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लेकसिटी में इको टूरिज्म बढ़ाने राज्य सरकार की एक और सौगात

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23 Aug 24
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लेकसिटी में इको टूरिज्म बढ़ाने राज्य सरकार की एक और सौगात

वन एवं पर्यावरण के प्रति आमजन के जुड़ाव को प्रगाढ़ करने तथा इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार की ओर से निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में झीलों की नगरी उदयपुर के केवड़ा की नाल में विकसित किए जा रहे बॉटनिकल गार्डन में शुक्रवार को लोकसभा सांसद डॉ.मन्नालाल रावत के मुख्य आतिथ्य में कैक्टस गार्डन का शुभारंभ किया गया।
सराड़ा वन रेंज के केवड़ा की नाल वन खण्ड अंतर्गत विकसित किए जा रहे बॉटनिकल गार्डन परिसर में सांसद डॉ.रावत ने फीता काट कर कैक्टस गार्डन का लोकार्पण किया। इस दौरान आयोजित समारोह में उदयपुर ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा, समाजसेवी तख्तसिंह शक्तावत, मुख्य वन संरक्षक सुनील छिद्री, सेवानिवृत्त मुख्य वन संरक्षक राहुल भटनागर, इंद्रपाल सिंह मथारू, डॉ. तरुण गुप्ता, पर्यावरणविद् डॉ.सतीश कुमार शर्मा, केवड़ा सरपंच कालूलाल तथा वन सुरक्षा समिति अध्यक्ष शंकर भाई भी बतौर अतिथि मंचासीन रहे। उप वन संरक्षक उदयपुर मुकेश सैनी व उप वन संरक्षक उत्तर अजय चित्तौड़ा आदि ने अतिथियों का स्वागत किया और इस कैक्टस गार्डन के बारे में जानकारी प्रदान की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सांसद डॉ रावत ने कहा कि बॉटनिकल गार्डन और कैक्टस गार्डन अरावली की जैव विविधता को बचाए रखने के लिए कारगर सिद्ध होंगे। यहां जनजाति समाज के गौत्र के पेड़ लगाकर स्थानीय जनजातिजनों को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। स्थानीय प्रजाति के पेड़ों को संरक्षित करने और इससे ग्रामीणों को जोड़ने की अच्छी पहल है। अरावली अंचल में वन संरक्षण-संवर्धन के लिए विभाग द्वारा जो भी कार्ययोजना तैयार की जाएगी उसे मूर्त रूप देने के लिए पुरजोर प्रयास किए जाएंगे।
बतौर विशिष्ट अतिथि संबोधित करते हुए उदयपुर ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा ने कहा कि सरकार की तरफ से वन संरक्षण के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं और केवड़ा की नाल में इस बॉटेनिकल गार्डन व केक्टस गार्डन को तैयार करते हुए वन विभाग ने सराहनीय प्रयास किया है। उन्होंने केलेश्वर क्षेत्र में भी इको टूरिज्म की संभावनाएं तलाशने की बात कही।
सेवानिवृत्त सहायक वन संरक्षक एवं पर्यावरणविद् डॉ.सतीश कुमार शर्मा ने बॉटेनिकल गार्डन और केवड़ा की नाल वन क्षेत्र में उपलब्ध वनस्पति प्रजातियों की विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन प्रदीपसिंह ने किया। इस अवसर पर डीएफओ विनोद राय, सेवानिवृत्त डीएफओ सोहेल मजबूर, पीडब्ल्यूडी के अतिरिक्त मुख्य अभियंता अशोक शर्मा, वीएस राणा, प्रतापसिंह चुण्डावत, डॉ. ललित जोशी, सत्यनारायणसिंह, सराड़ा क्षेत्रीय वन अधिकारी खेमराज मीणा, परसाद रेंजर सचिन शर्मा सहित बड़ी संख्या में वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी तथा क्षेत्र के ग्रामीण उपस्थित रहे।  
80 से अधिक प्रजाति के कैक्टस
प्रारंभ में सांसद डॉ. रावत व विधायक मीणा सहित अन्य अतिथियों ने कैक्टस गार्डन का लोकार्पण करते हुए उसका अवलोकन किया। अतिथियों ने भांति-भांति के कैक्टस देखकर आश्चर्य जताया। इस दौरान उप वन संरक्षक मुकेश सैनी ने अवगत कराया कि कैक्टस गार्डन में 80 प्रजातियों के कैक्टस लगाए गए हैं, जो शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों के लिए बहुपयोगी साबित होंगे। उन्होंने बॉटनिकल गार्डन के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि बजट घोषणा के तहत केवड़ा की नाल वन क्षेत्र के 70 हैक्टेयर एरिया में बॉटनिकल गार्डन विकसित किया जा रहा है। इसके तहत दीवार निर्माण, वाच टावर, ट्रेल, चौकडेम, केक्टस गार्डन, पाथवे के निर्माण हो चुका है। इसमें 150 प्रजाति के वृक्ष जिसमें अरावली वन क्षेत्रों में पाये जाने वाले वृक्ष शामिल हैं। वहीं कुछ वृक्ष ऐसे भी है जो अरावली वन क्षेत्र से विलुप्त प्रायः हैं। इसमें 55 प्रजाति के झाडीनुमा पौधे, लगभग 60 प्रजाति के हर्ब, 40 प्रजाति की लताएँ एवं 12 प्रजाति की (मिलेट्स) मोटे अनाज के पौधे रोपित किये गये हैं। प्रत्येक वृक्ष की पहचान हेतु साइन बोर्ड लगाया गया है जिस पर क्यूआर कोड लगाया जा रहा है। क्यूआर कोड को स्कैन करने पर वृक्ष की प्रजाति से संबंधित जानकारी उपलब्ध होगी।
चट्टानें और खनिज भी होंगे प्रदर्शित :
सैनी ने यह भी बताया कि गार्डन में अरावली पहाड़ियों में पायी जाने वाली चट्टानों एवं खनिजों को भी प्रदर्शित किया जाएगा। इसके लिए आरएसएमएम हिन्दुस्तान जिंक व जिले के प्रतिष्ठित खनिज मालिकों का सहयोग लिया जा रहा है।
आदिवासी गौत्र आधारित वृक्ष लगाए :
डीएफओ श्री सैनी ने बताया कि यह गार्डन आदिवासी क्षेत्र में बनाया जा रहा है, इसलिये इस क्षेत्र में निवासरत आदिवासियों के गौत्र के पूजनीय वृक्षों का रोपण किये जाने हेतु निर्धारित किया गया है। इसकी शुरुआत उदयपुर सांसद डॉ. मन्नालाल रावत जिनका कटारा गौत्र है, के द्वारा कचनार का वृक्ष लगाकर की गई। इसी प्रकार राशि वन, जैन तीर्थकर और उनके केवती वृक्ष विभिन्न राज्यों के राज्य वृक्ष एवं राज्य पुष्प के पौधों को रोपित किया जाना है।


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