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पचास वर्षों बाद अपने सहपाठी को परिषद सदस्य बनते देख मधुर स्मृतियाँ पुनः जीवित हुई- डा. आई वी त्रिवेदी

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28 Oct 24
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पचास वर्षों बाद अपने सहपाठी को परिषद सदस्य बनते देख मधुर स्मृतियाँ पुनः जीवित हुई- डा. आई वी त्रिवेदी


महाराणा भूपाल कालेज पूर्व छात्र परिषद ने कालेज के विवेकानन्द सभागार में दीपावली स्नेह मिलन कार्यक्रम हर्षोल्लास से मनाया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में पूर्व कुलपति डा. आई वी त्रिवेदी ने कहा कि पचास वर्ष पूर्व उनके बी.कॉम सहपाठी सीए महेंद्र जैन को परिषद के नए सदस्य के रूप में देख वे बहुत प्रफुल्लित हुए हैं और कालेज दिनों की यादें तरोताजा हो गई हैं।


मीडिया प्रभारी प्रोफेसर विमल शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत महासचिव शांतिलाल भंडारी के स्वागत उद्बोधन से हुई। इसके बाद प्रकाश तातेड़ ने पिछली बैठक का कार्यवाही प्रतिवेदन प्रस्तुत कर सदन से स्वीकृत कराया।

समारोह में अक्टूबर माह में जन्मे रवीन्द्र भटनागर सहित नए सदस्य महेंद्र जैन और श्रीमती पुष्पा जैन का तिलक और माला पहनाकर अभिनंदन किया गया। महेंद्र जैन ने बताया कि 1975 में बीकॉम के बाद वे सीए बनकर इंदौर में रहने लगे। छह महीने पहले ही वे पुनः उदयपुर शिफ्ट हुए और पूर्व छात्र परिषद की जानकारी मिलते ही आज सदस्य बने हैं। सुभाष नागला भी 1975 में स्नातक कर विश्वविद्यालय सेवा में आ गए और सेक्शन ऑफिसर के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। परिषद सदस्य बनते ही वे विदेश अपने बेटे के पास चले गए थे और गत सप्ताह ही लौटे हैं। श्रीमती पुष्पा जैन ने 1974 में अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर कर बीएड किया और राजकीय सेवा से सेवानिवृत्त होकर सामाजिक संस्थानों में सक्रिय हैं।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में एस आर तिवारी ने महाभारत व्रतांत भीष्म की विकट वेदना सुनाई। श्रीमती सीता शर्मा ने मधुर भजन 'ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन' प्रस्तुत किया, तो रवीन्द्र भटनागर, संजीव भारद्वाज, इन्द्र मल पटवा, चंदन सिंह छाछेड़, बी एल चावत, डा. नरेश शर्मा और डा. विमल शर्मा ने फिल्मी गीतों की प्रस्तुतियां दीं। श्रीमती रेणु भंडारी ने मिट्टी के दीपक की कहानी सुनाई और प्रकाश तातेड़ ने मुक्तक सुनाए। प्रो महिप भटनागर के चुटकुलों ने सभी को गुदगुदाया।

महासचिव शांतिलाल भंडारी ने सदस्यों का आह्वान किया कि वे अपने आवास के निकट रह रहे अति-वरिष्ठ सदस्यों से व्यक्तिगत मिलने अवश्य पधारें ताकि उनका परिषद से जुड़ाव बना रहे। नई पैकेट डायरी बनाने के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए डा. इन्द्र वर्धन त्रिवेदी ने उसे छपवाने की पेशकश की, साथ ही अगले माह पिकनिक पर जाने की भी सहमति बनी।

के एस नलवाया ने आभार व्यक्त किया, और राष्ट्रगान के पश्चात सभी ने स्नेह भोज का आनंद लिया।


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