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लोकसभा अध्यक्ष भी भाजपा का ही बनेगा

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14 Jun 24
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लोकसभा अध्यक्ष भी भाजपा का ही बनेगा

प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके चाणक्य केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार को पांच वर्ष तक सरकार चलाने की भूमिका तैयार कर ली है और यह भी तय है कि लोकसभा अध्यक्ष भी भाजपा का ही बनेगा। उम्मीद है कि वरिष्ठ मंत्रियों की तरह लोकसभा अध्यक्ष पद पर पुनः ओम बिरला की ही बहाली होंगी।

भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद के सदस्यों को विभागों का बंटवारा भी अपनी मर्जी मुताबिक ही किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीडीपी नेता चंद्र बाबू नायडू के आंध प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के समारोह में स्वयं उपस्थित होकर तथा गर्म जोशी से उन्हें बधाई देकर सहयोगी दलों में एक अच्छा संदेश और भरोसा दिया है। इस समारोह में बिहार के मुख्यमंत्री और भाजपा के दूसरे बड़े सहयोगी जनता दल यू के नेता नीतीश कुमार भी उपस्थित थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ओडिशा में पहली बार भाजपा की सरकार बनने के जलसे में भी शामिल हुए तथा उन्होंने प्रदेश में सरकार बनाने के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं की हौसला अफजाई भी की हैं।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि विपक्ष और मीडिया कितने भी कयास क्यों नहीं लगा लेवे वर्तमान परिस्थितियों में टी डी पी और जनता दल यू दोनों के लिए भाजपा और मोदी सरकार का साथ अपरिहार्य हो गया है। नीतीश बाबू महत्वाकांशी नेता है लेकिन उनके पास सिर्फ 12 सांसद ही है। उनसे अधिक 16 सांसद टीडीपी के पास है। प्रतिपक्ष के 238 सांसद यदि एन डी ए के इन दोनों साथियों का भाजपा से तलाक करवा दे तो भी लोकसभा में उनका बहुमत नहीं बनता। फिर कोई अस्थिरता की स्थिति और मध्यावधि चुनाव नहीं चाहता। इस बारे में सभी राजनीतिक पार्टियों के पिछले अनुभव अच्छे नहीं रहे है। फिर आने वाले समय में बिहार सहित अन्य प्रदेशों में चुनाव है। इससे पहले सभी प्रदेश केन्द्र सरकार से आर्थिक मदद की अपेक्षा लगाए बैठे है। बिहार और आंध्र प्रदेश भी इसके अपवाद नहीं है। दोनों प्रदेशों को केंद्र सरकार विशेष पेकेज चाहिए।आंध्र प्रदेश की नई सरकार को प्रदेश की माली हालात को पटरी पर लाने के लिए विशेष केंद्रीय सहायता की नितान्त आवश्यकता है। केन्द्र सरकार को अगले वर्ष के आरम्भ में मोदी 03 सरकार का नया बजट भी आने वाला है। वित्तीय आयोग की

देश में लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में 9 जून को शपथ लेने तथा एनडीए की सरकार के मंत्रिमंडल में कुल 71 मंत्रियों को शामिल कर पहली बार में ही अपना जंबो केबिनेट बनाने और मंत्रियों के विभागों के वितरण में भी भाजपा का दबदबा बनाने के बाद अब सभी की नजरें लोकसभा के स्पीकर चुनाव पर टिकी हुई हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसको लेकर एक नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। लोकसभा स्पीकर का चुनाव आगामी 26 जून को होगा।इसके बाद 27 जून को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को राष्ट्रपति संबोधित करेंगी। 27 जून को सुबह 11 बजे राष्ट्रपति का अभिभाषण  होगा। यानी राष्ट्रपति के अभिभाषण से पहले लोकसभा के सभी सांसदों को शपथ दिलाई जाएगी और नया स्पीकर भी चुन लिया जाएगा। 24 और 25 जून को प्रोटेम स्पीकर सभी नए सांसदों को शपथ दिलवाएंगे। 

