गीतांजली इंस्टिट्यूट आॅफ टेक्निकल स्टडीज डबोक उदयपुर में अखिल भारतीय शिक्षा परिषद, नई दिल्ली एवं शिक्षा मंत्रालय के मिनीस्ट्री आॅफ इनोवेशन सेल के संयुक्त तत्वाधान में पांच दिवसीय कार्यक्रम इनोवेशन, डिजाईन और एंटरप्रन्योशिप पर बूट केम्प-2025 एडीशन 2 फेस-प्प् का समापन हुआ।
इस कार्यक्रम में देशभर के 14 राज्यों से 315 छात्रों ने 75 प्रोजेक्ट के साथ भाग लिया। पुरे भारत में कुल 12 नोडल सेंटरों का चयन किया गया था, जिसमें राजस्थान से केवल गिट्स को यह सम्मान प्राप्त हुआ। इस बुट केम्प के दौरान छात्रों ने अपने कौशल नवाचार और ज्ञान को साझा किया, जिससे न केवल उनके व्यक्तिगत विकास को बढावा मिला, बल्कि संस्थान को भी नई ऊंचाईयों तक पहुंचाने का अवसर प्राप्त हुआ।
इस अवसर पर सम्मानित अतिथियों के रूप में श्री दीपन साहु असिस्टेंट इनोवेशन डायरेक्टर, ए.आई.सी.टी.ई., श्रीमती शीनू जैन प्रोफेसर एल.एन.एम.आई.आई.टी. जयपुर (वाधवानी मास्टर ट्रेनर), सुब्रत साहु, स्टार्टअप फेलो, ए.आई.सी.टी.ई., डाॅ. पी.के. जैन निदेशक, एम.बी.ए., गिट्स, डाॅ. अलवर रमन, फोरमर साईटिंस्ट इसरो, श्रीमती लक्ष्मी रमन, श्री एम. गणेश, श्री नितिन पुरोहित, श्री मोहम्मद अली भाटी, श्री आशीष श्रीमाली, श्री प्रफुल्ल शर्मा, श्री रित्विक जोशी, श्रीमती वन्दना शाह महेश्वरी, श्री वैभव जैन, श्री आशुतोष सिंह, श्री सौरभ सुमन, श्री सौरभ वैष्णव, श्री दिशान्त जागेटिया, श्री वेद शुक्ला, श्री मोहित माहेश्वरी, श्री राहुल जिंगर एवं सुश्री मेघना राठौड उपस्थित हुए।
संस्थान निदेशक डाॅ. एस.एम. प्रसन्ना ने बताया कि यह बुट कैम्प के माध्यम से छात्रों को डिजाइन थिंकिंग, एग्रोनोमिक, टिचींग स्किल, प्रोडक्ट डिजाइन, स्टार्टअप स्टेªटेजी, वित्तिय साक्षरता और इनवोशन व्यवसायीकरण जैसे महत्वपूर्ण विषयों को समझने और अपनाने का अवसर मिला। इस कार्यक्रम से न केवल छात्रों के नवाचार कौशल को बढाने में सहायता मिली, बल्कि वास्तविक दुनिया की समस्याओं के लिए भी नये समाधान खोजने में मदद मिलेगी।
कार्यक्रम के संयोजक डाॅ. चिंतल पटेल ने बताया कि इस दौरान छात्रों ने ‘‘कस्टमर डिस्कवरी लैब’’ के माध्यम से उपभोक्ता व्यवहार और आवश्यकताओं का विश्लेषण किया तथा ‘‘लीन कैनवास’’ माॅडल का उपयोग कर अपने स्टार्टअप्स की प्रभावी रणनीती तैयार की।
गिट्स के वित्त नियंत्रक बी.एल. जांगिड ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्ेदश्य प्रतिभागियों को सफल उद्यमी बनाने और भारत के विकास में योगदान करने के लिए कौशल प्रदान करना था