एक समय था जब पूरे विश्व में अपने हीरे और कपड़ा व्यवसाय के लिए सुप्रसिद्ध गुजरात के सूरत शहर को भारत का सबसे गंदा शहर माना जाता था , फिर अरब सागर के किनारे सटे इस शहर को 1994 में प्लेग रोग के प्रकोप का सामना करना पड़ा और इस विनाशकारी घटना से वहाँ ऐसा अभूतपूर्व आतंक पैदा हुआ, जिसकी पूरे विश्व में चर्चा हुई। इस दुःखद घटना के बाद सूरतवासियों ने स्वच्छता के प्रति गजब की जागरूकता दिखाई और देखते देखते पूरा सूरत शहर निखर कर सामने आया। वहाँ के नागरिकों ने स्थानीय निकाय और सरकार के साथ मिल कर सभी के सामने वो मिसाल रखी कि सूरत की चर्चा हीरे के समान स्वच्छ और पारदर्शी तथा एक पवित्र नगर के समकक्ष होने लगी।
प्लेग रोग के प्रकोप से सूरत के बाशिंदों ने ऐसा सबक़ सिखा की वहाँ गन्दगी दूर की कोड़ी बन गई। पूरा शहर स्वच्छ हवा के हिलोरें लेने लगा। सवेरे और शाम यहाँ तक देर रात पूरे शहर की सड़कों को धोने तथा सफ़ाई का आलम यह रहा कि जिन सड़कों से पहले लोग नाक पर रूमाल रख गुजरते थे, उन सदको पर रोज़ चटाइयाँ लेकर बैठने लगे और उन चटाइयों पर दावतें उड़ने लगी। सूरत में यह प्रथा आज भी बदस्तूर जारी हैं और स्वच्छता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता एक नजीर बन गई हैं।हर पन्द्रह दिनों बाद समुद्र की लहरों में आने वाली हाई टाइड और लो टाइड से वहाँ के दरियाँ में आने वाली गंदगी और कचरे को भी सतर्कता के साथ निस्तारित किया जाने लगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2014 में प्रधानमन्त्री बनने के बाद उनके द्वारा स्वच्छ भारत अभियान शुरू करने की घोषणा के बाद सूरत के नागरिकों ने इस अभियान में बढ़ चढ़ कर भाग लिया और नागरिकों की इसी सजगता से सूरत को आज एक बड़ी सफलता मिली है और स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में सूरत को देश भर में प्रथम रहने पर 1.5 करोड़ रुपये का पुरस्कार भी मिला हैं। इस तरह पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सूरत शहर ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। केंद्र सरकार द्वारा आयोजित स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में सूरत शहर देश भर में प्रथम स्थान पर रहा है। यह उपलब्धि सूरत के निवासियों और प्रशासन के लिए गर्व का विषय है।
पिछले दिनों राजस्थान की राजधानी जयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सूरत के मेयर दक्षेश मावानी और नगर निगम आयुक्त शालिनी अग्रवाल को यह नगद पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्रदान किया।
सूरत के नागरिक इस उपलब्धि को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान और मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल तथा केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री सी आर पाटिल के मार्गदर्शन में सूरत नगर निगम द्वारा किए गए निरंतर प्रयासों का परिणाम मानते है। सूरत नगर निगम ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, सड़क की धूल नियंत्रण, निर्माण कचरे का वैज्ञानिक निस्तारण, वाहन उत्सर्जन नियंत्रण, औद्योगिक उत्सर्जन में कमी लाने, जन जागरूकता अभियान चलाने और वायु गुणवत्ता सुधार के लिए कई सराहनीय कदम उठाए हैं। सांसदों, विधायकों, नगर सेवकों, निर्वाचित प्रतिनिधियों, आयुक्तों और सूरत नगर निगम की पूरी टीम सहित सूरत के सभी लोगों ने इस उपलब्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
सूरत के मेयर दक्षेश मावानी ने इस उपलब्धि पर सभी सूरतवासियों को बधाई देते हुए कहा, "यह पुरस्कार सूरतवासियों के लिए गर्व का क्षण है। हम सभी मिलकर सूरत को विश्वस्तरीय शहर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।" मेयर दक्षेश मावानी और नगर निगम आयुक्त शालिनी अग्रवाल ने इस उपलब्धि को सूरत के सभी निवासियों को समर्पित किया है और कहा हैकि सूरतवासियों के सहयोग के बिना यह संभव नहीं था।
सूरत की घटना से पूरे देश के अन्य शहरों को भी सबक़ लेना चाहिये। आज देश में स्वच्छ शहरों के नाम उँगलियों पर गिने जा सकते है। मध्य प्रदेश का इंदौर शहर जिसे मिनी मुम्बई भी कहा जाता है, पिछलें कई वर्षों से देश के सबसे स्वच्छ शहरों की सूची में सबसे ऊपर है। दक्षिणी राजस्थान के ट्राइबल क्षेत्र के डूँगरपुर नगर ने इस मामलें में देश दुनिया में अपने झण्डे गाड़े हैं जबकि देश की राजधानी नई दिल्ली सहित कई प्रदेशों की राजधानियाँ भी इस मामले में पिछड़ी हुई हैं और देश के कई हिस्सों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं । इसके लिए केवल स्थानीय प्रशासन ही जिम्मेदार नहीं है बल्कि आम नागरिक भी उतना ही जिम्मेदार है।जब तक देश के नागरिक इस दिशा में नहीं सोचेंगे तब तक यह तस्वीर नहीं बदल सकती। शायर *दुष्यन्त कुमार* की लिखी हुई गज़ल का यह शेर—कैसे आकाश में सुराख नहीं हो सकता ,एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो …इसे हकीकत बना सकता हैं।
अब लाख टके का सवाल यह है किभारत सरकार और राज्य सरकारें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के साथ खिलवाड़ करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कानून और अर्थ दण्ड का प्रावधान रखने का इरादा रखती है?