उदयपुर, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर आयोजित तीन दिवसीय ’’शरद रंग‘‘ के आखिरी दिन गोवा की प्रसिद्ध गायिका मुग्धा गावकर ने मधुर गायन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध सा कर दिया।
तीन दिवसीय शास्त्रीय संगीत व नृत्य समारोह में शनिवार शाम शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में गोवा के फोण्डा की रहने वाली व देश की प्रतिष्ठिक गायिका मुग्धा गावकर ने अपने गायन की स्मृति छोडी। मुग्धा ने अपने गायन की शुरूआत राग पुरियाधनाश्री से की जिसमें उनकी गायकी का ठहराव और सुरों की पकड को प्रतिस्थापित किया। पहले मंथर और फिर विलम्बित लय पर मुग्धा ने अपने कंठ की मिठास से वातावरण को सुरीला बनाया।
इसके बाद उन्होंने ’’ओम नमो भगवते वासुदेवाय...‘‘ सुमधुर अंदाज में प्रस्तुत किया। श्रीकृष्ण वासुदेव के स्मरण के इस श्लोक की प्रस्तुति पर श्रोता मोहित से हो गये। गोमंत बाल भूषण से सम्मानित मुग्धा द्वारा प्रस्तुत गीत ’’पिया अब घर आजो मोरे..‘‘ को लोगों द्वारा जहां काफी पसंद किया इनके द्वारा प्रस्तुत मीरा बाई के भजन ’’ऐसी लागी लगन...‘‘ पर एक बारगी दर्याक झूम उठे तथा करतल ध्वनि से कलाकार का अभिवादन किया। इसी कडी में उन्होंने एक और रचना ’’ सांवरे के रंग राँची...‘‘ में उनकी गायकी का अनूठा रंग देखने को मिला। जिसमें लयकारी के साथ गायन का सामंजस्य उत्कृष्ट बन सका।
भक्ति की की रसधार में बहते हुए पं. जसराज फाउण्डेशन समारोह में प्रस्तुति देने वाली मुग्धा ने एक और गीत रचना ’’बाजे मुरलिया बाजे‘‘ प्रस्तुत कर माहौल को कृष्ण रंग से रंग सा दिया। अंत में मुग्धा गावकर ने लोकप्रिय भजन ’’इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले सुना कर दर्शकों की वाहवाही लूटी।
मुग्धा गावकर के साथ संवादिनी शुभम नाइक, तबले पर ऋषिकेश फडके, सुर संगत पृथा गावकर मंजीरे पर सुरमनाथ ने संगत की। इससे पूर्व आकाशवाणी के पूर्व निदेशक माणिक आर्य व कर्नल आप्टे ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की तथा अतिथि कलाकारों को पुष्प कलिका भेंट की।