यक्ष प्रश्न यह है कि किसके पास रहेगा लोकसभा अध्यक्ष का पद? विश्वस्त सूत्रों के अनुसार लोकसभा अध्यक्ष का पद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने पास ही रखने जा रही है। यानि 18वीं लोकसभा में भी भाजपा का ही कोई सांसद लोकसभा का अध्यक्ष चुना जाएगा।बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने मीडिया में आ रही खबरों को खारिज करते हुए बताया कि किसी भी सहयोगी दल की तरफ से लोकसभा अध्यक्ष के पद को लेकर कोई मांग नहीं आई है।

भाजपा जल्द ही पहले पार्टी के स्तर पर इस विषय पर विचार विमर्श करेगी और पार्टी की ओर से अध्यक्ष के नाम पर फैसला किए जाने के बाद एनडीए के सहयोगी दलों के साथ भी इस नाम पर विचार-विमर्श कर सर्वसम्मति बनाई जाएगी।दरअसल, मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मध्य प्रदेश की इंदौर से भाजपा की लोकसभा सांसद सुमित्रा महाजन को और दूसरे कार्यकाल में राजस्थान के कोटा से भाजपा सांसद ओम बिरला को लोकसभा अध्यक्ष चुना गया था,लेकिन इस बार के तीसरे कार्यकाल में बीजेपी के पास 2014 और 2019 की तरह लोकसभा में बहुमत नहीं है, इसलिए कयास लगाया जा रहा है कि टीडीपी लोकसभा के अध्यक्ष का पद मांग रही है। इसके लिए चन्द्र बाबू नायडू की रिश्तेदार दग्गुबाती पुरंदेश्वरी का नाम भी सुर्खिया बन रहा है। पुरंदेश्वरी आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम एनटी रामाराव की बेटी हैं। एनटी रामाराव ने ही टीडीपी की नींव रखी थी। दग्गुबाती पुरंदेश्वरी की बहन नारा भुवनेश्वरी से ही चंद्रबाबू नायडू की शादी हुई है। लिहाजा रिश्ते में पुरंदेश्वरी चंद्रबाबू नायडू की साली लगती हैं। कई जगह तो जेडीयू से भी लोकसभा का अध्यक्ष चुने जाने की बात सामने आई है लेकिन बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने इन खबरों को महज अटकलें बताते हुए खारिज कर दिया।

बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री के विदेश दौरे से लौटने के बाद लोकसभा के नए अध्यक्ष के नाम पर विचार-विमर्श किया जाएगा। भाजपा पहले पार्टी के स्तर पर लोकसभा के भावी अध्यक्ष का नाम तय करेगी, इसके बाद सहयोगी दलों के साथ उस नाम पर विचार-विमर्श किया जाएगा। अगर सहयोगी दल की तरफ से कोई सुझाव या मांग आती है, तो भाजपा फिर नए फॉर्मूले पर विचार करेगी। आगामी 24 जून से शुरू होने जा रहे 18वीं लोकसभा के पहले सत्र के दौरान भाजपा  अपनी पार्टी के किसी सांसद के नाम को लेकर विपक्षी दलों से भी संपर्क साधेगी, ताकि सदन में सर्वसम्मति से लोकसभा के नए अध्यक्ष का चयन हो सके। अगर सरकार के प्रस्ताव को विपक्षी दल स्वीकार कर लेते हैं, तो चुनाव की नौबत ही नहीं आएगी लेकिन अगर विपक्ष अपनी तरफ से भी उम्मीदवार खड़ा करता है, तो 26 जून को लोकसभा में नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए मतदान हो सकता है। दोनों ही सूरत में लोकसभा के नए अध्यक्ष 26 जून को कार्यभार संभाल लेंगे।

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद सत्र की तारीखों की घोषणा करते हुए बुधवार को ही एक्स पर पोस्ट कर बताया था कि नवनिर्वाचित सदस्यों की शपथ/पुष्टि, अध्यक्ष के चुनाव, राष्ट्रपति के अभिभाषण और उस पर चर्चा के लिए 18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से 3 जुलाई तक बुलाया जा रहा है। राज्यसभा का 264वां सत्र भी 27 जून को शुरू होगा और 3 जुलाई को समाप्त होगा।

देखना है कि लोकसभा अध्यक्ष को लेकर कयासों पर से पर्दा कब और कैसे उठेगा तथा नीलम संजीव रेड्डी तथा बलराम जाखड़ की तरह ओम बिरला भी दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष बन कर इतिहास दोहराएंगे?


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