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कुंभलगढ़ दुर्ग का ऐतिहासिक भ्रमण कर छात्र हुए अभिभूत

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12 Mar 25
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कुंभलगढ़ दुर्ग का ऐतिहासिक भ्रमण कर छात्र हुए अभिभूत

 उदयपुर | जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के इतिहास एवं संस्कृति विभाग द्वारा इतिहास विषय में स्नातकोत्तर में अध्यनरत विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों का कुंभलगढ़ दुर्ग की स्थापत्य एवं संस्कृति की जानकारी को देने हेतु ऐतिहासिक भ्रमण रखा गया ।     
इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.हेमेंद्र चौधरी ने बताया कि मेवाड़ के इतिहास में महाराणा कुंभा एवं कुंभा द्वारा निर्मित दुर्ग एवं मंदिर महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। मेवाड़ के इतिहास तथा मंदिर दुर्ग के स्थापत्य एवं मंदिर संस्कृति तथा मूर्ति शिल्प का व्यावहारिक रूप से समझने के लिए कुंभलगढ़ दुर्ग महत्वपूर्ण स्थान रखता है।इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए तथा स्थापत्य एवं मंदिर मूर्ति शिल्प पर शोध को बढ़ावा देने के लिए इतिहास एवं संस्कृति विभाग के विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों का एक दिवसीय ऐतिहासिक भ्रमण रखा गया ।       
   सहायक आचार्य डा. ममता पूर्बिया ने बताया कि विद्यार्थियों ने सर्वप्रथम मामादेव मंदिर, पृथ्वीराज की छतरी,मामादेव कुंड, ब्राह्मण मंदिर,गालेराव ग्रुप के जैन मंदिर ,जूना भीलवाड़ा का जैन मंदिर, खेड़ा देवी मंदिर, नीलकंठ महादेव मंदिर, पार्श्वनाथ मंदिर ,यज्ञ वेदी मंदिर आदि की स्थापत्य एवं मंदिरों में अंकित मूर्ति कला की जानकारी प्राप्त की ।साथ ही विद्यार्थियों ने कुंभलगढ़ दुर्ग की स्थापत्य एवं सैन्य सामरिक पद्धति को बारीकी से समझने का प्रयास किया। 
 इस ऐतिहासिक भ्रमण में बिंदिया पंवार, पायल लौहार, चैन शंकर दशोरा, अंशदीप चुंडावत, नितेश लौहार ,अभय पटेरीया, हेमंत मेनारिया, रजत पटेल एवं चंद्र प्रकाश भट्ट उपस्थित थे।
 


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