उदयपुर। दि इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) के उदयपुर लोकल सेंटर द्वारा ई मोबिलिटी और स्मार्ट ग्रिड के बदलते परिदृश्य में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर की भूमिका पर वृहद कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रारम्भ में संस्था के अध्यक्ष इंजी. पुरुषोत्तम पालीवाल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया स्मार्ट ग्रिड में आ रही चुनौतियों यथा चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का डिजाइन और विकास ग्रिड एकीकरण, ऊर्जा प्रबंधन और अनुकूलन, सुरक्षा एवं मानक अनुपालन का विवेचन किया।
दि इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया उदयपुर लोकल सेंटर के मानद सचिव इंजी. पीयूष जावेरिया ने बताया कि इलेक्ट्रिकल इंजीनियर स्मार्ट ग्रिड सिस्टम के भीतर ई मोबिलिटी के लिए चार्जिंग बुनियादी ढांचे के विकास और एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उनकी जिम्मेदारियां डिज़ाइन, कार्यान्वयन और रखरखाव, दक्षता विश्वसनीयता और स्थिरता सुनिश्चित करने तक होती है।
मुख्य वक्ता डॉ. रितेष तिरोले ने ‘वर्चुअल पावर प्लांट (वीपीपी) एक परिवर्तनकारी ऊर्जा समाधान’ विषय पर बताया कि वर्चुअल पावर प्लांट (वीपीपी) एक अभिनव ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली है जो विकेन्द्रीकृत ऊर्जा संसाधनों जैसे सौर पैनल,पवन टरबाइन, बैटरी भंडारण और मांग-प्रतिक्रिया प्रणालियों को एक एकीकृत, क्लाउड आधारित नेटवर्क में एकत्रित करती है। एकल, लचीले बिजली संयंत्र के रूप में कार्य करके वीपीपी ग्रिड की विश्वसनीयता और दक्षता बढ़ाने के लिए ऊर्जा उत्पादन, भंडारण और वितरण को अनुकूलित करता है। उन्होंने वर्चुअल पावर प्लांट की प्रमुख विशेषताऐं यथा ऊर्जा अनुकूलन जो वास्तविक समय में आपूर्ति और मांग को संतुलित करता है, ग्रिड स्थिरता जिससे ग्रिड संचालन का समर्थन करके ब्लैकआउट के जोखिम को कम करता है, स्थिरता जिससे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के एकीकरण को बढ़ावा देता है, लागत दक्षता जिससे उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए ऊर्जा लागत कम करती है। वीपीपी एक हरित अधिक लचीली ऊर्जा भविष्य की ओर परिवर्तन करने,समुदायों और उद्योगों को स्वच्छ ऊर्जा समाधान अपनाने के लिए सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण हैं।
वक्ता प्रो. नेहा टाक, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में सहायक प्रोफेसर, बिट्स पिलानी हैदराबाद ने बताया कि नवीकरणीय ऊर्जा का तात्पर्य प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा से है जिनकी निरंतर पूर्ति होती रहती है। उदाहरणों में सूरज की रोशनी, हवा और पानी शामिल हैं, ये स्रोत सतत विकास, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने बताया कि पनबिजली,पवन, सौर ऊर्जा जीवाश्म ईंधन से बिजली की मांग और आपूर्ति संतुलित की जाती है। उन्होंने स्र्माट ग्रिड की विशेषताओं का विवेचन करते हुए बताया कि स्मार्ट ग्रिड में स्मार्ट ग्रिड एक बिजली नेटवर्क है जो बिजली के प्रवाह की निगरानी और प्रबंधन के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों का उपयोग करता है, स्मार्ट ग्रिड ऊर्जा उपयोग और ग्रिड स्थितियों पर वास्तविक समय डेटा इक_ा करने के लिए सेंसर का उपयोग करते हैं, स्मार्ट ग्रिड स्वचालित रूप से ऊर्जा आपूर्ति और मांग में बदलाव को समायोजित कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि आज भारत में 2.3 मिलियन दो पहिया, चार पहिया इलेक्ट्रिक वाहन है। इलेक्ट्रिक वाहन का उपयोग कर प्रदूषण नियंत्रण, तेल आयात कम करने में सहायक होते हैं किन्तु इलेक्ट्रिक वाहन में लगी बैटरियां का निस्तारण एक बड़ी चुनौती हैं। इलेक्ट्रिक वाहन पेट्रोल चलित वाहनों से सस्ता और तुलनात्मक रूप से कम रखरखाव लागत वाला होता है लेकिन ये वाहन उच्च बिजली बिल, संभावित रूप से लंबी चार्जिंग अवधि, और चार्जिंग स्टेशन गैस स्टेशनों की तरह सुविधाजनक नहीं हैं। एक आदर्श सोलर पीवी इनवर्टर में बिजली की गुणवत्ता, विश्वसनीयता, दक्षता किफायती लागत आदि गुण होने चाहिए। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और स्मार्ट ग्रिड ऊर्जा परिदृश्य में क्रांति ला रहे हैं, और अधिक टिकाऊ और कुशल भविष्य का निर्माण कर रहे हैं। इन नवाचारों को अपनाकर हम ईवी के विकास का समर्थन कर सकते हैं, ऊर्जा वितरण को अनुकूलित कर सकते हैं और एक हरित कल में योगदान कर सकते हैं। संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन मानद सचिव इंजी. पीयूष जावेरिया ने किया।