिल्ली के नजदीक होने के कारण देशी विदेशी निवेशक  हमेशा से राजस्थान में आकर अपने प्रॉजेक्ट लगाने को इच्छुक रहते हैं। दिल्ली और आसपास  के क्षेत्रों में बढ़ते कंजेशन भी इसका एक कारण है लेकिन प्रदेश में पूर्व में हुए ऐसे ही राजस्थान ग्लोबल समिट में आए कई निवेश प्रस्तावों के आदिनांक तक जमीन पर नहीं उतरने के कई कारण हो सकते है फिर भी सबसे बड़ा कारण हैसल फ्री सुविधाएं और अच्छा वातावरण का सुनिश्चित होना ही हैं। 

राजस्थान अपने पर्यटन उद्योग के लिए मशहूर है तथा यह उद्योग प्रदेश की आर्थिक बहबूदी की रीढ़ की हड्डी माना जाता है। राजस्थान में विशेष रुप से हेरिटेज पर्यटन का अपना महत्व है। प्रदेश के हर हिस्से में शताब्दियों पुरानी अनेक ऐतिहासिक विरासत बिखरी पड़ी हैं । इसीलिए राजस्थान को ओपन आर्ट गैलेरी के रूप में जाना जाता है तथा राजस्थान में मौजूद अनेक हेरिटेज महत्व के स्थान देश दुनिया में मशहूर हैं। वर्तमान में क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य है। साथ ही देशी और विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने तथा पर्यटन की दृष्टि से भी अव्वल स्थान रखता है। देश में जितने पर्यटक आते हैं उसमें आधे से अधिक सैलानी राजस्थान में आते है।

जानकारो का मानना है कि वैसे तो राजस्थान में विभिन्न क्षेत्रों में निवेश की अकूत संभावनाएं  मौजूद है लेकिन यदि राज्य सरकार केवल एक सेक्टर पर्यटन को ही पकड़ लें तो राजस्थान पर्यटन के हर क्षेत्र में देश का सिरमौर प्रदेश बन सकता है। राजस्थान में अनेक ऐतिहासिक दुर्ग, किले, प्राचीन हवेलियां, धार्मिक महत्व के स्थल और नैसर्गिक अभारण्यों की भरमार हैं। जानकारों का कहना है कि राजस्थान सरकार यदि राजस्थान को पर्यटन की दृष्टि से विशेष राज्य और हेरिटेज प्रदेश का दर्जा दिलवा देवें तों राजस्थान में पर्यटन के क्षेत्र में निवेश करने वालों की सुनामी आ सकती हैं। विश्व में कई ऐसे छोटे छोटे देश है जो केवल पर्यटन के बलबूते पर ही अपने देश की आर्थिक विकास दर को बुलंदियों पर ले जाने में सफल हो रहें है। राजस्थान सरकार फिलहाल केवल प्रदेश की भव्य हवेलियों के संरक्षण के लिए निवेशकों को आकर्षित करने पर ही ध्यान दे तो पर्यटन को नए पंख लग सकते हैं। अभी संयोग से मोदी मंत्रिपरिषद में केन्द्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत राजस्थान से ही है और वे उसमें सहयोग कर सकते हैं। अद्भुत वास्तुकला एवं सुन्दर चित्रकारी से सुसज्जित ये हवेलियां विदेशी पर्यटकों को सबसे अधिक आकर्षित करती है लेकिन सबसे पहले इन हवेलियों का संरक्षण करना आवश्यक है अन्यथा ये ऐतिहासिक धरोहर काल के ग्रास में समा जाएंगी।

प्रदेश की ऐतिहासिक विरासतों को सजा संवार कर उन्हे होटल्स और शाही गेस्ट हाऊस आदि में तब्दील करनें की शुरुआत भैरोंसिंह शेखावत के मुख्यमंत्रित्व काल में हुई थी। जिसकी बदौलत कई महल, किले, हवेलियां आज पांच सितारा हेरिटेज होटल्स में बदल गई हैं तथा छोटी बड़ी अनेक प्रोपर्टी भी फल फूल रही हैं। इसी प्रकार देश में प्रवासी भारतीय सम्मेलनों की शुरुआत से पूर्व सबसे पहले अशोक गहलोत ने अपने पहले मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में प्रवासी राजस्थानियों का जयपुर में सम्मेलन किया था और उसका उद्देश्य प्रवासियों को भावनात्मक रूप से अपनी जन्म भूमि से जोड़ना था। उनका मानना था कि एक बार यह बॉन्डिंग और अधिक  मजबूत हो जाए तो निवेश स्वतः आयेगा क्योंकि देश और दुनिया को कोई ऐसा हिस्सा नही है जहां मारवाड़ी नही बसता हैं फिर भामाशाह की परम्परा राजस्थानियों के खून में हैं। कालांतर में तत्कालीन वसुन्धरा राजे ने राजस्थान ग्लोबल समिट जैसे मेगा इवेंट को बड़े पैमाने पर बड़े विजन के साथ खड़ा करने का प्रयास किया और उन्हें इसमें सफलता भी मिली बाद  में अशोक गहलोत ने भी ऐसा ही बड़ा आयोजन किया और अब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अपनी सरकार के पहले ही कार्यकाल में ही यह मेगा इवेंट जिस राजनीतिक इच्छा शक्ति का प्रदर्शन कर आगे बढ़ रहे है, इसके पीछे उनकी सोच सरकार के आगे के चार सालों में निवेश प्रस्तावों का फॉलोअप कर उन्हे जमीनी हकीकत पर उतारने की है।

देखना है कभी बीमारू प्रदेश में शुमार राजस्थान 2047 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत की संकल्पना को पूरा करने के यज्ञ में आहूति प्रदान कर अपनी ओर से किस तरह योगदान करने में सफल रहेगा?


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