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यश राज चोपड़ा को JIFF में सम्मान

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07 Jan 25
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यश राज चोपड़ा को JIFF में सम्मान

जयपुर, वैश्विक और भारतीय सिनेमा के उत्सव के लिए प्रसिद्ध जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (JIFF) ने "किंग ऑफ रोमांस" के रूप में विख्यात दिग्गज फिल्म निर्माता यश राज चोपड़ा को आउटस्टैंडिंग लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित करने की घोषणा की है। इसके साथ ही, भारतीय सिनेमा के प्रख्यात निर्देशक श्याम बेनेगल को उनकी अद्वितीय कृतियों के लिए श्रद्धांजलि दी जाएगी, जिन्होंने भारतीय सिनेमा की कहानी कहने की परंपराओं को नए आयाम दिए।

JIFF का लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड: एक गौरवशाली परंपरा

2011 में तीसरे जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में स्थापित यह पुरस्कार सिनेमा में असाधारण योगदान के लिए दिया जाता है। अब तक इसे प्राप्त करने वाले प्रमुख व्यक्तित्वों में शामिल हैं:

सुश्री आशा पारेख (2011), सुश्री जया बच्चन (2012), सुश्री शर्मिला टैगोर (2013), राजश्री प्रोडक्शन्स (2014), श्री दिलीप कुमार (2015)।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, श्री माजिद मजीदी (2015), श्री प्रकाश झा (2016), श्री रमेश प्रसाद (2017), श्री सुरेंद्र बोहरा (2018), श्री रॉबिन भट्ट (2019)।

हाल के वर्षों में, श्री प्रेम चोपड़ा और श्री शाजी एन करुण (2020), श्री जावेद सिद्दीकी (2022), सुश्री अपर्णा सेन (2023), और सुश्री कामिनी कौशल (2024)।

2025 में, JIFF गर्व से इस सूची में यश राज चोपड़ा का नाम जोड़ता है, जो भारतीय और विश्व सिनेमा में अपने अपार योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं।

यश राज चोपड़ा: सिनेमा के "किंग ऑफ रोमांस"

यश राज चोपड़ा ने भारतीय सिनेमा को अपनी अविस्मरणीय फिल्मों से समृद्ध किया है। उनकी शुरुआत धूल का फूल (1959) से हुई, जो सामाजिक मुद्दों पर आधारित थी। इसके बाद धर्मपुत्र (1961) ने सांप्रदायिक तनावों को उजागर किया। उनकी अन्य कालजयी फिल्मों में शामिल हैं:

वक्त (1965): मल्टी-स्टारर फिल्म का नया चलन शुरू किया।

दीवार (1975): "एंग्री यंग मैन" युग की शुरुआत।

रोमांटिक फिल्में जैसे कभी-कभी (1976), सिलसिला (1981), दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे (1995) और वीर-जारा (2004)।

श्याम बेनेगल: समानांतर सिनेमा के दिग्गज

श्याम बेनेगल ने अपनी फिल्मों के माध्यम से समाज के जटिल पहलुओं को उजागर किया है। उनकी पहली फिल्म अंकुर (1974) भारतीय सिनेमा में मील का पत्थर मानी जाती है। उनकी अन्य प्रसिद्ध फिल्मों में निशांत, मंथन, और भूमिका शामिल हैं। इतिहास और साहित्य पर आधारित उनकी फिल्में जुनून, कलयुग, और बोस: द फॉरगॉटन हीरो भारतीय सिनेमा में विशेष स्थान रखती हैं। उनकी टीवी सीरीज भारत एक खोज भारतीय संस्कृति की अद्वितीय प्रस्तुति है।

फेस्टिवल्स गुरु

जिफ़ के प्रवक्ता राजेंद्र बोड़ा ने बताया कि श्याम बेनेगल केवल फिल्मकार ही नहीं थे बल्कि फिल्म फेस्टिवल्स के गुरु के रूप में भी जाने जाते थे। भारत में फिल्म फेस्टिवल्स की स्वस्थ परंपरा कैसे कायम हो, सरकारों का दखल कम से कम हो, इस पर बेनेगल बहुत जोर देते थे। जिफ़ को लेकर भी श्याम बेनेगल कहा करते थे, "हुनू, फिल्म फेस्टिवल का मतलब है फिल्मों का सही चयन और सही समय पर स्क्रीनिंग।"

जब जिफ़ पिछले साल आर्थिक संकट में फंसा, तब जिफ़ के संस्थापक हनु रोज ने श्याम बेनेगल से ही बात की थी और फेस्टिवल रद्द करने की राय श्याम बेनेगल ने ही दी थी।


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