उदयपुर । मेवाड़ के अंतिम कवि कविराव मोहन सिंह की 56वीं पुण्यतिथि पर जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टु बी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए कहा कि कविराव मोहन सिंह मेवाड़ के अंतिम कवि के रूप में जाने जाते हैं और उनका साहित्य जगत में अतुलनीय योगदान रहा है। मोहन सिंह अंतिम शासक महाराणा भूपाल सिंह के शासनकाल 1947 तक सक्रिय रहे। अपने जीवनकाल में कवि ने राजस्थानी एवं हिंदी भाषा में तीन दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखीं जो साहित्य के क्षेत्र में एक बड़ा योगदान है। विद्यापीठ में कविराव मोहन सिंह जी की पीठ स्थापित की गई है। विद्यापीठ के संस्थापक जनु भाई ने कभी राव मोहन सिंह अपने यहाॅ शिक्षा प्रचार प्रसार के लिए आमंत्रित किया था। प्रो. सारंगदेवोत ने कविराव मोहन सिंह के अप्रकाशित साहित्य को आमजन तक पहुंचाने का संकल्प लिया जिसे युवा पीढ़ी पढ़कर प्रेरणा ले सके।
इस अवसर पर कुलाधिपति भंवर लाल गुर्जर ने कहा कि यह इस बात का द्योतक है कि मेवाड़ में शिक्षाविदों और कवियों का कितना महत्व और सम्मान है और निश्चित रूप से कविराव मोहन सिंह जी मेवाड़ से शुरू होकर संपूर्ण विश्व में साहित्य जगत में अतुलनीय योगदान व प्रतिभा के रूप में जाने जाते हैं यह मेवाड़ का परम गौरव है।
इस अवसर पर रजिस्ट्रार डाॅ. तरूण श्रीमाली, पीठ स्थविर डाॅ. कौशल नागदा, डाॅ. सुभाष बोहरा, डाॅ. उग्रसेन राव, डा. आशीष नंदवाना, डाॅ. चन्द्रेश छतलानी, डाॅ. जयसिंह जोधा, डाॅ. हेमंत साहू, डाॅ. प्रदीप त्रिखा, निजी सचिव कृष्णकांत कुमावत, जितेन्द्र सिंह चैहान, डाॅ. यज्ञ आमेटा, मुकेशनाथ, दुर्गाशंकर , कालुसिंह, विकास डांगी सहित कार्यकर्ताओं ने राव के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हंे नमन किया।