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OTT पर छाई कॉमेडी फिल्म ‘टोकन द ट्रेजर’

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11 Apr 25
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OTT पर छाई कॉमेडी फिल्म ‘टोकन द ट्रेजर’

प्रस्तुति : काली दास पाण्डेय

निर्देशिका डॉ. रविकला गुप्ता की चर्चित कॉमेडी फिल्म ‘टोकन द ट्रेजर’ अब अल्ट्रा प्ले ओटीटी पर दर्शकों का मनोरंजन कर रही है। वर्ष 2022 में सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी इस फिल्म को ओटीटी पर दोबारा रिलीज किए जाने के बाद से इसे जबरदस्त लोकप्रियता मिली है। फिल्म ने ‘सबसे पॉपुलर फिल्म’ का टैग भी अपने नाम कर लिया है।

फिल्म की मुख्य भूमिका में सुप्रसिद्ध अभिनेता रविकिशन की बेटी रीवा किशन नजर आ रही हैं। साथ में अनुभवी कलाकारों में श्रुति उल्फत, दीपशिखा और अनूप जलोटा का कैमियो दर्शकों को आकर्षित कर रहा है। ‘टोकन द ट्रेजर’ की कहानी एक मध्यमवर्गीय परिवार के सपनों और संघर्षों पर आधारित कॉमेडी ड्रामा है, जो समाज की सच्चाई को हल्के-फुल्के अंदाज में प्रस्तुत करती है।

निर्देशिका डॉ. रविकला गुप्ता इन दिनों अपनी इस फिल्म की सफलता के कारण चर्चा में हैं। उन्हें सेंट्रल क्रिश्चियन यूनिवर्सिटी ऑफ अमेरिका द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि से भी सम्मानित किया गया है। उनकी शॉर्ट फिल्म ‘सेलिब्रेट लाइफ’ को 14वें ग्लोबल ‘कैप्टेन ऑफ द शिप’ अवार्ड समारोह में सम्मान मिला है।

डॉ. रविकला ने अब तक कई शॉर्ट फिल्मों और विज्ञापनों का सफल निर्देशन किया है। ‘सेलिब्रेट लाइफ’, ‘अजी सुनते हो’, ‘कॉफी’ जैसी उनकी शॉर्ट फिल्में सराही गई हैं। साथ ही मार्शल वॉलपेपर और टीवीएस बाइक जैसे ब्रांड्स के विज्ञापन फिल्में भी उन्होंने निर्देशित की हैं।

फिल्म इंडस्ट्री में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक अभिनेत्री के रूप में की थी। वे मनोज कुमार की टीवी सीरीज ‘कहाँ गए वो लोग’ और भोजपुरी फिल्म ‘हमार दूल्हा’ में अभिनय कर चुकी हैं। भरतनाट्यम में विषारद डॉ. रविकला इन दिनों अपनी नई स्क्रिप्ट पर काम कर रही हैं जिसे जल्द कैमरे पर लाया जाएगा।

उन्होंने अपनी बेटी खुशी गुप्ता को वकालत की पढ़ाई के साथ-साथ अभिनय में भी प्रोत्साहित किया है और अपनी फिल्मों में अवसर दिया है। डॉ. रविकला का मानना है कि फिल्मों को केवल मनोरंजन के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि जीवन के तौर पर। वे कहती हैं, “फिल्में जीवन का आईना हो सकती हैं, जीवन नहीं।”

वर्तमान समय की फिल्मों पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने चिंता जताई कि आज की फिल्में कहीं न कहीं युवा पीढ़ी को भ्रमित कर रही हैं। संवाद, दृश्य और कलाकारों की छवि युवाओं को गुमराह कर रही है। ऐसे में उन्होंने फिल्म निर्माताओं से सामाजिक जिम्मेदारी के साथ फिल्में बनाने की अपील की है।


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